गंगा दशहरा पर विशेष : मुक्ति का मार्ग है गंगा

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24 जून गंगा अवतरण दिवस :
भारत नदियों और मंदिरों का देश है।यहाँ के विकास में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है।इसमें यदि बात गंगा का किया जाय हो यह भारत का पहचान के साथ साथ जीवन दायनी भी है। जो पूरे भारत को एक सूत्र में पिरो रखी है। माँ आपने बच्चों को भूख तो मिटाती है ही जीवन भी देती है। उसी गंगा के हम ऋणी है।
भारत का आरंभ हिमालय से है, और हिमालय के मुख से गंगा निकलती है। भारत का सायद ही कोई धर्मग्रंथ हो जिसमें गंगा का चर्चा नही हुआ हो।
गंगा का जन्म भगवान विष्णु के नख से हुवा है।इसके बाद गंगा शिव जी के जाटा जा बसी। वहाँ से राजा भगीरथ ने अपने घोर तपस्या के बल से पृथ्वी पर लाये। सगर के साठ हजार पुत्र जो ऋषि के श्राप से भस्म हो गए थे, उन्ही की मुक्ति के लिए भगीरथ ने तप किया था। बाद में यही गंगा सम्पूर्ण जगत के मुक्ति का मार्ग बनी। गंगा केवल भूलोक में ही नही है इसका वास् स्थान तीनो लोक में है। इसलिए गंगा का पूजा मनुष्य देवता दानव सभी करते हैं।
गंगा का प्रादुर्भाव
जेष्ठ मास की शुक्ल दशमी को गंगा का अवतरण माना जाता है। इस दिन गंगा में स्नान और दान का महत्व लाखों गुना हो जाता है। यदि हो सके तो इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। यदि व्यक्ति साल भर गंगा स्नान नही कर पाता है तो इस दिन गंगा स्नान करने से साल भर स्नान का फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन सारे पवित्र नदियों में गंगा का वास् होता है। व्यक्ति श्रद्धा से कही भी नदी में स्नान करे व वहीं से गंगा माता को प्रणाम करता है तो गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। यदि यह भी संभव नही है तो अपने घर मे किसी पात्र में पहले गंगा जल मिला के बाद में शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। इससे भी गंगा स्नान का ही फल प्राप्त मिलता है। इस दिन अपने पितरों के नाम से जल और भोजन दान करना चाहिए।
इस वर्ष यह पावन और पूनीत समय 24 जून को है।साथ मे पुरषोत्तम मास होने व गुरुवार होने से इसका प्रभाव कई गुना और बढ़ गया है।
यायीजययोग और रवि योग होने से इसका महत्व ज्यादा बढ़ गया है।
गंगा अपनी लंबी यात्रा के दौरान भारत के ज्यादा हिस्सा को छूती है। गंगा पर्वत मैदान होते हुवे कई नदियों के साथ संगम करती है। जो तीर्थ स्थान के रुप मे प्रशिद्ध है। इसमेंसे होते हुवे ऋषकेश के बाद गंगा पर्वतों से उतार कर हरिद्वार पहुचती है। इसके बाद गंगा संगम अल्लाहाबाद आती है जहाँ की कुंभ का आयोजन होता है। इसके बाद बिंध्याचल होते हुवे बनारस में बाबा विश्वनाथ के दर पर जाती है। फिर गंगा बिहार से होते हुवे बंगाल जाती है जो गंगासागर  में पहुचती है जहाँ यह समुद्र में मिल जाती है। यहाँ इसका यात्रा पूर्ण होता है। गंगासागर सभी तीर्थों का राजा माना गया है। इसी लिए कहा जाता है कि सब तीर्थ बार बार गंगासागर एक बार।
इस दिन बनारस के दसास्वमेध घाट में स्नान का महत्व है। इसी दिन सेतुबंध रामेश्वरम प्रतिष्ठा दिन भी है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान दान का तो महत्व है ही इस दिन गंगाजल से रुद्राभिषेक करना चाहिए। गंगा स्तोत्र पा पाथ और गंगा चालीसा पढ़ना चाहिए। गंगा को आरती भी उतारना चाहिए।यह समय सुबह का हो तो ज्यादा अच्छा होता है। इस दिन का जल पूरे वर्ष भर घर मे रखना चाहिए।

प्रस्तुति : आचार्य प्रणव मिश्र
आचार्यकुलम

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