अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थल अवश्य देखें

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अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थल अवश्य देखें
अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थल अवश्य देखें।

Viewable Spot In Ayodhya : अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थल अवश्य देखें। अब श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है। यह स्थान पहले से ही आस्था का बड़ा केंद्र रहा है। अभी कोरोना के प्रकोप के कारण स्थिति घूमने के अनुकूल नहीं है लेकिन बाद में निश्चय ही यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। प्रतिकूल स्थिति के बावद भी पहले की तुलना वहां जाने वालों की संख्या बढ़ी है। जो नहीं भी जा पा रहे, वे वहां के बारे में जानना चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए अयोध्या के बारे में आवश्यक जानकारी दे रहा हूं। पढ़ें कि अयोध्या जाने पर क्या-क्या अवश्य देखें।

श्रीराम जन्मभूमि

अयोध्या के महत्व का सबसे बड़ा कारण श्रीराम की जन्मभूमि ही है। पुराने मंदिर के स्थान पर नए मंदिर के लिए लंबा संघर्ष चला। अंततः जन्मभूमि पर पहले अस्थाई रूप से रामलला की मूर्ति विराजमान की गई। भक्तगण इसे ही मुख्य स्थान के रूप में मानते हैं। वे अब तक इसी का दर्शन करते हैं। अब वहां भव्य मंदिर के निर्माण शुरू होने से वे बेहद खुश हैं। वहां जाने वाले के लिए वही आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। अतः सबसे पहले भक्तों को वहीं जाना चाहिए। 

कनक भवन

सोने के घर के समान भव्य मंदिर कनक भवन है। इसमें स्थित सीता-राम की प्रतिमा है। शानदार कलाकारी और भव्यता मन को मोह लेती है। सीता-राम की प्रतिमा के सिर पर सोने का मुकुट लगा है। एक हिस्से में गीत-संगीत का आयोजन होता रहता है। भक्त उसे सुनकर भावविभोर हो जाते हैं। माता कौशल्‍या ने सीता को इस भवन को मुंह दिखाई में दिया था। यहां आने वाले भक्तों के आकर्षण का यह भी एक केंद्र है।

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हनुमान गढ़ी/हनुमान टीला

अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थलों में जन्मस्थान के बाद सबसे अहम हनुमान गढ़ी है। यहां संकटमोचक हनुमान का मंदिर है। मान्यता है कि श्रीराम की आज्ञा से हनुमान त्रेता युग से ही यहां विराजमान हैं। उनकी कृपा के बिना राम की कृपा नहीं मिलती है। इसलिए भक्तगण हनुमान गढ़ी का दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं। यहां हनुमानजी बाल रूप में माता अंजनि की गोद में बैठे हैं। सच्चे हृदय से प्रार्थना करने वालों की इच्छा हनुमान जी अवश्य पूरी करते हैं। मान्यता है कि वे दर्शन करने वालों का पाप नाश करते हैं।

त्रेता के ठाकुर जी

यह प्राचीन मंदिर सरयू तट पर स्थित है। मान्यता है कि भगवान राम ने यहां अश्वमेध यज्ञ किया था। इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें। यहां श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न की मूर्तियां हैं। मूर्तियां एक ही काले पत्थर को तराश कर बनाई गई हैं। यह मूर्तिकला का शानदार नमूना है। उसे देखना अद्भुत अनुभव है। उन्हें सहेज कर रखा गया है। उन्हें भक्तों के दर्शन के लिए नहीं रखा गया है।

सीता की रसोई

इसी स्थान पर माता सीता की रसोई थी। यहां सीता को अन्नपूर्णा का रूप माना जाता है। मंदिर के निर्माण में रसोईघर और अन्नपूर्णा के भाव का भी ध्यान रखा गया है। भक्तों को यहां के दर्शन में इसका भाव स्पष्ट रूप से महसूस होता है। मंदिर में राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी, शत्रुघ्न और श्रुताकीर्ति की भव्य प्रतिमाएं हैं। मंदिर के एक कोने में रसोईघर सा बना हुआ है।

तुलसी संग्रहालय

गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में इसे बनवाया गया है। धर्म-संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए यहां पर्याप्त सामग्री है। संग्रहालय का पुस्तकालय काफी उपयोगी है। एक तरह से यह अनुसंधान केंद्र है। इसमें अयोध्या से संबंधित विषयों पर शानदार जानकारी वाली सामग्री है। कई शोधार्थी यहां शोध के लिए भी आते हैं। 

रामकथा पार्क

पार्क में आने वाले यहां अयोध्या के भाव को महसूस करते हैं। यहां आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। इसके साथ ही नृत्य-संगीत व कथाओं का केंद्र है। अयोध्या का जीवंत रूप लोगों को रोमांचित करता है। कई कलाकारों को इसने भाग्य चमकाने का मौका दिया है। शाम को स्थानीय लोग भी यहां जुटते हैं।

नागेश्वर मंदिर

सीता-राम के पुत्र कुश ने यहां शिव मंदिर का निर्माण करवाया। इसका नाम नागेश्वर मंदिर है। यह अयोध्या का प्रमुख मंदिर माना जाता है। इसमें अर्द्ध दिव्य नागों को शिव की पूजा करते दिखाया गया है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। अयोध्या आने वालों को इसका दर्शन अवश्य करना चाहिए। वैसे भी राम और शिव का संबंध अनन्य है। अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थलों में यह भी महत्वपूर्ण है।

गुप्तार घाट

यह घाट फैजाबाद में सरयू तट पर स्थित है। भगवान श्रीराम ने यहां ध्यान किया था। लीला के अंत में यहीं जल समाधि ली। अतः इसे तीर्थस्थल के रूप में माना जाता है। मान्यता है कि जो यहां डुबकी लगाता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं। उसकी परेशानियां दूर हो जाती हैं। यहां श्रीराम, चक्रहारी और नरसिंह भगवान समेत कई मंदिर हैं।

दशरथ भवन

शहर के बीचों-बीच स्थित भव्य महल भगवान श्रीराम के माता-पिता का निवास स्थान था। इसे प्राचीन भवन कहा जाता है। यह महल अच्छी तरह से सुसज्जित है। इसमें श्रद्धालु जमा होकर भजन-कीर्तन करते रहते हैं। यहां आकर आत्मिक शांति मिलती है।

दिगंबर जैन मंदिर

अयोध्या जैन धर्मावलंबियों का भी बड़ा केंद्र है। यह पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है। इसलिए दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है। पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के जन्म स्थान पर यह भव्य मंदिर है। यहां आने वाले भक्तों को अद्भुत शांति का अनुभव होता है। इस मंदिर में ऋषभ देव की भव्य प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। इसके बिना अयोध्या के 11 दर्शनीय स्थलों की यात्रा पूरी नहीं हो सकती है।

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