दसवीं महाविद्या कमला हैं धन-वैभव की देवी

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होली पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के तरीके जानें
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kamla is the tenth mahavidya, godes of wealth : दसवीं महाविद्या कमला हैं धन-वैभव की देवी। दस महाविद्या में शामिल सभी देवियां धन-वैभव की देवी हैं। वह साधक को सब कुछ देने में समर्थ हैं। फिर भी साधक की सुविधा, साधना क्रम और आध्यात्मिक लक्ष्य के अनुरूप इन्हें क्रम दिया गया है। दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर स्थित हैं माता कमला। सिद्धविद्यात्रयी में इनको तीसरा स्थान प्राप्त है। इनकी उपासना दक्षिण और वाम दोनों मार्ग से की जाती है। इनके अधिष्ठाता का नाम सदाशिव-विष्णु है। यह मुख्य रूप से धन-वैभव की देवी मानी जाती हैं। इसके साथ ही ऐश्वर्य और श्री प्रदान करने वाली हैं। श्रद्धा और नियम पूर्वक इनकी उपसाना करने पर शीघ्र अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

मां कमला का एकाक्षरी मंत्र

श्रीं

मंत्र संख्या व जप विधि : यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। इसके 12 लाख जप से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। मंत्र का दसवेें हिस्से के बराबर मंत्र से घृत, मधु, शर्क्रायुत पद्म, तिल एवं बिल्वफलों से  हवन करना चाहिए। कई बार ग्रहदशा अत्यंत प्रतिकूल रहने पर मंत्र को पूरा करने में न सिर्फ बाधाएं आती हैं, बल्कि कई बार फल प्राप्ति में भी ज्यादा समय लगता है। ऐसे में परेशान नहीं होना चाहिए। धैर्यपूर्वक लगातार 12 मंत्रों की दो या तीन आवृत्ति कर लेनी चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी। एकाक्षरी मंत्र के बिना अभीष्ट की इच्छा के जप करने से साधक को न सिर्फ दसवीं महाविद्या कमला की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि उसकी आध्यात्मिक शक्ति में भी असाधारण बढ़ोतरी होती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है।

 

एकाक्षरी मंत्र के ऋषि- भृगु ।

विनियोग— अस्य श्री कमला एकाक्षर मंत्रस्य भृगु ऋषि:, निवृद् छंद:, श्री लक्ष्मीदेवता ममाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोग:।

अंगन्यास- श्रां हृदयाय नम:। श्रीं शिरसे स्वाहा। श्रूं शिखाये वषट्। श्रैं कवचाय हुम। श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्। श्रं अस्त्राय फट्।

ध्यान-कांत्या कांचनसन्निभा हिमगिरि प्रख्यैश्र्चतुर्भिर्गुजै:। हस्तोत्क्षिप्त हिरण्यामृत घटैरासिच्यमानां श्रियम्। विभ्राणां वरमब्जयुतमभयं हस्तै: किरोटोज्ज्वलाम्। क्षौमाबद्ध नितंबविंबललितां वंदेरविंद स्थिताम्।

 

द्वयक्षर साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र

स्ह्क्ल्रीं हं।

विनियोग- अस्य मंत्रस्य हरि ऋषि:, गायत्री छंद:, साम्राज्यदा मोहिनी लक्ष्मी देवता, स्ह्क्ल्रीं बीजं, श्रीं शक्तिं, ममाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोग:।

षडंगन्यास–श्रां, श्रीं, श्रूं, श्रैं, श्र: से करें।

त्र्यक्षरी साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र

1-श्रीं क्लीं श्रीं।

इसके ऋषिन्यास एकाक्षरी मंत्र की तरह हैं।

2-श्रीं स्ह्क्ल्ह्रीं श्रीं।

दसवीं महाविद्या कमला हैं इस मंत्र की अधिष्ठात्री। इसका विनियोग तथा ध्यान द्व्यक्षर मंत्र की तरह है।

षडंगन्यास- आं, ईं, ऊं, ऐं, औं, अ: से करें।

एकादशाक्षर लक्ष्मी मंत्र

यौं नौं नम: ऐं श्रियै श्रीं नम: (मेरुतंत्र से)

विनियोग- अस्य मंत्रस्य जमदग्नि ऋषि:, त्रिष्टुप छंद:, श्रीरामादेवता, सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:।

षड्ंगन्यास- यौं नौं मौं नम: ऐं हृदयाय नम:। यौं नौं मौं नम: ऐं शिरसे स्वाहा। यौं नौं मौं नम: ऐं शिखायै वषट्। यौं नौं मौं नम: ऐं कवचाय हुम। श्रियै नम: नम: नैत्रत्रयाय वौषट्। श्रीं नम: अस्त्राय फट्।

विशेष- सात रात्रियों में नित्य 12  हजार जप तथा उसके दसवें भाग के हवन से अभीष्ट की सिद्धि होती है।

द्वादशाक्षर मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ: (ह्सौ:) जगत्प्रसूत्यै नम:।

विशेष- दसवीं महाविद्या कमला के इस मंत्र का एक लाख जप करें। इसके दसवें भाग का हवन तिल, मधु, श्रीफल, बिल्वफल एवं कमल से करने पर श्रीवृद्धि। दूर्वा, गुडूची, एवं आज्य से हवन करने पर आयु की की वृद्धि, शालीहोम, पुष्प, बिल्वकाष्ट व सर्षप से हवन करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति, मरीची, जीरा, नारियल, गुडौदक एवं आज्यपक्वान से हवन करने पर राज्यलाभ होता है। इस मंत्र का नागवल्ली से हवन कर उस भस्म से ड़तिलक करने पर वशीकरण, पलाश की लकड़ी व फूल, वैश्य रक्तपुष्प व राजा जातीपुष्प से तथा शूद्र नीलपुष्प से हवन करने पर सभी बाधाएं दूर होती हैं तथा संतान की प्राप्ति होती है।

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