चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि देती हैं

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चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि देती हैं
समृद्धि देने वाली हैं चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी।

Fourth mahavidya bhubhneshwari : चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि देती हैं। महाविद्याओं में इनका अहम स्थान है। ये प्रकृति की आधार शक्ति हैं। इन्हें गोपाल सुंदरी भी कहा जाता है। इनका रूप मनमोहक है। इनकी उपासना कल्याणकारी होती है। शांति, वशीकरण व आर्थिक विकास में प्रभावी हैं। अन्य मनचाहा फल भी मिलता है। माता की कांति उदयीमान सूर्य के समान है। इनकी साधना से अद्भुत शक्ति मिलती है। मोक्ष के लिए यह अत्यंत प्रभावी हैं।

प्रभावी मंत्रों से करें खुद का कल्याण

चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि के साथ ही मनोवांछित फल देती हैं। इनके मंत्र अत्यंत प्रभावी हैं। भक्तिभाव से नियमपूर्वक जप करें। इनकी साधना में सावधानी आवश्यक है। नीचे कुछ मंत्र व जप विधि दे रहा हूं। उससे लाभ उठाएं। दस लाख गुरु मंत्र करने वाले पात्र हैं। वे खुद भी इसे कर सकते हैं। अन्यथा बिना गुरु के खुद साधना न करें। पूजन व भक्ति में कोई रोक नहीं है। उससे भी फल मिलता है।

एकाक्षरी मंत्र

ह्रीं

विनियोग

अस्य श्री भुवनेश्वरी मंत्रस्य शक्तिर्ऋषि: गायत्रीश्छंद: भुवनेश्वरी देवता हकारो बीजं ईकार शक्ति: रेफ: कीलकं चतुर्वर्ग सिद्ध्यर्थे विनियोग:।

न्यास

ऊं शक्तये ऋषये नम: शिरसि। ऊं गायत्र्यै छंदसे नम: मुखे। ऊं भुवनेश्वर्यै देवतायै नम: हृदि। हं बीजाय नम: गुह्ये। ईं शक्तये नम: पादयौ:। रं कीलकाय नम: सर्वांगे।

ध्यान

उद्यद् दिनकरद्युतिमिंदु किरीटां तुंगकुचां नयनत्रय युक्ताम्।

स्मेरमुखीं वरांकुश पाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम्।

जप विधि व फल

पुरश्चरण के लिए 32 लाख जप करें। फिर दशांश हवन करें। अर्थात 3 लाख 20 हजार मंत्रों से हवन करें। हवन में त्रिमधु एवं अष्ट द्रव्यों का उपयोग करें। अष्ट द्रव्य का अर्थ- अश्वत्थ, यज्ञोडुंबर, पाकड़, वटसमिध, तिल, श्वेत सरसों, खीर और घी है। बाद में भी मंत्र का रोज जप करें। जप करते समय जल को अभिमंत्रित करें। उसका घर में छिड़काव करें। कुछ हिस्सा खुद पीएं। इससे कवित्व का गुण होगा। मंत्र से अभिमंत्रित कर कर्पूर, अगर एवं कुंकुम से तिलक करें तो वशीकरण होता है। वशीकरण का अर्थ आभामंडल का बढ़ना है। विवाह में अड़चन हो तो वर या कन्या गले तक जल में खड़े होकर सूर्य बिंब को जल में देखते हुए तीन हजार जप करे। उसका विवाह हो जाएगा।

त्र्यक्षरी मंत्र

1-ऐं ह्रीं श्रीं

विनियोग एकाक्षरी मंत्र की तरह है।

न्यास

ऐं ह्रां, ऐं ह्रीं, ऐं ह्रूं, ऐं ह्रैं, ऐं ह्रौं, ऐं ह्र:।

जप विधि व फल

पहले 12 लाख जप करें। फिर दशांश हवन करें। हवन में त्रिमधुयुक्त खीर का प्रयोग करें। सांसारिक कामना सहित मोक्ष तक मिलता है।

त्र्यक्षरी मंत्र

2- ऐं ह्रीं ऐं

न्यास

ऐं ह्रां ऐं। ऐं ह्रीं ऐं। ऐं ह्रूं ऐं। ऐं ह्रैं ऐं। ऐं ह्रौं ऐं। ऐं ह्र: ऐं।

विनियोग, प्रयोग एवं जप विधि उपरोक्त ही है।

कामना पूर्ति में सहायक मंत्र

साधना में सफलता नहीं मिल रही हो तो चिंता न करें। जो मंत्र कर रहे हैं, उसके साथ निम्न मंत्र करें। चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि के साथ हर कामना पूरी करती हैं। आपको सफलता जरूर मिलेगी।

मंत्र

आं ह्रीं क्रों

न्यास

ह्रां, ह्रीं ह्रूं। ह्रैं, ह्रौं, ह्र:।

जप विधि व फल

भद्रायुक्त तिथि को सोमवार से शुरू करें। आग्नैय दिशा में मुख करके जप करें। उससे कामनाएं पूरी होने में मदद मिलेगी। चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि ही नहीं हर कामना पूरी करती हैं।

द्वयबीजाक्षर युक्तमंत्र

श्रीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:।

 

एक बीजाक्षर युक्तमंत्र

ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:।

 

त्र्य बीजाक्षर युक्तमंत्र

ऊं श्रीं क्लीं भुवनेश्वर्यै नम:।

जप विधि व फल

तीनों में से किसी मंत्र को कर सकते हैं। मंगलवार को शुरू करें। दक्षिणाभिमुख होकर जप करें। कामना की पूर्ति में सहायता मिलेगी।

चतुरक्षरबीज युक्त मंत्र

ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं भुवनेश्वर्यै नम:।

जप विधि व फल

चतुर्थी तिथि बुधवार को जप शुरू करें। नैऋत्य दिशा में मुंह करके जप करें। इससे सर्वार्थसिद्धि योग बनता है।

पंचाक्षरबीज युक्त मंत्र

ऊं श्रीं ऐं क्लीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:।

जप विधि व फल

पंचमी तिथि गुरुवार को जप शुरू करें। पश्चिम दिशा में मुंह कर जप करें। इससे अभीष्ट प्राप्ति का योग बनता है।

षडाक्षरबीज युक्त मंत्र

ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं: भुवनेश्वर्यै नम:।

जप विधि व फल

षष्ठी तिथि शुक्रवार को जप शुरू करें। वायव्याभिमुख होकर जप करें। इससे मंत्र सिद्धि का योग बनता है।

सप्ताक्षरबीज तिथियुक्त मंत्र

ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं: क्लीं ह्रीं भुवनेश्वर्यै नम:।

जप विधि व फल

अष्टमी तिथि रविवार को जप शुरू करें। ईशान दिशा में मुंह करके जप करें। इससे मंत्र सिद्धि का योग बनता है।

मंत्र

ऐं ह्रां ऐं, ऐं ह्रीं ऐं, ऐं ह्रूं ऐं, ऐं ह्रैं ऐं, ऐं ह्रौं ऐं, ऐं ह्र: ऐं।

जप विधि व फल

अष्टमी तिथि रविवार को जप शुरू करें। ईशान दिशा में मुंह करके जप करें। इससे मंत्र सिद्धि का योग बनता है। 

नोट-सभी मंत्रो में विनियोग व न्यास ऊपर हैं। चौथी महाविद्या भुवनेश्वरी समृद्धि ही नहीं सारी कामना पूरी करती हैं।

यह भी देखें- संक्षिप्त हवन विधि

 

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