Pashupatastra gives freedom from every crisis : हर संकट से मुक्ति दिलाता है पाशुपतास्त्र। इसे अवश्य आजमाएं। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। पूर्णिमा के साथ ही सावन भी समाप्त हो जाता है। अर्थात शिव की उपासना का एक माह का समापन हो जाता है। ऐसे समय में लोगों के लिए यह कठिन समय होता है। मन में सवाल कौंधता है कि उन्हें किस देवता की उपासना करनी चाहिए। ताकि वे स्वस्थ्य, सुरक्षित और प्रसन्न रहें। आइए हम आपको उसी की जानकारी दे रहे हैं। महाशिवरात्रि में पाशुपतास्त्र को अवश्य आजमाएं।
भक्तों की चिंता दूर करते हैं भोलनाथ
भोलेनाथ भक्तों की चिंता को दूर करने वाले हैं। शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भक्तों को मनोवांछित वरदान देने को तत्पर रहते हैं। उनके पाशुपतास्त्र मंत्र समस्त क्लेशों की शांति करता है। भक्तों को चारों दिशाओं में विजय दिलाता है। यह चमत्कारी स्तोत्र अद्भुत है। इसका पाठ कभी भी किया जा सकता है। अधिक फल के लिए निश्चित समय में पाठ करना चाहिए। पहले पवित्र तन-मन से भगवान ध्यान करें। फिर इसका पाठ करें। निश्चय ही हर संकट से मुक्ति दिलाता है पाशुपतास्त्र।
ये हैं स्तोत्र
ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिद्धिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे।
ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट। हूंकारास्त्राय फट। वज्र हस्ताय फट। शक्तये फट। दण्डाय फट। यमाय फट। खडगाय फट। नैऋताय फट। वरुणाय फट। वज्राय फट। पाशाय फट। ध्वजाय फट। अंकुशाय फट। गदायै फट। कुबेराय फट। त्रिशूलाय फट। मुदगराय फट। चक्राय फट। पद्माय फट। नागास्त्राय फट। ईशानाय फट। खेटकास्त्राय फट। मुण्डाय फट। मुण्डास्त्राय फट। काड्कालास्त्राय फट। पिच्छिकास्त्राय फट। क्षुरिकास्त्राय फट। ब्रह्मास्त्राय फट। शक्त्यस्त्राय फट। गणास्त्राय फट। सिद्धास्त्राय फट।
पाठकों की सुविधा के लिए अलग पाराग्राफ, स्तोत्र एक
पाठकों की सुविधा के लिए इन्हें अलग-अलग पाराग्राम में दिया जा रहा है। ध्यान रहे कि पाठ के समय ऊपर के दोनों और नीचे के दोनों पाराग्राफ को एक साथ पढ़ना है। इसमें कोई व्यतिक्रम नहीं हो। एक साथ पाठ से ही फल मिलेगा। तब निश्चय ही हर संकट से मुक्ति दिलाता है पाशुपतास्त्र।
पिलिपिच्छास्त्राय फट। गंधर्वास्त्राय फट। पूर्वास्त्रायै फट। दक्षिणास्त्राय फट। वामास्त्राय फट। पश्चिमास्त्राय फट। मंत्रास्त्राय फट। शाकिन्यास्त्राय फट। योगिन्यस्त्राय फट। दण्डास्त्राय फट। महादण्डास्त्राय फट। नमोअस्त्राय फट। शिवास्त्राय फट। ईशानास्त्राय फट। पुरुषास्त्राय फट। अघोरास्त्राय फट। सद्योजातास्त्राय फट। हृदयास्त्राय फट। महास्त्राय फट। गरुडास्त्राय फट। राक्षसास्त्राय फट। दानवास्त्राय फट। क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट। त्वष्ट्रास्त्राय फट। सर्वास्त्राय फट। नः फट। वः फट। पः फट। फः फट। मः फट। श्रीः फट। पेः फट। भूः फट। भुवः फट। स्वः फट। महः फट। जनः फट। तपः फट। सत्यं फट। सर्वलोक फट। सर्वपाताल फट। सर्वतत्व फट। सर्वप्राण फट। सर्वनाड़ी फट। सर्वकारण फट।
सर्वदेव फट। ह्रीं फट। श्रीं फट। डूं फट। स्त्रुं फट। स्वां फट। लां फट। वैराग्याय फट। मायास्त्राय फट। कामास्त्राय फट। क्षेत्रपालास्त्राय फट। हुंकरास्त्राय फट। भास्करास्त्राय फट। चंद्रास्त्राय फट। विघ्नेश्वरास्त्राय फट। गौः गां फट। स्त्रों स्त्रौं फट। हौं हों फट। भ्रामय भ्रामय फट। संतापय संतापय फट। छादय छादय फट। उन्मूलय उन्मूलय फट। त्रासय त्रासय फट। संजीवय संजीवय फट। विद्रावय विद्रावय फट। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट।
शिवरात्रि 11 को, अवश्य आजमाएं
इस बार 11 मार्च को महाशिवरात्रि है। इसके नवरात्र चल रहे हैं। उज्जैन समेत कई प्रमुख शिव मंदिर में नवरात्र की धूम है। विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जा रहे हैं। आप भी पाशुपतास्त्र का पाठ कर इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं। पाठ से पहले यदि संकल्प ले लें कि कितने दिन और कितनी बार करना है तो इसका प्रभाव बढ़ेगा। स्थान और समय भी समान रहना चाहिए। आप खुद महसूस करेंगे कि हर संकट से मुक्ति दिलाता है पाशुपतास्त्र।
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