सोने का महालक्ष्मी मंदिर : भव्यता और आध्यात्मिकता का संगम

406
सोने का महालक्ष्मी मंदर

Golden Mahalakshmi Temple : सोने का महालक्ष्मी मंदिर भव्यता और आध्यात्मिकता का संगम है। सर्वविदित है कि महालक्ष्मी धन की देवी हैं। ऐसे में उनका मंदिर भी भव्य होना चाहिए था। आपको पता है कि उनके इस मंदिर को बनाने में 15 सौ किलो सोना लगा है? यह मंदिर तमिलनाडु के वेल्लौर जिले में स्थित है। दुनिया के किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना अधिक सोना नहीं लगा है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में इससे आधा सोना लगा है।

रोज उमड़ती है भक्तों की भीड़

सौ एकड़ में स्थित यह मंदिर भक्तों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। प्रतिदिन औसतन एक लाख श्रद्धालु यहां आते हैं। सामान्य दिनों में दर्शन में तीन घंटे का समय लगता है। इतनी भीड़ के बाद भी श्रद्धालुओं को परेशान नहीं होना पड़ता है। तिरुपति मंदिर की तरह यहां भी तीन हाल बने हैं। बारी से एक-एक हाल के भक्तों को दर्शन कराया जाता है। कम बारिश के कारण जिले की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अब इसकी कमी इस मंदिर में आने वाले भक्तों से पूरी हो गई है।

भव्य कलाकृति और आध्यात्मिक भाव मन मोह लेता है

सोने के पत्तरों से बनी मंदिर की नक्कासी शानदार है। मंदिर का बाहरी और अंदरूनी हिस्सा मन मोह लेता है। इसकी भव्यता साक्षात महालक्ष्मी का अहसास कराती है। इसके साथ ही मन आध्यात्मिकता से ओतप्रोत हो जाता है। इसलिए उसे देर तक निहारने की इच्छा होती है। लेकिन वहां रुकना संभव नहीं होता है। भक्तों को लगातार आगे बढ़ते रहना होता है। दर्शन के बाद निकलते समय निःशुल्क गुड़ की खीर का प्रसाद दिया जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए अच्छी व्यवस्था

मंदिर ट्रस्ट की ओर से वहां रुकने की व्यवस्था है। इसमें ज्यादा खर्च नहीं होता है। खाने-पीने की इसमें इंतजाम नहीं है। इसके लिए पास के ढाबों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहां 50 से 60 रुपये में एक थाली खाना मिलता है। उसका स्तर संतोषजनक रहता है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से स्कूल और अस्पताल का संचलान किया जा रहा है। उसमें ट्रस्ट की ओर से रियायती दर की व्यवस्था की गई है।

यह भी पढ़ें : मंत्र जप के बाद भी क्यों नहीं मिलता मनचाहा फल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here