नीलकंठ में शिव ने किया था समुद्र मंथन के बाद विश्राम

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नीलकंठ में शिव ने किया था समुद्र मंथन के बाद विश्राम
नीलकंठ में शिव ने किया था समुद्र मंथन के बाद विश्राम

Shiva had rested after churning the ocean in Neelkanth : नीलकंठ में शिव ने किया था समुद्र मंथन के बाद विश्राम। वैसे तो शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की सर्वाधिक चर्चा होती है लेकिन भक्तों के लिए ऋषिकेश के पास स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का महत्व विशेष है। यहीं पर शिव समुद्र मंथन का हलाहल पीने के बाद वर्षों तक आराम करते रहे। बाद में देवताओं के आग्रह पर वे कैलाश वापस चले गए। समुद्र मंथन का गरल पीने के बाद शिव का कंठ विष से नीला हो गया था। इसलिए उन्हें नीलकंठ भी कहा गया है। सालों तक ऋषिकेश की एक चोटी पर विश्राम करने के बाद शिव विष के असर को कम कर पाए। विष से उनका सिर गरम हो गया था। देवताओं ने शीतलता प्रदान करने के लिए उनके माथे पर जल अर्पित किया। तभी से शिव को जल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।

श्रद्धालुओं के आकर्षण का बड़ा केंद्र

यह स्थान भक्तों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अद्भुत शांति का अनुभव होता है। कितना भी तनाव हो यहां आते ही मानो तिरोहित हो जाता है। मनोकामना पूर्ति का भी यह बड़ा केंद्र है। यहां श्रद्धालुओं की सालों भर भीड़ लगी रहती है। विशेष रूप से शिवरात्रि और सावन में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। उस समय यहां भोलेनाथ का दर्शन कठिन होता है। बाकी साल यहां नीलकंठ महादेव के दर्शन अपेक्षाकृत आसानी से किए जा सकते हैं। बाकी जगह के शिव मंदिर की तुलना में यहां आप चांदी के बने शिव लिंग का काफी निकटता से दर्शन कर सकते हैं। साथ-साथ दिखाई देती हैं अठखेलियां करती हुई गंगा की धारा। यह किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम है। समुद्र तल से 1675 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंदिर के बाहर समुद्र मंथन की कथा उकेरी गई है।

मनमोहक सफर

हलाहल पीने के बाद नीलकंठ में शिव ने किया था विश्राम। यदि आप नीलकंठ महादेव जाना चाहते हैं तो पहले ऋषिकेश पहुंचें। यहां से वहां तक पहुंचना आसान है। लक्ष्मण झूला के उस पार स्वर्गाश्रम टैक्सी स्टैंड से नीलकंठ के लिए जीप और कार मिलती है। 23 किलोमीटर का सफर 45 मिनट का है। जिस टैक्सी से आप जाएंगे वही आपको वापस भी छोड़ देगी। अगर भीड़ नहीं हो तो नीलकंठ में पूजा में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। यह यात्रा बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने के ट्रेलर की तरह ही रोमांचक है। नीलंकठ का 23 किलोमीटर का रास्ता पहाड़ों को चीरता हुआ बड़ा ही मनोरम है। नीलकंठ जाने का रास्ता ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम से पैदल जाने का भी है। यह मार्ग 11 किलोमीटर का है लेकिन सीधा चढ़ाई वाला है। जो लोग पहाड़ों पर ट्रैकिंग के शौकीन है वे इस मार्ग से नीलकंठ जा सकते हैं।

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