हमारा भविष्य हमारे हाथ में

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Your luck in your hand

 

जीवन में संयोग, दुर्घटना या आकस्मिक जैसी कोई चीज नहीं है। सब कुछ कार्यकारिणी नियम से बंधा है। सब कुछ हमारी फ्रीक्वेन्सी की भावना की प्रतिक्रिया भर है। हर घटना व दृश्य का भी कारण होता है। कार चलाते हुए ट्रैफिक पुलिस का दिखना, सायरन बजाते एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाड़ी, विज्ञापन बोर्ड के भी निहितार्थ होते हैं। जब कहीं कपड़ा फंसता है या हम फिसलते हैं तो यह हमें सतर्क करने का संकेत होता है। इसे समझने के लिए हम प्रतीक बना सकते हैं। जैसे यदि हम प्रेम की शक्ति से सराबोर हों तो कोई रंग, प्रकाश या वस्तु बना लें और उसकी लगातार कल्पना करें तो प्रेम की शक्ति के समय हमें वह दिखने लगेगा। इसी तरह चेतावनी के संकेत का प्रतीक बनाकर हम उसे भी महसूस कर सकते हैं।


–जब मैं सौर तंत्र को देखता हूं, तो पाता हूं कि गर्मी और प्रकाश की उचित मात्रा पाने के लिए पृथ्वी सूर्य से सही दूरी पर है। यह संयोग नहीं हो सकता।———आइजैक न्यूटन


हर चीज को प्रेम के हवाले कर दें

हर चीज प्रेम की शक्ति के हवाले कर दें। हर काम के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए धन्यवाद अवश्य कहें। यात्रा करने, सकुशल घर लौटने, भोजन देने आदि पर भी धन्यवाद दें। इसी तरह रास्ते में जो भी समस्याग्रस्त दिखे, उसे उसकी जरूरत के हिसाब (दुखी को सुख, निर्धन को धन, बीमार को अच्छा स्वास्थ्य) से प्रेम की शक्ति भेजें।


हर घटना और क्रिया के लिए खुद से सवाल पूछें। आज मेरा प्रदर्शन कैसा था, इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए, इस समस्या का समाधान क्या है, मुझे आज कहां प्रेम देना है, न मिल रही चाबी कहां है आदि। लगातार यह प्रक्रिया हमें (प्रेम की शक्ति) से जोड़ती है और जवाब मिलने लगता है। वास्तव में प्रेम की शक्ति हमारी व्यक्तिगत सहयोगी, परामर्शदाता, धन प्रबंधक, स्वास्थ्य प्रबंधक, संबंध परामर्शदाता आदि है।


छोटी समस्याओं व विवादों पर ध्यान न दें

छोटी-छोटी चीजें,समस्याएं,अनावश्यक विवाद हमें भटकाती हैं। इनका पूरे जीवन के परिप्रेक्ष्य में कोई महत्व नहीं है। अत: इन पर ध्यान न दें। इनकी ओर से मुड़ कर प्रेम से जुड़ जाएं। प्रेम का कोई विरोधी नहीं है। अपने जीवन को सादा, सहज और सरल बनाएं।


कोई वस्तु या घटना अपने आप में अच्छी या बुरी नहीं होती

कोई वस्तु, घटना, स्थिति अपने आप में अच्छी या बुरी नहीं होती है, हम ही उसे अर्थ देते हैं। जैसे कोई नौकरी, स्थान, रंग आदि बुरा या अच्छा नहीं होता, हमारे अहसास से उसका भाव तय होता है। अत: प्रयास कर अच्छे अहसास रखें।


–जब हृदय सही हो, तो व्यक्तिगत जीवन समृद्ध होता है। जब व्यक्तिगत जीवन समृद्ध हो तो घरेलू जीवन व्यवस्थित होता है। घरेलू जीवन व्यवस्थित हो तो राष्ट्रीय जीवन व्यवस्थित होता है और जब राष्ट्रीय जीवन व्यवस्थित हो तो पूरा संसार शांतिमय हो जाता है। ——-कन्फ्यूशियस


मानव तो क्या सृष्टि की किसी चीज का अस्तित्व कभी खत्म नहीं हो सकता, सिर्फ उनका रूप बदलता है। मौत के बाद जहां शरीर विभिन्न तत्वों में बदल जाता है, वहीं आत्मा भी रूप बदल लेती है। किसी के शरीर छोड़ने के बाद उसे न देख पाने का कारण यही होता है कि हम उस फ्रीक्वेन्सी में नहीं होते हैं। जैसे हम अल्ट्रावयलेट किरणें भी नहीं देख पाते हैं।


हमारे भीतर है स्वर्ग

प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि स्वर्ग हमारे भीतर है। वास्तव में स्वर्ग पवित्र प्रेम और आनंद की ही सर्वोच्च फ्रीक्वेन्सी है। आनंद ही जीवन का उद्देश्य है। हमारे पास अनुभव व आनंद लेने की अनंत संभावना है। समूचा जीवन, ब्रह्मांड, आकाशगंगा, नए आयाम सब कुछ सुलझ हैं। समय की कमी नहीं, जरूरत सिर्फ उस फ्रीक्वेन्सी पर पहुंचने की है। अतीत, वर्तमान और भविष्य का भेद स्थायी और सतत भ्रम के सिवा और कुछ नहीं है।–अलबर्ट आइंस्टीन


जीवन का लक्ष्य देना

जीवन का लक्ष्य देने में है। जब तक देंगे नहीं, संघर्ष करते रहेंगे। अत: अप्रितम प्रेम दें, अपना सर्वश्रेष्ठ दें। यही संसार की समस्त समृद्धियों व आनंद को खींचने वाली शक्ति है।


क्या करें, क्या न करें

1-हमेशा प्रेम व सकारात्मकता दें और सोचें कि मेरा जीवन बेहतरीन है तो सचमुच जीवन बेहतरीन हो जाएगा। अच्छी भावनाएं प्रेम से उपजती हैं। बुरी भावनाएं प्रेम के अभाव का प्रतीक हैं।

2-अच्छी भावनाएं बढ़ाने के लिए प्रतिदिन सुबह प्रिय चीजों, घटनाओं, वस्तुओं और व्यक्तियों के बारे में सोचें और उनके लिए प्रेम व कृतज्ञता देते हुए बेहतर दिन की कल्पना करें। सकारात्मकता का कांटा 51 फीसद झुकाने से सब अनुकूल हो जाएगा।

3-अच्छी चीज पाने के लिए पहले खुश होना होगा और उसे पाया मानकर धन्यवाद देना होगा, तभी वह मिलेगा। यदि खुश होने के लिए उसका इंतजार करेंगे तो कभी खुशी नहीं मिलेगी। हमेशा हमें अच्छा या बहुत अच्छा महसूस करना चाहिए।

4-कुछ समय निकाल कर प्रतिदिन घर, परिवार, दोस्त, संबंधी, वस्तु, घटनाएं, स्थान, स्वास्थ्य (शरीर) आदि में से प्रिय चीज की मानसिक सूची बनाएं और एक-एक कर उन्हें याद करते रहें तो अदभुत अनुभव होगा। हर माह ऐसी सूची लिखी और पढ़ी जानी चाहिए।

5-भावना को स्वचलित न रहने दें। अर्थात परिस्थिति के अनुरूप नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। हर स्थिति में प्रतिक्रिया सकारात्मक होनी चाहिए। जैसे यदि मेरे पास धन नहीं है तो हम अच्छा महसूस नहीं करेंगे। यानि नकारात्मक भावनाएं देंगे। ऐसे में कभी धन के बारे में अच्छी स्थिति नहीं आएगी।

6-सिर्फ महसूस करने के तरीके को बदल कर जीवन को बदल सकते हैं। हमने पहले कितनी और कौन सी गलतियां की इस पर अफसोस न करें। अतीत की गलतियों के बारे में गहरी भावना हमें बीमार करती हैं। बीती ताहि बिसारी देहि आगे की सुधि लेहि।

7-दोष देना, आलोचना, शिकायत, गलतियां खोजना आदि नकारात्मक आदतें हैं। जाम, महंगाई, खराब स्वास्थ्य, संतान आदि के बारे में गलत सोचना भी नकारात्मकता है। भयंकर, भयानक, बेकार जैसे शब्द के बदले जबर्दस्त, अदभुत, शानदार बेहतरीन और जोरदार जैसे शब्दों का प्रयोग करें।


8-सृजन करें—— हम जिसकी भी कल्पना कर सकते हैं, वह पहले से मौजूद है।

हम जो चाहें प्राप्त कर सकते हैं, जरूरत है उस पर प्रेम देते हुए ध्यान केंद्रीत कर उसे पा लेने, उसके साथ रहने के अहसास की कल्पना करने की। यह भावना (प्रेम) तार्किकता से परे होनी चाहिए। इसके लिए कोई चीज बड़ी नहीं है। बड़े घेरे में बिंदु वाले चित्र का प्रयोग करें।

इसके लिए इंद्रियों का उपयोग करते हुए मनचाही चीज के साथ रहने के हर दृश्य और स्थिति की कल्पना व अहसास करें और यह महसूस करें कि वह हमारे पास आ चुकी है। इसके लिए नाटक भी करें कि मनचाही चीज हमारे पास है। उसके लिए छोटे-मोटे सामान जुटाएं और उससे खुद को घेरें। जैसे छरहरा शरीर चाहते हैं तो वह होने की कल्पना करें और वस्त्र आदि जुटाएं।

हर दिन सात मिनट तक ऐसा करें, जब तक कि मनचाही चीज हमें हासिल न हो जाए। हमेशा प्राप्त प्रिय वस्तु या जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं, उसे प्राप्त मानकर उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते रहें और धन्यवाद दें, चाहे वह वस्तु कितनी भी छोटी क्यों न हो।


9-जीवन हमारी सोच व अहसास का अनुसरण करता है। यह हम पर निर्भर है कि हम किसका चुनाव करते हैं और किसे प्रेम देते हैं। किसी चीज पर यदि अच्छा महसूस कर रहे हैं, मतलब हम उसे प्रेम दे रहे हैं। यदि दुख व ईर्ष्या महसूस कर रहे हैं तो नकारात्मकता दे रहे हैं।


10-दूसरों को मिली मनचाही खुशी पर वैसे ही खुश व रोमांचित हों जैसे वह आपको मिली हो। संतान चाहते हैं तो बच्चों से प्रेम करें। कार व मकान चाहिए तो उसे प्रेम दें व आकर्षण महसूस करें। आकर्षण का नियम का एक ही सूत्र है। हां कहना सिर्फ हां।


11-मनचाही चीज, घटना, व्यक्ति आदि को समर्पित प्रेमी की तरह भरपूर प्रेम दें। अर्थात उसमें सिर्फ और सिर्फ अच्छाई देखकर अभिभूत हों। जहां जाएं प्रिय चीज (पेड़, फूल, प्रकृति, व्यक्ति, वस्तु आदि) की तलाश करें और उसे भरपूर प्रेम दें। केवल उसे ही देखें, उसे ही सुनें और उसी की बात करें।


12-धन के प्रति कैसे बदले अहसास——

(अ)-कोई भी बिल चुकाते समय अच्छा महसूस करें। सोचें कि आप सुविधा का चेक दे रहे हैं। सुविधा के प्रति कृतज्ञता महसूस करें। धन्यवाद दें। इसी तरह किसी भी खर्च के लिए पैसे देते समय अफसोस न करें बल्कि खुश हों।

(ब)-वेतन या धन हाथ में आने पर खुश हों। सोचें कि वह बड़ी व सुविधापूर्ण रकम है। धन्यवाद दें। यह न सोचें कि इतनी रकम से महीना कैसे चलेगा। मुनाफे या वेतन के बराबर अपने कार्य में योगदान दें और उसे करते हुए अच्छा (खुशी) महसूस करें तो शानदार सफलता मिलेगी।

(स)-नोट व क्रेडिट कार्ड के एक खास हिस्से को धन की प्रचुरता का प्रतीक मानकर हमेशा उसे ही सामने की तरफ उलट-पुलट कर रखें और उसे देखकर प्रचुर धन होने का अहसास करें।

(ड)-किसी जरूरतमंद को धन देते समय खुशी का अनुभव करें और सोचें कि इस से उसे कितनी मदद मिलेगी, उसे कितना आनंद आएगा। यही सोच धन की प्रचुरता का कारण बनता है।


13-सामने वाले को बदलने (कथित रूप से सुधारने) की कोशिश, उसके लिए क्या अच्छा व बुरा है, यह तय करने की कोशिश, आलोचना, दोष मढ़ना, शिकायत करना आदि प्रेम नहीं है। व्यक्ति जैसा है, अच्छा और प्रिय है का सिद्धांत ही प्रेम का आधार है।


14-हमें जीवन में अक्सर कड़े आलोचक, कठिन स्थिति में लाने वाले विरोधी जैसे मिलते हैं। दरअसल ये लोग हमारे व्यक्तित्व के भावनात्मक प्रशिक्षक हैं, जो प्रेम के लिए चुनौतियां पेश कर हमें प्रशिक्षित कर सिर्फ प्रेम के विकल्प का चुनाव करना सिखाते हैं।


15-हमेशा सकारात्मक रहने के लिए दूसरों में प्रिय चीजों की तलाश कर हम मनचाही चीज को अपने से चिपका सकते हैं। जहां नकारात्मक स्थिति या चर्चा हो, वहां से कट कर निकल जाएं या अपना ध्यान बदल कर अपनी फ्रीक्वेन्सी बदल लें।


16-खुद को हमेशा युवा व फिट महसूस करते हुए हमेशा हर अंग को आदर्श स्थिति में रखने का भाव रखेंगे और कृतज्ञपा देते हुए धन्यवाद कहेंगे तो रोग हमें छू भी नहीं सकेगा।


17-हर काम के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए धन्यवाद अवश्य कहें। यात्रा करने, सकुशल घर लौटने, छोटे-मोटे काम होने आदि पर धन्यवाद दें। खाने-पीने से पहले उसके प्रति प्रेम व कृतज्ञता महसूस करना चाहिए। उस दौरान सकारात्मक बातें करें। इलाज के दौरान दवा आदि के सेवन में भी यही करें।


18-इसी तरह रास्ते में जो भी समस्याग्रस्त दिखे, उसे उसकी जरूरत के हिसाब (दुखी को सुख, निर्धन को धन, बीमार को अच्छा स्वास्थ्य) से प्रेम की शक्ति भेजें।

19-प्रेम की शक्ति हमारी व्यक्तिगत सहयोगी, परामर्शदाता, धन प्रबंधक, स्वास्थ्य प्रबंधक, संबंध परामर्शदाता आदि है। अत: हर घटना और क्रिया के लिए खुद से सवाल पूछें। आज मेरा प्रदर्शन कैसा था, इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए, इस समस्या का समाधान क्या है, मुझे आज कहां प्रेम देना है, न मिल रही चाबी कहां है आदि। लगातार यह प्रक्रिया हमें (प्रेम की शक्ति) से जोड़ती है और जवाब मिलने लगता है।



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