सुखद जीवन चाहिए तो इन बातों का रखें ध्यान

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सुखद जीवन चाहिए तो इन बातों का रखें ध्यान
सुखद जीवन चाहिए तो इन बातों का रखें ध्यान।

If you want to happy life, keep these things in mind : सुखद जीवन चाहिए तो इन बातों का रखें ध्यान। दैनिक जीवन में ध्यान देने वाली कुछ बातों को याद रखना आवश्यक है। बातें छोटी हैं। उनका असर जीवन पर गहरा पड़ता है। इसका पालन करने से जीवन सुखद होगा। अन्यथा समस्याओं से घिरे रहेंगे। काफी शोध के बाद ऋषि-मुनियों ने ये सिद्धांत बनाए हैं। उनके विचारों का निचोड़ आपके समक्ष रख रहा हूं।

सत्य बोलें, प्रिय बोलें लेकिन अप्रिय सत्य नहीं बोलें

आदि शंकराचार्य ने सत्य बोलने पर जोर दिया था। कहा था- सत्य बोलें, प्रिय बोलें लेकिन अप्रिय सत्य नहीं बोलें। जब हम समाज में रहते हैं तो हमें सामाजिक और व्यावहारिक पहलू को भी ध्यान में रखना पड़ता है। इसका यह अर्थ नहीं कि झूठ कहा जाए। इसमें झूठ का समर्थन नहीं है। अपितु दूसरे को आहत करने वाले सत्य को उद्घाटित करने पर अड़े रहने से बचने की सलाह दी गई है। अर्थात ऐसी स्थिति में मौन रहकर या मौके से हटकर भी अप्रिय प्रसंग को टाला भी जा सकता है। इससे झूठ बोलने के पाप से भी बचा जा सकता है।

दान का अर्थ त्याग है, बेकार वस्तु हटाना नहीं

दान देते समय नम्रता और त्याग का भाव होना चाहिए। देने का अहंकार उसके पुण्य को खत्म कर देता है। अर्थात उसे छुपकर देना चाहिए। सुखद जीवन चाहिए तो ध्यान रखें कि दान में नाम और पहचान गोपनीय हो तो अच्छा। देने वाले को लेने वाले के समक्ष झुकना चाहिए। यह सोचें कि उसने आपको दान का अवसर दिया है। दाता का भाव अहंकार जगाता है। यह भी ध्यान दें कि दान बेकार की वस्तु का न हो। लेने वाला जिसका ठीक से उपयोग कर सके, वह दें। जो वस्तु हमारे लिए जरूरी और प्रिय है, वह दूसरों के लिए भी जरूरी होगा। तभी उसका असली फल मिल सकेगा।

सुख की इच्छा ही दुख का कारण है

सुखों की इच्छा दुख का कारण है। अधूरी इच्छाएं असंतोष को जन्म देती है। इसलिए ऋषियों ने संयमित जीवन जीने की सलाह दी है। इच्छाओं को जितना बढ़ाओगे, वह बढ़ती जाएगी। एक पूरी हुई नहीं कि दूसरी की चाह होगी। दूसरी के पूरी होने पर तीसरी, चौथी, पांचवीं बढ़ती ही जाएगी। यही भाव असंतोष का रूप लेता है। वह अंततः दुख का कारण बन जाता है। अतः इच्छाओं पर लगाम लगाएं। तभी मन में सुख, संतुष्टि और आत्मसंतोष का भाव आ सकेगा।

अहंकार से दूर होते हैं परमात्मा

यदि आपके पास पर्याप्त धन है और मन अहंकार है तो आप खतरे में हैं। इससे मात्र भौतिक सुख समय मिलेगा। यह सुख कुछ समय के लिए होता है। इससे आप परमात्मा से जुड़ नहीं पाएंगे। उलटे परमात्मा आपसे दूर हो जाएंगे। उन्हें पाने के लिए मन में करुणा, दया और नम्रता चाहिए। इसलिए रुपये कमाएं तो परमात्मा को धन्यवाद देना नहीं भूलें। अन्यथा आप उनसे दूर हो जाएंगे। स्थाई रूप से सुखद जीवन चाहिए तो परमात्मा से जुड़ना ही होगा।

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क्षमा करने में ही असली सुख 

दूसरों के अपराधों को क्षमा नहीं करने में असली सुख है। यही घर, परिवार, समाज में एकता का आधार है। इससे भौतिक सुखों की प्राप्ति तो होती ही है, परमात्मा भी प्रसन्न होते हैं। संबंध मधुर उत्तरदायित्व है। इसमें स्वार्थ और निजी हित का भाव नहीं होना चाहिए। जितना ज्यादा समर्पण होगा, उतना आत्मिक सुख मिलेगा। संबंध भी उतने मजबूत और मधुर होंगे।

मंदिर के द्वार पर सभी भिखारी

धन और भौतिक सुख भ्रम है। मंदिर के द्वार पर सभी भिखारी ही हैं। वहां हर आदमी याचक की तरह जाता है। सभी की स्थिति समान होती है। लोगों के दुख का कारण भी यही है। इसी में जीवन का रहस्य छुपा है। लोग दुख के समय याचक बनकर भगवान के पास पहुंच जाते हैं। सुख के समय उन्हें याद नहीं करते। उनका प्यार पाने के लिए प्रार्थना बहुत कम करते हैं। प्रार्थना के मूल में प्रेम नहीं अपेक्षा होती है। इसलिए उनसे सीधे जुड़ नहीं पाते हैं।

कमजोर करती हैं नकारात्मक शक्तियां 

नकारात्मक शक्तियां लोगों को कमजोर करती हैं। ईर्ष्या और घृणा दूसरे से अधिक स्वयं को नुकसान पहुंचाता है। इनसे सकारात्मक शक्ति की आशा नहीं की जा सकती है। मात्र नकारात्मक शक्ति ही निकलेगी। उसे ही मजबूती मिलेगी। और फिर वही लौट कर आएगा। वास्तव में नकारात्मक सोच व्यक्ति को कुंठित कर देती है। उसमें कुछ बेहतर कर सकने की ऊर्जा कम हो जाती है। इसका कुपरिणाम अंततः उसी व्यक्ति को भोगना पड़ता है। सुखद जीवन चाहिए तो इस मंत्र को हमेशा याद रखें।

दुनिया में सिर्फ दो तत्व हैं- सौंदर्य और सुंदरता

संसार में केवल दो तत्व हैं। पहला सौंदर्य और दूसरा सत्य। सौंदर्य प्रेम करने वाले के हृदय में होता है। सत्य श्रम करने वाले की भुजाओं में होता है। इच्छा जीवन को कम करता है। उदासीनता आधी मौत कही जाती है। निजी कल्याण के लिए पक्षपात से ऊंचा उठें। यदि ऐसा कर लिया तो देवता के समान बन जाएंगे। ये ऐसी बातें हैं जिन पर दैनिक जीवन में ध्यान देकर अपना वर्तमान और भविष्य सुधार सकते हैं। सुखद जीवन चाहिए तो इसे अवश्य अपनाएं।

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