हनुमान जन्मोत्सव पर उनके 12 नाम

383
हनुमान जी का जन्मोत्सव सन 2018 में 31 मार्च को है। हनुमानजी जी की आराधना, उपासना और प्रसन्नता प्राप्त करने का यह सुअवसर है। उनकी उपासना की कई विधि और पद्धति है। उन्हीं में से एक है उनके 12 नाम और उनके महत्व को समझ कर पाठ करना। इस लेख में उसी के बारे में जानकारी दी गई है।
धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा उनकी स्तुति की जाती है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीहनुमान अंक के अनुसार हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है। हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार है-
स्तुति
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इन 12 नामों से होती है हनुमानजी की स्तुति, जानिए इनकी महिमा
हनुमान
हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योकी एक बार कोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु पर वज्र का प्रहार होने के कारण ही इनका नाम हनुमान पड़ा।
लक्ष्मणप्राणदात
जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने शक्ति का उपयोग कर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया था, तब हनुमानजी  संजीवनी बूटी लेकर आए थे। उसी बूटी के प्रभाव से  लक्ष्मण को होश आया था।इनेहें हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है।
दशग्रीवदर्पहा
दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला । हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता का पता लगाया, रावण के पुत्र अक्षयकुमार का वध किया साथ ही लंका में आग भी लगा दी ।इस प्रकार हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था । इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है।
रामेष्ट
हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं । धर्म ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वर्णन मिलता है कि श्रीराम ने हनुमान को अपना प्रिय माना है । भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है।
फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है । युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे । इस प्रकार उन्होंने अर्जुन की सहायता की । सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है । फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र।
पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला ।अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी का वर्णन किया गया है । उसमें हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है । इसलिए इनका एक नाम  पिंगाक्ष भी है।
अमितविक्रम
विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक । हनुमानजी ने अपने पराक्रम के बल पर ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था । इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता हैं।
उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला । सितारे माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांधा था। इसलिए इनका एक नाम ये भी है।
अंजनीसूनु
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसूनु भी प्रसिद्ध है।
वायुपुत्र
हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है । पवनदेव के और से पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
महाबल
हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं । इसलिए इनका एक नाम महाबल भी है।
सीताशोकविनाशन
माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here