शब्दों से परे हैं आदि शक्ति महाकाली

821
शब्दों से परे हैं आदि शक्ति महाकाली
शब्दों से परे हैं आदि शक्ति महाकाली।

Adi Shakti Mahakali is beyond words : शब्दों से परे हैं आदि शक्ति महाकाली। उनके गुणों की पूरी जानकारी दे पाना किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए कहा गया है कि मां की महिमा का बखान शब्दों से नहीं, भावों से किए जाते हैं। उनकी महिमा अनंत है। उन्हीं से सृष्टि है। ये ही ब्रह्मांड की संचालिका हैं। इनके अनंत रूप और नाम हैं। मूलत: नौ रूपों में जानी जाती हैं। इनके 1008 नाम हैं। स्मरण मात्र से आपदा से मुक्त करने वाली हैं। कलियुग में इन्हीं की आराधना सर्वोपरि है। ये ही सरस्वती के रूप में विद्या, लक्ष्मी के रूप में धन और काली के रूप में काल की अधिष्ठात्री हैं। दुर्गा भी इन्हीं का रूप है। यूं कहें तो भिन्न रूपों में भिन्न-भिन्न कार्यों का संचालन करती हैं।

माता की प्रार्थना से मिलती है शांति

इनकी प्रार्थना शांति प्रदान करने वाली है। प्रार्थना है -ऊं जयंती मंगलकाली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते। विश्व के कण-कण में व्याप्त महामाया की शक्ति अनादि व अनंत है। मां के समस्त अवतारों की पूजा, अर्चना व उपासना करने से मनुष्य का तेज बढ़ता है। दुष्टों को स्वतः दमन होता है। नवरात्रि में मां जगदंबा की आराधना अत्यधिक फलप्रदायिनी होती है। हठयोग के अनुसार मानव शरीर के नौ छिद्र महामाया की नौ शक्तियां हैं। उनकी अष्टभुजाएं क्रमश: पंच महाभूत व तीन महा गुण हैं। महादेवी की महाशक्ति का प्रत्येक अवतार तंत्र शास्त्र से संबंधित है। यह भी देवी की एक अद्भुत महिमा है।

यह भी पढ़ें- तंत्र का केंद्र कामाख्या मंदिर, होती है मनोकामना पूरी

हर अवतार में शिव और शक्ति रहे साथ

शिवपुराण के अनुसार महादेव के हर अवतार में उनके साथ महादेवी भी अलग-अलग रूपों में रही हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं।

1-महादेव के महाकाल अवतार में देवी महाकाली के रूप में उनके साथ थीं।

2-महादेव के तारकेश्वर अवतार में भगवती तारा के रूप में उनके साथ थीं।

3-महादेव के भुवनेश अवतार में मां भुवनेश्वरी के रूप में उनके साथ थीं।

4-महादेव के षोडश अवतार में देवी षोडशी के रूप में साथ थीं। वास्तव में शब्दों से परे हैं महाकाली।

5-महादेव के भैरव अवतार में देवी जगदंबा भैरवी के रूप में साथ थीं।

6-महादेव के छिन्नमस्तक अवतार के समय मां छिन्नमस्ता रूप में साथ थीं।

7-महादेव के ध्रूमवान अवतार के समय धूमावती के रूप में देवी उनके साथ थीं।

8-महादेव के बगलामुखी अवतार के समय माता बगलामुखी रूप में साथ थीं।

9-महादेव के मातंग अवतार के समय देवी मातंगी के रूप में उनके साथ थीं।

10-महादेव के कमल अवतार में देवी कमला रूप में साथ थीं।

दस महाविद्या के नाम से प्रचलित जगदंबा के ये दस रूप उपासकों की आराधना का अभिन्न अंग हैं। इन महाविद्याओं द्वारा उपासक कई प्रकार की सिद्धियां व मनोवांछित फल की प्राप्त करता है।

महाकाली की उत्पत्ति की अलग-अलग कथाएं

महाकाली अजन्मा और निराकार हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं। ब्रह्मांड में उनसे अलग कोई शक्ति नहीं है। भक्तों के दुख दूर करने के लिए उन्होंने कई बार अवतार लिया है। शब्दों से परे हैं आदि शक्ति महाकाली। श्रीमार्कंडेय पुराण के अनुसार महाशक्ति के तीन नाम व स्वरूप में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती है। श्रीदुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय के अनुसार देवता की प्रार्थना पर मां दुर्गा माता पार्वती के शरीर से निकलीं। तब पार्वती का शरीर काला हो गया। वे काली के नाम से उसी पर्वत पर निवास करती हैं। आठवें अध्याय के अनुसार काली की उत्पत्ति मां अंबा के ललाट से हुई है।

मां की महिमा अपरंपार

जगदंबा की महिमा अपरंपार है। उनके गुण का बखान संभव ही नहीं है। फिर भी कुछ गुणों पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूं।

1- जैसे अग्नि के संपर्क में आने से पतंगा भस्म हो जाता है, उसी प्रकार काली देवी के संपर्क में आने के उपरांत साधक के समस्त राग, द्वेष, विघ्न आदि भस्म हो जाते हैं।

2- महाकाली स्तोत्र एवं मंत्र को धारण करने वाले साधक की वाणी में विशिष्ट ओज व्याप्त होता है। इससे गद्य-पद्यादि पर उसका पूर्व आधिपत्य हो जाता है।

3- ऐसे साधक के व्यक्तित्व में विशिष्ट तेज व्याप्त होने से उसके प्रतिद्वंद्वी उसे देखते ही पराजित हो जाते हैं।

4- काली साधना से सहज ही सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है।

5- माता का स्नेह अपने साधकों पर सदैव रहता है। वे अत्यंत कल्याणमयी हैं।

6- जो जातक इनकी साधना को श्रद्धा व भक्तिपूर्वक करता है वह निश्चित ही सभी भौतिक व आध्यात्मिक लक्ष्य को पाता है। इसी कारण कहा गया है कि शब्दों से परे हैं मां।

7- काली अपने उपासक को चारों दुर्लभ पुरुषार्थ देती हैं। उसके महापाप को नष्ट करती हैं। साथ ही समस्त भोग प्रदान करती हैं।

नोट-महाकाली के विभिन्न रूप के मंत्र और उपासना विधि इसी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

यह भी पढ़ें- पहली महाविद्या काली से देवता भी पाते हैं शक्ति व सिद्धि

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here