नेत्र रोग के ज्योतिषीय कारण व उसके उपाय

72
पति-पत्नी में अनबन दूर करने के अचूक उपाय
Parivartan ki awaj

astrological reason for eyes disease and its cure: नेत्र रोग की समस्या रोज़मर्रा के जीवन में आम हो गयी है। क्या आप जानते हैं की कभी-कभी इनका कारण आपकी जन्मकुंडली से भी जुड़ा हुआ होता है। आइये देखें क्या हैं इनके कारण और किन उपायों से इनको ठीक किया जा सकता है।

किसी व्यक्ति की आंखों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए कुंडली के दूसरे भाव को देखा जाता है। उसमें भी दायीं आंख के लिए दूसरा भाव और बायीं आंख के लिए द्वाद्श भाव को देखा जाता है। यह तो हम सभी जानते हैं की सूर्य और चंद्र दोनों प्रकाश ग्रह है। इसलिए सूर्य से दायीं आंख और बायीं आंख की स्थिति को समझा जा सकता है। यदि कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य हों और बारहवें में चंद्र तो ऐसे में नेत्र रोग संभावना रहती है।

आँखों की स्वस्थता के लिए कुंडली के दूसरे भाव में मंगल को अनुकूल नहीं माना जाता है। इस भाव में यदि मंगल गंभीर नेत्र रोग दे सकता है। यहां मंगल की स्थिति व्यक्ति को नेत्र संबंधी शल्य चिकित्सा देती है। व्यक्ति को आजीवन चश्मा लगाना पड़ सकता है।

नेत्र रोग होने के अन्य ज्योतिषीय नियम नीचे दिए गए हैं

बारहवें स्थान में राहु/केतु की स्थिति आँखों से संबंधित दुर्घटना की आशंका देती है।

यदि शुक्र दूसरे स्थान में स्थित हों तो ऐसे व्यक्ति की आंखे सुंदर तथा किसी भी प्रकार के दोष से मुक्त होती है। यदि दूसरे भाव के स्वामी की स्थिति कमजोर हो या त्रिकभावों में हो तो ऐसी स्थिति में शुक्र अपना पूर्ण फल नहीं दे पाता है।

दूसरे भाव में शनि की स्थिति हो तो व्यक्ति को नेत्र रोग होने की संभावनाएं बनी रहती है।

ज्योतिष शास्त्र में स्वस्थ नेत्र और हृदय के लिए सूर्य को महत्ता दी गई है। सूर्य आँखों का कारक ग्रह भी होता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत होना चाहिए।

यह भी पढ़ें- छोटी सिद्धियों में शाबर मंत्र लाजवाब

नेत्र ज्योति बेहतर करने के ज्योतिषीय उपाय

प्राचीन समय में ऋषि-मुनि की आँखें बिलकुल स्वस्थ रहती थी। ऐसा इसलिए कि वे चाक्षुषोपनिषद (चाक्षुषी विद्या) का पाठ करते थे। मान्यता है कि इसका पाठ करने से आंखों से संबंधित सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं। इसका पाठ करने के बाद सूर्यदेव को जल अवश्य ही अर्पित करें।

तांबे के लोटे से सूर्य को जल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तांबे के लोटे से सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और उस गिरते जल से सूर्य को देखें। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है साथ ही साथ ही दिल के रोग भी ठीक होते हैं ।

मीठा भोजन या फलाहार

रविवार का दिन सूर्य का दिन माना गया है। रविवार को फलाहार करने से आंख की रोशनी में इजाफा होता है।
मंत्र का जप

‘ओम ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:’ यह सूर्य का तांत्रिक मंत्र है। इसका रोजाना 108 बार जप करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। याद रहे ये जप सूर्यदेव को जल चढ़ाने के बाद करें।

तांबे के बर्तन का पानी

रात को तांबे के बर्तन में पानी भर के रखें सुबह उस पानी से आँखों को धोए। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह उपाय आपकी आंखों की रोशनी बढ़ा देगा। इससे सभी प्रकार के नेत्र रोग ठीक होते हैं ।

ईश्वर आराधना करते समय जलती हुई ज्योति को एकाग्राचित्त होकर देखें ।

पूजन करते समय नेत्र खुले रखें और भगवान की प्रतिमा को निहारें।

यह भी पढ़ें- भौतिक युग में चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई भी महत्वपूर्ण

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here