चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से, साधना व मनोकामना पूर्ति का मौका

142
चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से, साधना व मनोकामना पूर्ति का मौका
चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से, साधना व मनोकामना पूर्ति का मौका>

Chaitra Navratra from 13 April : चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। यह शक्ति अर्जन और मनोकामना पूर्ति का स्वर्णिम अवसर है। यदि आप साधक हैं तो शक्ति अर्जन करने के उपाय कर सकते हैं। यदि कोई मनोकामना है तो उसकी पूर्ति के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं। हिंदू नववर्ष के पहले माह चैत्र में यह नवरात्र पड़ता है। अवसर एक तरह का उपहार है। इस महापर्व के सदुपयोग की आज से ही तैयारी कर लें। मान्यता है कि इस दौरान विधिपूर्वक मां की उपासना करने से परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि आती है। इस दौरान किए जा सकने वाले कुछ प्रमुख अनुष्ठानों की जानकारी मैं अगले कुछ दिनों में दूंगा। फिलहाल इस नवरात्र के शुभ मुहूर्त, समय, योग और नौ रूपों की संक्षिप्त जानकारी।

नौ दिन का नवरात्र, 21 को रामनवमी

चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। यह पूरे नौ दिनों तक चलेगा। 21 को नवमी अर्थात रामनवमी होगी। इस दौरान हर दिन माता दुर्गा के एक-एक रूपों की पूजा का विधान है। इस तरह साधक नौ दिनों में नौ रूपों की पूजा करते हैं। आमतौर पर श्रद्धालु दुर्गा की सामान्य पूजा कर ही संतुष्ट हो जाते हैं। जबकि नियमानुसार उन्हें हर दिन माता के अलग-अलग रूप की पूजा करनी चाहिए। हर दिन और हर रूप का अलग संदेश, महत्व और फायदा है। आगे माता के नौ रूपों का संक्षिप्त परिचय और फायदे की जानकारी दे रहा हूं। शुरुआत पहले दिन की माता शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी के बारे में। हर दिन माता की विधिवत पूजा करनी चाहिए। नियमपूर्वक शक्ति की उपासना से चमत्कारिक फायदा महसूस करेंगे।

यह भी पढ़ें- पहला दिन शैलपुत्री के नाम, भक्तों की मनोकामना करती हैं पूरी

पहले दिन शैलपुत्री और दूसरे दिन करें ब्रह्मचारिणी की पूजा

शैलपुत्री के रूप में माता हिमालय की पुत्री हैं। श्वेत वस्त्र पहनी और वृषभ पर आरूढ़ माता सरलता, सादगी और प्रेम की मूर्ति है। वे मानव के रूप में जन्म लेकर महादेवी बनीं। अतः उनका संदेश भी यही है कि कठोर तप और अनुशासन से ही सफलता मिलती है। विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य न खोएं। साधना शुरू करने वाले का इस दिन मन को मूलाधार चक्र में स्थापित करता है। इनकी उपासना से रोग से मुक्ति मिलती है। ब्रह्मचारिणी रूप में माता ने कठोर तप किया था। तब उन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त किया। कठोर परिश्रम ही उनका संदेश है। अत्यंत तेजोमयी माता के एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल है। इस रूप में वे भक्तों का स्तर ऊपर उठाती हैं। इनकी पूजा से लंबी उम्र मिलती है। चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इसका अवश्य फायदा उठाएं।

यह भी पढ़ें- कठोर तप की प्रेरणा देती हैं दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी

तीसरे दिन चंद्रघंटा व चौथे दिन कूष्मांडा की उपासना

नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की उपासना करें। सिंह पर सवार दस हाथों वाली माता के मस्तक पर अर्दचंद्र है। ये दुष्टों का नाश और भक्तों को अभय देती हैं। ये जीवन की तकलीफों को दूर करती हैं। इनकी उपासना का शीघ्र फल मिलता है। कई साधकों को इनकी उपस्थिति की अनुभूति भी होती है। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। चौथे दिन दुर्गा के चौथे रूप कूष्मांडा की उपासना की जाती है। आदि शक्ति इन्हीं माता ने सृष्टि की रचना की थीं। आठ भुजाओं वाली माता सभी सिद्धियों और निधियों के देने वाली हैं। इनकी उपासना से रोग व शोक नष्ट होते हैं। वे आयु और यश बढ़ाने वाली हैं। इनकी उपासना से साधक का मन अनाहत चक्र में पहुंचता है।

यह भी पढ़ें- अति कल्याणकारी हैं चंद्रघंटा, दुर्गा के तीसरे रूप की महिमा निराली

शुभ मुहूर्त में करें घट स्थापना

इस बार चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। सुखद बात यह है कि इस बार घट स्थापन के लिए सुबह करीब सवा चार घंटे तक शुभ मुहूर्त है। आम श्रद्धालु सुबह 05.28 बजे से 10.14 बजे के बीच घट स्थापन कर सकते हैं। देर से उठने वालों के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त 11.56 बजे से 12.47 बजे तक है। साधकों के लिए इस दिन विशेष योग भी है। सुबह 06.11 बजे से 02.19 बजे के बीच अमृतसिद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग भी है। दोपहर में अभिजीत मुहूर्त है।

नोट- चैत्र नवरात्र पर मां दुर्गा के शेष पांच रूपों के बारे में पढ़ें अगले अंक में।

यह भी पढ़ें- आदि शक्ति कूष्मांडा ने की सृष्टि की रचना, दुर्गा का चौथा रूप हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here