महिषासुर पर विजय का प्रतीक मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर

769
महिषासुर पर विजय का प्रतीक मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर
महिषासुर पर विजय का प्रतीक मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर।
Chamundeshwari temple of mysore symbolizing victory over mahishasur : महिषासुर पर विजय का प्रतीक मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर। यह मंदिर असत्य और अन्याय पर सत्य व न्याय की जीत का प्रतीक। मां को मैसूर के राजा का दर्जा प्राप्त है। यह पहाड़ी शहर से से 13 किलोमीटर है। 700 साल से ज्यादा पुराना है यह मंदिर। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर के पास महिषासुर की विशाल प्रतिमा रखी है। पहाड़ी के रास्ते में काले ग्रेनाइट से बने नंदी बैल के भी दर्शन होते हैं। यहां एक अंतर्विरोध भी है। नाम के अनुसार मंदिर चंडमुंड का संहार करने वाली देवी चामुंडा की प्रतीत होती है। यहां की मान्यता के अनुसार यह महिषासुर का वध करने का प्रतीक है। अतः मां दुर्गा को समर्पित है। वैसे मां महाशक्ति ने ही अपने विभिन्न रूपों के माध्यम से चंडमुंड व महिषासुर सहित उस समय के समस्त असुरों का संहार किया था।

सात मंजिला मंदिर में माता की मूर्ति सोने की

इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की है। मंदिर की इमारत सात मंजिला है। उसकी ऊंचाई 40 मीटर है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा शिव मंदिर भी है। वह 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मान्यता है मैसूर के लोगों पर मां की खास कृपा है। उनके आशीर्वाद से ही शहर तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। दशहरा पर निकाली जाने वाली झांकी में मां चामुंडा की प्रतिकृति को ही राजा की जगह पालकी पर आसीन किया जाता है। यहां को लोगों में मां के प्रति अगाध श्रद्धा है। शुभ या अशुभ कार्यों से निवृत्ति पर लोग मां का आशीर्वाद लेने अवश्य आते हैं।

रोचक मान्यताएं

इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं व कथा प्रचलित हैं। इनमें सबसे रोचक है मंदिर के पास ही स्थित महिषासुर की विशाल प्रतिमा के बारे में। स्थानीय लोगों के अनुसार प्रतिमा के पास खड़े होकर उसे ज्यादा देर तक नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने पर उस व्यक्ति का महिषासुर पीछा करने लगते हैं। फिर उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आप यहां दिन में 7.30 से दो और 3.30 से 6 बजे तक पूजा कर सकते हैं। शाम 7.30 से रात 9 बजे तक मंदिर के द्वार खुले रहते हैं। यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। अतः मंदिर में दर्शन के लिए दो से तीन घंटे का समय लेकर पहुंचे। टूरिस्ट बस से आने वाले कई लोगों को समय कम रहने के कारण दर्शन नहीं हो पाता है। महिषासुर पर विजय का प्रतीक इस स्थान को देखना अद्भुत अनुभव है।

ऐसे पहुंचें

मैसूर शहर के मुख्य बस स्टैंड से चामुंडा पहाड़ी के लिए दिन भर बस सेवा उपलब्ध रहती है। यहां से वातानुकूलित वोल्वो बसें भी श्रद्धालुओं के लिए चलाई जाती हैं। दक्षिण के अन्य मंदिरों की तरह ही चामुंडेश्वरी मंदिर में समान्य दर्शन के अलावा विशेष दर्शन का भी कूपन उपलब्ध रहता है। चामुंडा देवी के दर्शन के लिए रोज देश भर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। वैसे नवरात्र के समय मंदिर में ज्यादा भीड़ होती है। पहाड़ी पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धर्मशाला उपलब्ध है। यहां अन्न क्षेत्र का भी संचालन होता है। वहां आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- महामृत्युंजय मंत्र से मिलती है सभी कष्टों से मुक्ति

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here