आत्मविश्वासी एवं कर्म प्रधान होते हैं वृष लग्न वाले

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शक्ति की उपासना
शक्ति की उपासना

Confidence and action are dominant Taurus ascendant : आत्मविश्वासी एवं कर्म प्रधान होते हैं वृष लग्न वाले। ऐसे लोग बलिष्ट शरीर वाले एवं पुरुषार्थी होते हैं। उनका रंग गेहुंआ और चेहरा लंबा होता है। होंठ मोटे व कान व आंखें लंबे होते हैं। कद मध्यम और व्यक्तित्व आकर्षक होता है। आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है। इनके जीवन का दर्शन कर्म प्रधान होता है। उन्नत ललाट और लंबे हाथ वाले जातक को खाली बैठना पसंद नहीं होता है। स्वभाव से गंभीर होते हैं। इनके मित्रों की संख्या कम होती है। इस लग्न में जन्मे लोग सांड की प्रवृत्ति वाले होते हैं। प्रायः शांत रहते हैं पर कोई छेड़ दे तो क्रोधित होकर पिल पड़ते हैं। इन्हें दबाव देकर नियंत्रित करना संभव नहीं है। प्रेम से ही इन्हें वश में किया जा सकता है। इनसे यदि गलती से कोई अनुचित कार्य हो जाये तो घंटों पछताते रहते हैं।

सिद्धांतवादी होते हैं ऐसे लोग

ऐसे लोग सिद्धांतवादी होते हैं। धुन के पक्के ऐसे जातक विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित हुए बिना लगे रहते हैं। अंततः वर्तमान को अपने अनुकूल बना लेते हैं। इनमें कल्पना के साथ व्यवहारिकता का शानदार समावेश होता है। बहुत सोच-विचार के बाद योजना बनाते हैं। फिर उसका दृढ़ता से पालन करते हैं। इनका स्वयं पर नियंत्रण होता है। उन्नति के पथ पर अग्रसर रहना ही इनके जीवन का ध्येय  बन जाता है। जिस काम में हाथ डालते  हैं उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। कई बार ये अड़ जाएं तो मनाना कठिन होता है। इनके कार्य करने की शैली नूतन होती है।  गायन, संगीत आदि कलाओं में इनकी रुचि रहती है। ऐसे व्यक्ति को बहुत अधिक संतान का सुख प्राप्त नहीं होता है। जीवन के 54वें वर्ष के बाद इनमें अकेलापन और हीनता की भावना पनपने लगती हैं। कुल मिलाकर इनका जीवन सफल कहा जा सकता है।

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वृष लग्न वाले की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव

आत्मविश्वासी एवं कर्म प्रधान वृष लग्न वाले की कुंडली में सूर्य भूमि, भवन और घरेलू सुख के स्वामी होते हैं। वे कारक ग्रह होते हैं। चंद्रमा छोटे भाई-बहन एवं पराक्रम के स्वामी होते हैं। ये अकारक होते हैं लेकिन पापी ग्रह से पीड़ित हों तो मानसिक परेशानी, सांस संबंधी रोग व माता के सुख में कमी लाते हैं। कुंडली में अकारक मंगल पत्नी, दैनिक व्यवसाय और खर्च के स्वामी होते हैं। बुध धन, कुटुंब, विद्या-बुद्धि व संतान के स्वामी होते हैं। वे कारक होते हैं। गुरु आयु, बड़े भाई एवं आमदनी का निर्धारण करते हैं। वे स्वास्थ्य के लिए अकारक हैं परंतु निर्बल हों तो आय, पुत्र व धन की हानि करते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य, सौंदर्य, आयु, उन्नति, रोग एवं शत्रु के स्वामी शुक्र कुंडली में कारक ग्रह होते हैं। शनि भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, पिता एवं रोजगार के स्वामी होते हैं। वे राजयोग कारक ग्रह होते हैं।

ग्रहों व नक्षत्रों के प्रभाव से फलादेश में थोड़ा अंतर संभव

जन्म समय में ग्रहों व नक्षत्रों की थोड़ी बदली स्थिति से फलादेश में थोड़ा-बहुत अंतर आ सकता है। अतः इसे ठीक से समझने के लिए योग्य ज्योतिषी से कुंडली का मिलान अवश्य कराना चाहिए। लेख में सामान्य नियम व आकलन की जानकारी दी गई है। वैसे यह तय है कि जिस राशि में जातक का जन्म होता है, उसके गुण व स्वभाव आते ही हैं लेकिन उसमें कई बार थोड़ा अंतर भी देखा जाता है। यही स्थिति ग्रहों के फलादेश में भी होती है। जन्म समय के आधार पर उनकी शक्ति, पारस्परिक योग आदि का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए  वृष राशि के  लोगों की आंखें बड़ी  और होंठ  मोटे  होते हैं। परंतु कई बार देखा गया है कि जातक की आंखें छोटी हैं और होंठ पतले हैं। इसका कारण है लग्न या लग्नेश पर दूसरे ग्रहों की दृष्टि या प्रभाव पड़ना।

क्रमशः

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