आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़

1600
आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़
आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़।

Baglamukhi unmatched in enemy desctruction and erections : आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़ हैं। ये भगवान विष्णु की शक्ति हैं। शत्रुनाश- स्तंभन में इनका प्रयोग चूक है। प्रकृति को भी स्तंभित कर सकती हैं। हालांकि यह सर्वथा अनुचित है। बगलामुखी ब्रह्मास्त्र शक्ति मानी जाती हैं। इनकी रोज सामान्य पूजा भी कल्याणकारी है। लेकिन अनुष्ठान में अत्यंत सावधानी रखें। जिसमें थोड़ी सी भी चूक उलटी पड़ती है। फायदे की जगह बड़ा नुकसान हो जाता है। उसकी शांति के लिए गणेश का जप जरूर करें। वक्र तुंडाय हुम मंत्र उपयोगी रहता है। हवन के समय इससे भी आहूति देनी चाहिए। वटुक भैरव के स्तोत्र का पाठ भी उपयोगी होता है।

आध्यात्मिक विकास में भी प्रभावी

आध्यात्मिक रूप से भी माता प्रभावी हैं। इनकी साधना मन की चंचलता को स्तंभित करती है। आध्यात्मिक विकास में बहुत प्रभावी हैं। खास बात यह भी है कि इनका प्रयोग शुचि-अशुचि में किया जा सकता है। हां, मन साप होना आवश्यक है। मंत्रों का नियमित जप वाकसिद्धि देता है। इसके साधक को वाणी में संयम रखना चाहिए। वाणी पर नियंत्रण न हो तो बगला साधना नहीं करें। अन्यथा दुरुपयोग के दोष के कारण कुफल भोगना होगा। आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़ हैं। लेकिन आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी इनका प्रयोग अद्भुत है।

साधना काल में पीले रंग को दें महत्व

इनकी साधना के समय पीले वस्त्र पहनें। आसन, प्रसाद व माला भी पीली होनी चाहिए। हल्दी या टोपाज की माला से जप करें। भोजन भी पीले रंग का ही करना चाहिए। शत्रु व राजकीय विवाद, मुकदमेबाजी आदि में यह शीघ्र फल देती हैं। मेरा अनुभव है कि यदि शत्रु ने आप पर पहले प्रयोग कर दिए हों तो साधना में बाधाएं आने लगती हैं। शत्रु भारी हो तो साधना में परेशानी होती है। जप के समय बार-बार नियम टूटते हैं।  जप में अधिक समय लगता है। मंत्रोच्चार के समय जिह्वा भारी लगती है। मन उद्विग्न होने लगता है। ऐसे में परेशान न हों। बगला के मंत्र का जप करते रहें। साथ में प्रत्यंगिरा, गायत्री, गणेश या तारा का जप भी शुरू कर दें। बाधाएं दूर होने लगेंगी। दूसरा तरीका है बगलामुखी मंदिर में जप करना। इससे भी बाधाएं दूर होती हैं।

यह भी पढ़ें- ग्रह और वास्तु दोष को मामूली उपायों से सुधारें

अत्यंत प्रभावी एकाक्षरी मंत्र

ह्लीं

विनियोग : आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में बेजोड़ हैं। इनके उक्त मंत्र का विनियोग इस तरह है- एकाकी बगलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:। गायत्री छंद:।  बगलामुखी देवता। लं बीजं, ह्रीं शक्ति:, ईं कीलकं। सर्वार्थ सिद्धयर्थें जपे विनियोग:। (बगलामुखी रहस्य में ह्रीं के बदले हूं शक्ति है। आप सुविधानुसार कर सकते हैं)। 

अंगन्यास : ह्लां, ह्लीं, ह्लूं, ह्रें, ह्लौं, हल्:।

ध्यान

रंकति क्षितद्घपति: वैश्वानर शीतति।

क्रोधी साम्यति दुर्जन: सुजनति क्षिप्रनुग: खंजति।

गर्वि खर्वति सर्व विच्च जडति त्वद्यंत्रणा यंत्रित:।

 श्री नित्ये बगलामुखि प्रतिदिनं कल्याणि तुभ्यं नम:।

 

जप संख्या और साधना विधि  

विभिन्न पुस्तकों में कई विधान हैं। सिद्धि के लिए संख्या में भी अंतर है। अधिकांश में एक लाख जप लिखा है। फिर पीत पुष्पों से दशांश हवन करें। तब गुड़ोदक से उसका दशांश तर्पण करें।  मेरा अनुभव थोड़ा अलग है। एकाक्षरी मंत्र का दस लाख जप करना चाहिए। तदनुसार हवन एवं तर्पण करें। यह बीज मंत्र है। अत्यधिक प्रभावी एवं कामधेनु समान है। सिर्फ इस मंत्र से सब कुछ पाना संभव है। सिद्ध करने के बाद ही इसका उपयोग करें। इससे माता की कृपा व शक्ति मिलती है। मंत्र का प्रभाव अक्षुण्ण रहता है। कामना न हो तो चूक होने पर खतरा रहता है।

त्र्यक्षर मंत्र

ऊं ह्लीं ऊं

चतुरक्षर मंत्र

ऊं आं ह्लीं क्रों

विनियोग : इस मंत्र के बीज ह्लीं। शक्ति आं और कीलक क्रों हैं। शेष पूर्ववत है।

अंगन्यास : ऊं ह्लां या ऊं ह्लीं से करें।

जप संख्या और साधना विधि

जप का पुरश्चचरण एक लाख में होता है। विधि ऊपर लिखे अनुसार है।

मुख्य और सर्वाधिक प्रचलित मंत्र

 ऊं ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा।

जप संख्या और साधना विधि

मंत्र संख्या व विधि में काफी अंतर है। इसमें गुरु की सलाह उचित होगी। सामान्य प्रयोग के लिए 21 हजार जप से काम चल जाता है। थोड़ा ज्यादा चाहें 41 हजार कर लें। सवा लाख जप पूर्ण होता है। मेरा विचार भी सवा लाख का है। संख्या के हिसाब से हवन व तर्पण करें। इसका प्रयोग निष्फल नहीं होता है। आठवीं महाविद्या बगलामुखी शत्रुनाश व स्तंभन में सबसे प्रभावी हैं। ग्रहों के प्रतिकूल स्थिति से देर हो सकती है। भरोसा रखें फल अवश्य मिलेगा। लक्ष्य प्राप्ति न होने पर जप की आवृत्ति बढ़ानी चाहिए।

यह भी पढ़ें : मातंगी साधना : सम्मोहन शक्ति और धन से भर देती है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here