Durga Saptashati if extremely welfare : अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती। इसके पाठ मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। जो व्यक्ति इसका नित्य पाठ करता है, उसे माता की कृपा प्राप्त होती है। सारी बाधाएं दूर होती है। उत्तम जीवन जीने के बाद मोक्ष पाता है। उसे संसार में किसी का भय नहीं रहता है। मनुष्य, पशु, अस्त्र-शस्त्र, भूत-प्रेत तो दूर ग्रह, नक्षत्र, राक्षस और देवता भी उसका बाल बांका नहीं कर सकते हैं। पूरे शारदीय नवरात्र में इसका पाठ करने पर मनोकामना पूर्ण होती है। समस्या और मनोकामना के अनुसार अलग-अलग अध्याय का पाठ भी अत्यंत कल्याणकारी और प्रभावी होता है। आइए जानें विभिन्न अध्यायों के पाठ और उसके फल के बारे में। इसमें मैं बता रहा हूं कि कौन से अध्याय के नित्य पाठ का क्या फल मिलेगा।
दुर्गा सप्तशती के नित्य पाठ से भोग व मोक्ष की प्राप्ति
दुर्गा सप्तशती का जो प्रतिदिन पाठ करता है उसे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। उसके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। दरिद्रता का कभी सामना नहीं करना पड़ता है। उसे शत्रु, राजा, जल, अग्नि, लुटेरे और अस्त्र-शस्त्र का भय छू नहीं सकता है। इससे ग्रह दोष भी दूर होते हैं। नवरात्र के दौरान भी पाठ करने वाले का कल्याण होता है। मां दुर्गा ने तो शारदीय नवरात्र में ही प्रतिदिन पाठ करने वाले के भी कल्याण की बात कही है। उन्होंने 12वें अध्याय में पाठ के महात्म्य पर विस्तार से जानकारी दी है। बताया कि ऐसे लोग उन्हें अत्यंत प्रिय होते हैं। हर व्यक्ति के लिए इसका नित्य पूरा पाठ संभव नहीं है। कुछ लोग संकट आने पर रास्ता तलाश करने लगते हैं। सप्तशती उनके लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
शत्रु दमन के लिए पहले से तीसरा अध्याय तक
अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती। अब जानें अलग-अलग अध्याय की उपयोगिता। यूं तो पहले से तीसरे अध्याय तक शत्रु दमन के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसमें भी थोड़ा-छोड़ा अंतर है। यदि समय कम हो और नित्य पहले अध्याय का पाठ करें तो शत्रु का भय समाप्त हो जाता है। उसका नाश होता है। साधक की सभी प्रकार की चिंता दूर होती है। यदि बलवान शत्रु से वाद-विवाद हो। उसने आपकी भूमि या मकान पर कब्जा कर लिया हो तो दूसरे अध्याय का प्रतिदिन पाठ करें। निश्चय ही लाभ मिलेगा। शत्रु से लड़ाई की स्थिति बन गई है। मामला थान और कोर्ट में चला गया है तो तीसरे अध्याय का पाठ करें। आपको अवश्य सफलता मिलेगी।
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चार, सात, आठ व 13वें अध्याय से कामना पूर्ति व भक्ति
चौथे, सातवें, आठवें या 13वें अध्याय से मनोकामना की पूर्ति होती है। साथ ही माता की भक्ति भी प्राप्त होती है। इनमें भी चौथा अध्याय धन, मनोनुकूल जीवनसाथी और माता की भक्ति के लिए विशेष है। सातवें अध्याय के पाठ से समस्त कामना की पूर्ति संभव है। आठवें अध्याय का पाठ धन और वशीकरण शक्ति के लिए विशेष है। 13वें अध्याय का नित्य पाठ करने से माता की भक्ति के साथ ही भौतिक सुख मिलता है। इनमें से हर अध्याय कल्याणकारी है। आप अपनी आवश्यकतानुसार किसी का भी चयन कर सकते हैं। फिर शुभ मुहूर्त में नित्य पाठ शुरू कर दें।
बाधा दूर करने के लिए पांचवां व छठा अध्याय
दुर्गा सप्तशती का पांचवां और छठा अध्याय का पाठ हर तरह की बाधा को दूर करता है। इनमें से कोई एक अध्याय का पाठ भी कल्याणकारी है। सूक्ष्म रूप से देखें तो भूत-प्रेत की बाधा, बुरे स्वप्न और इनसे उपजे भय को दूर करने के लिए पांचवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। अन्य समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए छठे अध्याय का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए। इसी कारण कहा है कि अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती।
खोए व्यक्ति, धन संपदा व शक्ति के लिए नौवां व दसवां अध्याय
कोई व्यक्ति खो गया हो या धन-संपदा चली गई है तो चिंता नहीं करें। उसे वापस पाने के लिए नौवां और दसवां अध्याय का नित्य पाठ अत्यंत प्रभावी है। सूक्ष्म रूप से देखें तो नौवां अध्याय विशेष रूप से खोए व्यक्ति व धन-संपदा के लिए ही कारगर है। दसवें अध्याय के पाठ से गायब हुए व्यक्ति की वापसी के साथ शक्ति और संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। अतः ध्यान रहे कि ऐसी आवश्यकता पड़ने पर नौवें अध्याय का ही नित्य पाठ करें। अतिरिक्त लाभ चाहते हों तो दसवां अध्याय भी जोड़ लें।
कामकाज में सफलता व प्रतिष्ठा के लिए 11वां व 12वां अध्याय
रोजगार संबंधी कामकाज में परेशानी हो रही है। व्यापार मंदा चल रहा है। सुख-संपत्ति की कमी अनुभव कर रहे हैं। आप और आपके परिवार पर रोगों का साया है। समाज में अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा है। इन सारी समस्याओं का समाधान दुर्गा सप्तशती में है। 11वें और 12वें अध्याय में इनका समाधान है। 11वें अध्याय का नित्य पाठ कामकाज सभी चिंता से मुक्त कर सुख-संपत्ति दिलाता है। 12वें अध्याय के पाठ से रोग दूर होते हैं। साथ ही मान-सम्मान बढ़ता है। इस तरह आपने जान लिया कि सप्तशती कितना कल्याणकारी है। इसीलिए कहा कि अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती।
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