शनि राहु व केतु का वास्तु और कुंडली पर प्रभाव

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शनि राहु व केतु का वास्तु और कुंडली पर प्रभाव
ग्रह दोष के कारण रुक-रुक कर होता भवन निर्माण।

Effect of Saturn, Rahu and Ketu on Vastu and Kundli : शनि राहु व केतु का वास्तु और कुंडली पर प्रभाव। ग्रहों के वास्तु और जन्मकुंडली पर प्रभाव की इस कड़ी में आपने अब तक छह ग्रहों के बारे में पढ़ा है। उस कड़ी में इस बार तीन अंतिम ग्रहों की जानकारी दे रहा हूं। सच यह है कि वास्तु और जन्मकुंडली अभिन्न हैं। सिर्फ एक के उपाय से सारी समस्या दूर नहीं की जा सकती है। ग्रह शांति के साथ ही घर के वास्तु दोष को भी दूर करना आवश्यक है। तभी समस्याएं दूर होंगी और जीवन सुखमय हो सकेगा। पहले के अंकों में मैंने स्पष्ट किया था कि ग्रहों के दोषों के अनुरूप ही मकान में खामी रह जाती है। यहां तक कि किराये का मकान में भी खामी पीछा नहीं छोड़ती। बचाव के लिए ग्रह शांति और वास्तु दोष को एक साथ दूर करना पड़ता है।

शनि का प्रभाव और उपाय

यदि घर में बीमारी हो तो संभव है कि जन्मकुंडली में शनि अशुभ फल दे रहा है। ऐसे में देखें कि घर का दरवाजा पश्चिम दिशा में तो नहीं है। कुंडली में शनि खराब होने के साथ पश्चिम का दरवाजा होने पर घर में बीमारी का प्रकोप बना रहेगा। धन की भी तंगी रहेगी। ऐसे में शनि की शांति के साथ ही सूर्य की उपासना भी आवश्यक है। प्रयास करें कि मकान के अधिकतर हिस्से में रोशनी रहे। शनि पांचवां हो तो मकान निर्माण के समय और बाद में भी संतान को पीड़ा होने का खतरा रहता है। ऐसे में भैंस या बकरी का दान और शनि की शांति कराना चाहिए। शनि कुंडली में तीसरे घर में हो और मकान में दक्षिण या पूर्व का दरवाजा हो तो धन की समस्या रहती है। अंतिम कमरे को अंधेरा रखें। पश्चिम दिशा में बड़ा दरवाजा भी शुभ होता है।

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घर और कुंडली में केतु का असर

शनि राहु व केतु का प्रभाव में अब जानें केतु के बारे में। राहु जन्मकुंडली के चौथे घर में हो या चंद्रमा व राहु का योग बने तो मकान की छत में समस्या का खतरा रहता है। यहां तक की उसे बदलने की आवश्यकता पड़ती है। यदि आपके साथ भी ऐसा हो तो सिर्फ छत नहीं बदलें। अपितु नीचे की दीवार भी बदल डालें। अन्यथा छत की समस्या बनी रहेगी। राहु पांचवें स्थान पर हो तो संतान हानि का खतरा रहता है। यदि ऐसे संकेत मिलने लगे तो मकान के प्रवेश द्वार के नीचे चांदी का पत्र गाड़ दें। चांदी का ठोस खिलौना घर में रखने से भी दोष कम होता है। जन्मकुंडली में शनि के आगे-पीछे राहु-केतु हों तो घर में भौतिक सुख की कमी होने लगती है। ऐसे में बादाम और लोहे का सामान दान करें। अतिथियों को घर में भोजन कराने से भी लाभ मिलता है।

केतु से होने वाली समस्याएं और समाधान

जन्मकुंडली में यदि केतु तीसरे स्थान पर है तो घर के तिकोना होने का खतरा रहता है। ये न भी हो तो तीन कमरे या तीन दरवाजे या तीन खिड़की हो सकती है। ऐसा होने पर हर तीसरे वर्ष संतान परेशानी में घिर जाएगी। इसमें सर्वश्रेष्ठ विकल्प तीन से छुटकारा पाना ही है। यदि ऐसा संभव न हो तो कम से कम दक्षिण दिशा में दरवाजा नहीं रहने दें। किराये का मकान हो तो उसे हमेशा बंद रखें। कभी उपयोग न करें। पीली वस्तुओं का दान भी फायदा देता है। चाहें तो पीलापन लिये गुड़, हल्दी एवं सोने का टुकड़ा पानी में बहाएं। लाभ मिलेगा। यदि केतु मंगल से आठवें स्थान पर हो तो अपने मकान व भूमि में बाधा आती है। किसी तरह ले लें तो भी काम रुक-रुक कर होगा। उसमें वास्तु दोषों की भरमार होगी। इसमें केतु और मंगल दोनों की शांति कराएं।

नोट- शनि राहु व केतु का वास्तु और कुंडली पर प्रभाव आपने पढ़ा। इसके साथ ही वास्तु और ग्रह के पहले भाग की मोटी जानकारी दे दी है। हालांकि दी गई जानकारी बहुत कम है। हर विषय पर अलग से पुस्तक लिखी जा सकती है। स्थानाभाव के कारण उसे एक तरह से मात्र संक्षिप्त जानकारी दी है। अगले अंक (सप्ताह) से वास्तु शास्त्र की मौलिक जानकारी दूंगा।

संदर्भ- भारतीय वास्तु शास्त्र, लाल किताब और फेंगशुई के उपाय।

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