रामचरित मानस के सिद्ध मंत्र

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रामचरित मानस के अद्भुत मंत्र
Parivartan Ki awaj

Effective mantras of ramcharit manas : रामचरित मानस को यूं ही महान ग्रंथ नहीं कहा जा सकता है। उसमें भारतीय धर्म-संस्कृति की आदर्श और सटीक व्याख्या के साथ ही लोगों की जीने की राह भी बताता है। सबसे महत्वपूर्ण है उसकी चौपाई जिसमें अद्भुत शक्तियां निहित हैं। इन चौपाइयों का विधिवत और नियमपूर्वक पाठक या जप करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी इसका संकेत देते हुए रामचरितमानस में लिखा है कि प्रभु की शरण में गए व्यक्ति  के सामने कोई भी बाधा नहीं आती है। जो भक्त अपने कर्म पर पूरा ध्यान लगाकर भगवान पर भरोसा करता है, ईश्वर भी पग-पग पर उसकी मदद करते हैं। रामचरित मानस में वर्णित दोहा, सोरठा, चौपाई न सिर्फ पाठकों के मन पर अद्भुत  प्रभाव छोड़ते हैं, कुछ कुछ पंक्तियाँ समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी सक्षम है। सामान्य सुधि पाठकों के लिए यहां मैं कुछ चुनी हुई पंक्तियाँ दे रही हूं। इन्हें चमत्कारिक मंत्र कहा जा सकता है। इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान की जरूरत नहीं होती। इन्हें सिर्फ मन-कर्म-वचन की शुद्धि से श्रीराम का स्मरण करके मन ही मन श्रद्धा से जपा जा सकता है। इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी माला या संख्यात्मक जाप की आवश्यकता नहीं हैं बल्कि सच्चे मन से कभी भी इनका ध्यान किया जा सकता है।

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प्रस्तुत है रामचरित मानस से चयनित मंत्र

विद्या प्राप्ति के लिए

गुरू गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।।

यात्रा की सफलता के लिए

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।

झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए

कृपादृष्टिड करि वृष्टित प्रभु अभय किए सुरवृन्द। भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।

ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए

लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान। होई सगुन मंगल सुखद करनहि अप्सरा गान।।

दरिद्रता मिटाने के लिए

अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।

संकट नाश के लिए

दिन दयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

जीविका प्राप्ति के लिए

विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

विपत्ति नाश के लिए

राजीव नयन धरे धनु सायक। भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।

विघ्न निवारण के लिए

सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही। राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।

आकर्षण के लिए

जेहि के जेहि परक सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।

परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए

जेहि पर कृपा करहि जनु जा‍नी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति। जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।

रामचरित मानस के कुछ अन्य उपयोगी मंत्र : श्रीरामरक्षास्तोत्र’ का एक मंत्र हर तरह की सफलता पाने में बेहद उपयोगी बताया गया है। मंत्र इस तरह है

‘रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:’

एक अन्य मंत्र : राजिवनयन धरे धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।

सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके इस मंत्र की सात मालाएं (108 दाने की) जपना चाहिए। हर माला की समाप्ति पर धूप-गुग्गुल की अग्न‍ि में आहुति देनी चाहिए। सातों मालाएं पूरी हो जाने पर उस भस्म को सावधानी से उठाकर रख लेना चाहिए। हर दिन काम में जुटने से पहले भस्म को ललाट पर लगा लेना चाहिए। जप करने और भस्म लगाने से बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर होती हैं और हर काम में सफलता मिलती है। यह प्रयोग केवल आस्तिकों के लिए ही है।

विष्णु मंत्र : ॐ नमो नारायणाय

विधि : विष्णु-लक्ष्मी की तस्वीर अथवा मूर्ति अथवा यंत्र की पंचोपचार से पूजा करना। पश्चात कुश के आसन पर बैठकर तुलसी की माला को शुद्ध कर उससे जप करना चाहिए। मंत्र शास्त्र के जानकारों के अनुसार मंत्र जप में जप के स्थान के चयन का बड़ा महत्व है। स्थान शांत, पवित्र और आध्यात्मिक भाव जगाने वाला हो तो जल्दी फल मिलता है। ऐसे अनेक चमत्कारी मंत्र हैं, जिनके जप से कई सात्विक विचारों का जन्म होता है व रोगी रोग मुक्त होकर शांति से अपना जीवन यापन करता है। प्रत्येक धर्म एवं देश में ईश्वर का नाम या मंत्र जप करने का रिवाज विद्यमान है।

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