गणेश के प्रिय 20 पत्ते और मंत्र, उन्हें नहीं चढ़ाएं तुलसी

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ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल
ऐसे करें गणेश जी की उपासना, मिलेगा मनचाहा फल।

Ganesha’s favorite 20 leaves and mantras, do not offer Tulsi : गणेश के प्रिय 20 पत्ते और मंत्र, उन्हें नहीं चढ़ाएं तुलसी। जानें उनके पसंदीदा 20 पत्ते और उन्हें अर्पित करने के मंत्र और विधान। पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी ने उन्हें विवाह का प्रस्ताव दिया था इसे उन्होंने स्वयं को ब्रह्मचारी बताते हुए अस्वीकार कर दिया। इससे आहत तुलसी ने उन्हें दो विवाह का शाप दिया। इस पर गणेश जी भी क्रोधित हो गए। उन्होंने भी तुलसी को असुर पत्नी बनने का शाप दिया। तब तुलसी को अपनी गलती का भान हुआ। उन्होंने गणेश जी से क्षमायाचना की। क्रोध शांत होने पर गणेश जी ने कहा कि उनकी बात व्यर्थ नहीं हो सकती लेकिन उनका विवाह शिव के अंश से उत्पन्न राक्षस जलंधर से होगा। बाद में वह विष्णु की अत्यंत प्रिय होगी। साथ ही गणेश जी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होगा।

पसंदीदा पत्तों में बिल्व पत्र, कनेर, धतूरा और तेज पत्ता भी

विघ्नहर्ता गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। उनके अलग-अलग रूप, मंत्र, भोग एवं पत्तों से भिन्न फल मिलते हैं। फिलहाल बात उनके पसंदीदा पत्तों की। इनमें बिल्व पत्र, शमी, दूर्वादल, धतूरा, बेर, तेजपत्ता और सेम प्रमुख हैं। इनके साथ कनेर, कदली, आक, अर्जुन, महुआ, अगस्त्य और वनभंटा के पत्ते भी हैं। भंगरैया, अपामार्ग, देवदारू, गांधारी, सिंदूर और केतकी के पत्ते भी प्रिय हैं। इन पत्तों को प्रथम पूज्य को चढ़ाने मंत्र भी अलग-अलग हैं। इन मंत्रों की जानकारी नीचे दे रहा हूं। ध्यान रहे कि गणेश जी के अलग-अलग रूप के लिए अलग-अलग पत्ते हैं। उनके साथ निम्न मंत्र का जप करें। गणेश जी के भिन्न रूपों की पूजा का फल भी अलग है। उसकी जानकारी इसी वेबसाइट के अन्य लेखों में दे चुका हूं। अपनी मनोकामना के अनुसार उन रूपों की पूजा करें। फिर तदनुसार उनके प्रिय पत्तों को चढ़ाएं।

15 प्रमुख पत्ते और उनके मंत्र

अब जानें गणेश के प्रिय 20 पत्ते और उनके मंत्र। शमी पत्र चढ़ाते समय सुमुखाय नमः बोलें। बिल्व पत्र को चढ़ाते समय उमा पुत्राय नमः कहें। दूर्वा दल के लिए गजमुखाय नमः जपें। बेर पत्र चढ़ाते समय लंबोदराय नमः कहें। धतूरे के पत्ते के लिए हरसूनवे नमः जपें। सेम पत्ता के लिए वक्र तुंडाय नमः और तेज पत्ता के लिए चतुर्ङोत्रे नम जपें। कनेर पत्र के लिए विकटाय नमः और कदली (केला) पत्र के लिए हेम तुंडाय नमः जपें। आक का पत्ता चढ़ाते समय विनाशकाय नमः और अर्जुन का पत्ता चढ़ाते समय कपिलाय नमः जपने का विधान है। महुआ पत्र के लिए भाल चंद्राय नमः और अगस्त्य वृक्ष के पत्ते सर्वेश्वराय नमः कहें। वनभंटा पत्र के लिए एक दंताय नमः और भंगरैया का पत्ता चढ़ाते समय गणाधीशाय नमः का जप करने का विधान है। ऐसा करना विशेष फलदायी होता है।

मंत्रों के साथ अन्य पांच प्रिय पत्ते

भगवान गणेश के अन्य पांच प्रिय पत्तों में पहला अपामार्ग का पत्ता है। उसे चढ़ाते समय गुहा ग्रजाय नमः का जप करें। देवदारू का पत्ता चढ़ाते समय वटवे नमः बोलें। गांधारी वृक्ष का पत्ता चढ़ाते समय सुरा ग्रजाय नमः जपें। सिंदूर वृक्ष का पत्र चढ़ाते समय हेरंबाय नमः का जप करें। केतकी का पत्ता चढ़ाते समय सिद्धि विनाकाय नमः का जप करें। सभी पत्र को चढ़ाने के दौरान गणेश जी को दूर्वा दल, गंध, पुष्प और चावल भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा करना अत्यंत कल्याणकारी होता है।

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