Good and bad planetary movements in kundali: ग्रहों के बुरे योग को स्वयं जानें, करें बचाव के उपाय। ग्रहों का निर्णायक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। जन्मकुंडली में बनने वाले ग्रहों की दशा को जानना सरल है। बिना ज्योतिषी की सहायता के स्वयं आसानी से जान सकते हैं। इस लेख में वह आसान विधि बता रहा हूं। बस थोड़ा सा अपने जीवन में आ रहे परिवर्तनों पर ध्यान दें। जैसे बिजली उपकरणों का बार-बार खराब होना एक ग्रह के असंतुलन का संकेत है। शीशे का बर्तनों बार-बार टूटना दूसरे ग्रहों की खराब दशा बताती है। पानी की बर्बादी अन्य ग्रह की बिगड़ती दशा का परिचायक है। अनिद्रा दूसरे ग्रह की प्रतिकूलता बताती है।
शीशे के बर्तन टूटें तो हो जाएं सावधान
घर में यदि बार-बार शीशे के बर्तन टूट रहे हैं तो सावधान हो जाएं। यह चंद्रमा के प्रतिकूल होने का संकेत है। यह इस चेतावनी भी है कि परिवार की किसी महिला का स्वास्थ्य खराब होने वाला है। पानी की लगातार बर्बादी कमजोर चंद्रमा का परिचायक है। छोटी-छोटी बातों में परेशान होना, जल्दी भावुक हो जाना, गलत फैसले लेना भी इसी के संकेत हैं। चंद्रमा के प्रतिकूल होने से खांसी-जुकाम समेत फेफड़े से जुड़ी अन्य समस्याएं भी संभव हैं। समय रहते चंद्रमा को अनुकूल और मजबूत करने के उपाय करने से स्थिति सुधर जाएगी। भगवान शिव की पूजा से लाभ मिलेगा। भोलेबाबा को दूध का अभिषेक करने से भी चंद्रमा को अनुकूल और मजबूत किया जा सकता है।
ऐसे समझें कमजोर मंगल को
ग्रहों के बुरे योग को समझने के लिए शरीर पर ध्यान दें। यदि शरीर में खून की कमी रहने लगे व बार-बार चोट लगे। साथ ही करियर में दुश्मन बनने लगें तो समझें कि मंगल प्रतिकूल हैं। इसमें कोर्ट-कचहरी का चक्कर भी लगने लगता है। शौर्य व परिश्रम में कमी आती है। भूमि व भवन सुख में भी कमी आएगी। जोखिम उठाने का माद्दा नहीं रह जाता। व्यक्ति बस जीवन गुजारता जाता है। ऐसे में हनुमान की साधना सबसे प्रभावी उपाय है। प्रतिदिन 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर उन्हें गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं। बंदरों को चना देना भी उपयोगी है। कुछ समय बाद ही फल दिखने लगेगा। मंगल के मंत्र का जप भी उपयोगी है।
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हड्डी व बाल की समस्या है तो सूर्य खराब
यदि असमय बाल झड़ने लगे तो सूर्य को खराब समझें। ऐसे में हड्डी की भी समस्या होने लगती है। जोड़ों की हड्डियों से आवाज आने लगती है। हृदय संबंधी समस्याएं, उच्च रक्तचाप भी इसके संकेत हैं। आंखों की भी परेशानी हो सकती है। अनिद्रा, बेचैनी और अनावश्यक थकान भी इसके लक्षण हैं। यदि वाकई ऐसी परेशानी है तो सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाएं। रविवार का व्रत करें और सूर्य मंत्र का जप भी करें। गुड़, गेहूं एवं तांबे का दान भी उपयोगी होता है। मांस, मदिरा का त्याग करें। घर के बुजुर्ग विशेष रूप से पिता की सेवा से भी सूर्य अनुकूल होते हैं। काम के लिए घर से निकलते समय मीठा खाना भी फलदायक होता है।
ऐसे समझें कमजोर राहु, बुध व शुक्र को
ग्रहों के बुरे योग को समझने के कुछ अन्य संकेत आगे हैं। यदि घर के बिजली उपकरण बार-बार खराब हो रहे हों तो राहु को प्रतिकूल समझें। यह इस बात का पूर्व संकेत है कि आपके खर्च अचानक बढ़ने वाले हैं। इससे आपका बजट गड़बड़ा सकता है। नाक व दांतों की समस्या रहने लगे तो बुध की स्थिति को खराब समझें। ऐसा होने पर व्यापारियों का धन भी बार-बार अटकने लगता है। चमड़े की समस्या हो या उस पर बार-बार चोट लगे तो यह कमजोर शुक्र का परिचायक है। इसका अर्थ है कि जल्द ही पारिवारिक सुख में कमी आएगी। राहु की शांति के लिए हनुमान या देवी की पूजा करें। शुक्र भी देवी पूजा से अनुकूल होते हैं। बुध के लिए गणेश की पूजा करें।
भाई-बहन नहीं तो तीसरा भाव खराब
जन्मकुंडली के तीसरे भाव में पाप ग्रह होने पर जातक बिना भाई-बहन का होता है। तृतीय स्थान में प्रतिकूल सूर्य बड़े भाई तथा शनि हो तो छोटे भाई की हानि संभव है। केतु साथ हो तो दुष्प्रभाव को रोकता है। लग्न के तीसरे भाव में केतु व चंद्रमा होने से जातक की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। हालांकि भाई-बहन अभावग्रस्त रह सकते हैं। द्वितीय भाव में क्रूर रह रहे तो जातक का भाई नहीं होता है। यदि हो गया तो कष्ट में रहेगा। दोनों भाइयों में तालमेल का अभाव रहेगा। जातक की माता कष्ट में हो तो संभव है कि चतुर्थ भाव में क्रूर ग्रह बैठा हो। पंचम भाव का मंगल संतान सुख में बाधा और सूर्य हो तो संतान सुख में कमी हो सकती है। संबंधित ग्रहों की शांति लाभदायक होती है।
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