इस तरह करें प्रकृति की शक्ति का दोहन

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शक्ति की उपासना
शक्ति की उपासना

Harness the power of nature in this way : इस तरह करें प्रकृति की शक्ति का दोहन। ब्रह्मांड प्रेम व आकर्षण की शक्ति से संचालित और नियंत्रित होता है। आकर्षण की शक्ति नहीं होती तो सब अस्त-व्यस्त हो जाता। पृथ्वी, चांद और तारे तक अपनी जगह पर नहीं रह पाते। जीव-जंतुओं की संतति भी आगे नहीं बढ़ती। जड़ व चेतन जहां के तहां पड़े रहते। प्रेम व आकर्षण की शक्ति ही सबको सक्रिय रखती है। हम सुबह इसी शक्ति की बदौलत उठते हैं। इसी कारण रोजगार तलाशते हैं। हममें आगे बढ़ने और कुछ खास करने की ललक पैदा होती है। सीखने की ललक के पीछे भी इसी का हाथ है। यहां तक कि मानव जाति का आधार स्त्री-पुरुष संबंध भी इसी पर टिका हुआ है। यह ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है।

 प्रेम और आकर्षण सबसे बड़ी शक्ति

सबसे बड़ी शक्ति प्रेम व आकर्षण सबसे स्पष्ट और प्रभावी रूप में हमारे मस्तिष्क में निहित है। मानव में ही वह क्षमता है कि वह इच्छानुसार इस शक्ति का उपयोग कर सके। प्रख्यात कवि राबर्ट ब्राउनिंग ने भी इसकी शक्ति मानी है। उन्होंने कहा- अगर आप प्रेम को हटा लें तो हमारी पृथ्वी कब्रिस्तान बन जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मानव के पास इतनी बड़ी शक्ति है तो उसका जीवन उल्लास से परिपूर्ण एवं अद्भुत क्यों नहीं है? क्यों नहीं उसके पास हर मनचाही वस्तु उपलब्ध हो पाती है? वह हमेशा सुखी और खुश क्यों नहीं रह पाता है? जवाब बेहद सरल है कि हमारी दुर्दशा के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं।

हमारे पास है सौभाग्य या दुर्भाग्य चुनने का विकल्प

प्रकृति ने सौभाग्य या दुर्भाग्य को चुनने का विकल्प दिया है। हमारे पास सबसे बड़ी शक्ति प्रेम और आकर्षण उपहार के रूप में है ही। साथ ही हर पल उन्हें चुनने या न चुनने का विकल्प भी है। दुर्भाग्य से अधिकतर लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे अधिकतर समय प्रेम और आकर्षण की शक्ति के बदले नकारात्मकता का चयन करते हैं। फिर समस्याओं के लिए भाग्य को दोष देते हैं। इस नियम में कोई झोल या अपवाद नहीं है। जिसने भी सकारात्मक विचारों से प्रेम किया। उसके जीवन में सकारात्मक घटनाओं की भरमार रही। उसके जीवन में सुख, शांति और संपन्नता रही। जिसने नकारात्मक शक्ति का चयन किया। वह जीवन भर नकारात्मक घटनाओं, दुख, रोग, शोक आदि से घिरा रहा है।

सकारात्मकता में है अद्भुत शक्ति

वैज्ञानिक शोधों में कई अहम जानकारी मिली है। सकारात्मक विचार हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इससे हमारी शारीरिक और मानसिक ताकत भी बढ़ती है। ऐसे लोगों में जोश और जज्बे की भावना ज्यादा रहती है। इससे वे कड़ी चुनौतियों से निपटने में सक्षम होते हैं। ऐसे लोगों का जीवन तनावरहित और सुखमय होता है। इसका कारण प्रकृति का नियम ही है। वह किसी भी क्रिया के समान प्रतिक्रिया देती है। आप प्रेम और सकारात्मकता देते हैं। आपको वही मिलता है। आप नकारात्मकता देते हैं, तो बदले में उसे पाते हैं। इस नियम में तनिक भी बदलाव संभव नहीं है। बिजली का आविष्कार, वाहन का चलना, हवाई जहाज का उड़ना आदि प्रकृति के नियम के अनुसार ही संचालित होता है। कोई भी आविष्कार या चमत्कार प्रकृति के आकर्षण के नियम के विरुद्ध संभव नहीं है। पूरा ब्रह्मांड- ग्रह, नक्षत्र, सूर्य आदि सभी इसी नियम से संचालित होते हैं।

इस तरह करें प्रकृति का दोहन

जानें कि प्रेम या आकर्षण की शक्ति क्या है? यह कैसे काम करता है? किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थिति आदि के प्रति आकर्षण या प्रेम का भाव ही वह शक्ति है। वही इस नियम के तहत निर्णायक होती है। यही गुरुत्वाकर्षण की शक्ति का आधार है। जहां तक इस नियम के काम करने का मसला है, तो वह भी अत्यंत साफ है। हम जितनी शक्ति से किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति आकर्षित होते है, उतनी ही तीव्रता से आकर्षण का नियम ब्रह्मांड में संदेश भेजता है। फिर वह वस्तु या व्यक्ति फिर उसी अनुपात में हमारी ओर खिंचता चला आता है। अधिकांश समय हमारे प्रेम/आकर्षण के विचार में स्पष्टता और तीव्रता की कमी होती है। अतः हम इच्छित फल प्राप्त नहीं कर पाते। यही स्थिति नकारात्मक भाव के साथ भी होती है।

सकारात्मक कर्म व विचार का फल मिलता है

जब आप किसी की मदद करते हैं, तो वह भाव ब्रह्मांड में जाता है। वह पहले आपके मन को खुशी देता है। फिर आपके लिए सकारात्मक माहौल की पृष्ठभूमि तैयार करता है। जैसे- आप वाहन से कहीं जा रहे हैं। उसी दौरान संकट में फंसे व्यक्ति की मदद करते हैं। आप गंतव्य तक पहुंचते हैं। आप जिस काम के लिए जा रहे थे, वह आसानी से हो जाता है। प्रत्यक्ष में आप दोनों घटनाओं को नहीं मिला पाएंगे। यदि लगातार इन पर ध्यान दें तो पाएंगे कि ऐसी घटनाएं आपके साथ लगातार घटित होती हैं। यह अलग बात है कि प्रकृति के इस नियम से अनभिज्ञ लोग इसे समझ नहीं पाते हैं। अत: अपनी भलाई चाहते हैं। आज से ही खुद को बदलें। अपने को सकारात्मकता से परिपूर्ण करने का संकल्प लें। 

धर्मग्रंथों में भरी हैं ऐसी बातें

हमारे धर्म ग्रंथ भी ऐसी बातों से भरे पड़े हैं। तुलसीदास जी ने भी ऐसा ही लिखा है। देखें-कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करहि, सो तस फल चाखा। ईशा मसीह ने भी कुछ ऐसा कहा था। ‘दोगे तो तुम्हें भी दिया जाएगा। तुम्हारे पैमाने के हिसाब से तुम्हें प्रतिदान मिलेगा।‘

Harness the power of nature in this way : इस तरह करें प्रकृति की शक्ति का दोहन। ब्रह्मांड प्रेम व आकर्षण की शक्ति से संचालित और नियंत्रित होता है। आकर्षण की शक्ति नहीं होती तो सब अस्त-व्यस्त हो जाता। पृथ्वी, चांद और तारे तक अपनी जगह पर नहीं रह पाते। जीव-जंतुओं की संतति भी आगे नहीं बढ़ती। जड़ व चेतन जहां के तहां पड़े रहते। प्रेम व आकर्षण की शक्ति ही सबको सक्रिय रखती है। हम सुबह इसी शक्ति की बदौलत उठते हैं। इसी कारण रोजगार तलाशते हैं। हममें आगे बढ़ने और कुछ खास करने की ललक पैदा होती है। सीखने की ललक के पीछे भी इसी का हाथ है। यहां तक कि मानव जाति का आधार स्त्री-पुरुष संबंध भी इसी पर टिका हुआ है। यह ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है।

 प्रेम और आकर्षण सबसे बड़ी शक्ति

सबसे बड़ी शक्ति प्रेम व आकर्षण सबसे स्पष्ट और प्रभावी रूप में हमारे मस्तिष्क में निहित है। मानव में ही वह क्षमता है कि वह इच्छानुसार इस शक्ति का उपयोग कर सके। प्रख्यात कवि राबर्ट ब्राउनिंग ने भी इसकी शक्ति मानी है। उन्होंने कहा- अगर आप प्रेम को हटा लें तो हमारी पृथ्वी कब्रिस्तान बन जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मानव के पास इतनी बड़ी शक्ति है तो उसका जीवन उल्लास से परिपूर्ण एवं अद्भुत क्यों नहीं है? क्यों नहीं उसके पास हर मनचाही वस्तु उपलब्ध हो पाती है? वह हमेशा सुखी और खुश क्यों नहीं रह पाता है? जवाब बेहद सरल है कि हमारी दुर्दशा के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं।

हमारे पास है सौभाग्य या दुर्भाग्य चुनने का विकल्प

प्रकृति ने सौभाग्य या दुर्भाग्य को चुनने का विकल्प दिया है। हमारे पास सबसे बड़ी शक्ति प्रेम और आकर्षण उपहार के रूप में है ही। साथ ही हर पल उन्हें चुनने या न चुनने का विकल्प भी है। दुर्भाग्य से अधिकतर लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे अधिकतर समय प्रेम और आकर्षण की शक्ति के बदले नकारात्मकता का चयन करते हैं। फिर समस्याओं के लिए भाग्य को दोष देते हैं। इस नियम में कोई झोल या अपवाद नहीं है। जिसने भी सकारात्मक विचारों से प्रेम किया। उसके जीवन में सकारात्मक घटनाओं की भरमार रही। उसके जीवन में सुख, शांति और संपन्नता रही। जिसने नकारात्मक शक्ति का चयन किया। वह जीवन भर नकारात्मक घटनाओं, दुख, रोग, शोक आदि से घिरा रहा है।

सकारात्मकता में है अद्भुत शक्ति

वैज्ञानिक शोधों में कई अहम जानकारी मिली है। सकारात्मक विचार हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही शारीरिक और मानसिक ताकत भी बढ़ाती है। ऐसे लोगों में जोश और जज्बे की भावना ज्यादा रहती है। इससे वे कड़ी चुनौतियों से निपटने में सक्षम होते हैं। ऐसे लोगों का जीवन तनावरहित और सुखमय होता है। इसका कारण प्रकृति का नियम ही है। वह किसी भी क्रिया के समान प्रतिक्रिया देती है। आप प्रेम और सकारात्मकता देते हैं। आपको वही मिलता है। आप नकारात्मकता देते हैं, तो बदले में उसे पाते हैं। इस नियम में तनिक भी बदलाव संभव नहीं है। बिजली का आविष्कार, वाहन का चलना, हवाई जहाज का उड़ना आदि प्रकृति के नियम के अनुसार ही संचालित होता है। कोई भी आविष्कार या चमत्कार प्रकृति के आकर्षण के नियम के विरुद्ध संभव नहीं है। पूरा ब्रह्मांड- ग्रह, नक्षत्र, सूर्य आदि सभी इसी नियम से संचालित होते हैं।

इस तरह करें प्रकृति का दोहन

जानें कि प्रेम या आकर्षण की शक्ति क्या है? यह कैसे काम करता है? किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थिति आदि के प्रति आकर्षण या प्रेम का भाव ही वह शक्ति है। वही इस नियम के तहत निर्णायक होती है। यही गुरुत्वाकर्षण की शक्ति का आधार है। जहां तक इस नियम के काम करने का मसला है, तो वह भी अत्यंत साफ है। हम जितनी शक्ति से किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति आकर्षित होते है, उतनी ही तीव्रता से आकर्षण का नियम ब्रह्मांड में संदेश भेजता है। फिर वह वस्तु या व्यक्ति फिर उसी अनुपात में हमारी ओर खिंचता चला आता है। अधिकांश समय हमारे प्रेम/आकर्षण के विचार में स्पष्टता और तीव्रता की कमी होती है। अतः हम इच्छित फल प्राप्त नहीं कर पाते। यही स्थिति नकारात्मक भाव के साथ भी होती है।

सकारात्मक कर्म व विचार का फल मिलता है

जब आप किसी की मदद करते हैं, तो वह भाव ब्रह्मांड में जाता है। वह पहले आपके मन को खुशी देता है। फिर आपके लिए सकारात्मक माहौल की पृष्ठभूमि तैयार करता है। जैसे- आप वाहन से कहीं जा रहे हैं। उसी दौरान संकट में फंसे व्यक्ति की मदद करते हैं। आप गंतव्य तक पहुंचते हैं। आप जिस काम के लिए जा रहे थे, वह आसानी से हो जाता है। प्रत्यक्ष में आप दोनों घटनाओं को नहीं मिला पाएंगे। यदि लगातार इन पर ध्यान दें तो पाएंगे कि ऐसी घटनाएं आपके साथ लगातार घटित होती हैं। यह अलग बात है कि प्रकृति के इस नियम से अनभिज्ञ लोग इसे समझ नहीं पाते हैं। अत: अपनी भलाई चाहते हैं। आज से ही खुद को बदलें। अपने को सकारात्मकता से परिपूर्ण करने का संकल्प लें। 

धर्मग्रंथों में भरी हैं ऐसी बातें

हमारे धर्म ग्रंथ भी ऐसी बातों से भरे पड़े हैं। तुलसीदास जी ने भी ऐसा ही लिखा है। देखें-कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करहि, सो तस फल चाखा। ईशा मसीह ने भी कुछ ऐसा कहा था। ‘दोगे तो तुम्हें भी दिया जाएगा। तुम्हारे पैमाने के हिसाब से तुम्हें प्रतिदान मिलेगा।‘

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