वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन

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वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन
वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन में देखें कुंडली संख्या एक।

Horoscope and Planetary balance in Vastu : वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन आवश्यक है। तभी जातक की स्थिति सुधरेगी। पिछले अंक में मैंने बताया था कि घर के वास्तु की अलग कुंडली होती है। उससे ग्रहों की स्थिति जाना जा सकता है। स्वाभाविक है कि जब घर के वास्तु के आधार पर ग्रहों का स्थान निर्धारित होता है तो उसका घर में रहने वालों पर सीधा प्रभाव भी पड़ेगा। अर्थात उनकी जन्मकुंडली के ग्रह भी उससे प्रभावित होंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो घर की कुंडली और जन्मकुंडली एक-दूसरे के पूरक होते हैं। जन्मकुंडली देखकर भी बताया जा सकता है कि जातक के घर का वास्तु कैसा होगा। वास्तुशास्त्री या ज्योतिषी तभी सफल होते हैं, जब दोनों का संतुलन बनाते हैं। नीचे कुंडली के आधार पर व्यक्ति का जीवन और उसके घर के बारे में जानकारी दूंगा।

कुंडली से जानें व्यक्ति का जीवन और घर

मैंने पहले ही बताया था कि जन्मकुंडली से भी जातक के जीवन के बारे में जानना सामान्य प्रक्रिया है। इससे उसके घर की स्थिति को भी समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए ऊपर दी गई कुंडली संख्या एक देखें। उसकी ग्रह दशा का विश्लेषण करें तो दिखता है कि राहु संपत्ति के घर में नीच का है। गुरु चांडाल योग बन रहा है। शनि कुंडली के छठे व मंगल आठवें स्थान पर है। ऐसे जातक के घर में भारी वास्तु दोष होना निश्चित है। वह चाहे अपना बनाया मकान हो या पुश्तैनी दोष चलता रहता है। ऐसे में वह भले ही जन्म से संपन्न रहा हो, पर बाद में पतन का शिकार हो जाता है। उस घर में उसे संघर्ष करना ही पड़ेगा। बिना उपाय के उसकी हालत में सुधार संभव नहीं है। हां, उस घर से दूर चला जाए तो कामकाज चलने लगेगा।

एक और कुंडली का उदाहरण देखें

वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन
कुंडली संख्या दो।

कुंडली संख्या दो को देखें। इसमें कुंडली के चौथे घर में गज केसरी योग बन रहा है। ऐसे जातक की स्थिति जीवन के प्रारंभ में सामान्य हैसियत की रहती है। बाद में अपने बल पर वह भूमि और वाहनों का मालिक बन जाता है। संपन्नता में जीवन का एक हिस्सा बीतेगा। धन बाद में भी बना रह सकता है। इसके साथ ही कुंडली में चंद्र-बृहस्पति से शनि का षडाष्टक और मंगल-राहु का षडाष्टक योग बना है। साथ ही शनि वक्री है। इसलिए ऐसे जातक के घर में वास्तु दोष इस तरह का होगा कि जीवन का उत्तरार्द्ध अशांति में बीतेगा। हां, यदि समय पर ग्रहों की शांति और वास्तु दोष का परिमार्जन कर लिया जाए तो इसे रोका या कम किया जा सकता है।

वस्तु, ग्रह और वास्तु का समन्वय

वस्तु भी ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती हैं। घर के अंदर देवी-देवताओं की तस्वीर, दर्पण, सजावट की वस्तुएं, पेड़-पौधे, मछलियां, लाफिंग बुद्ध, क्रिस्टल बाल समेत हर वस्तु किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैं। घर में इनके संतुलित समायोजन से प्रतिकूल ग्रह को भी सामान्य या अनुकूल बनाया जा सकता है। इसी क्रम में किस ग्रह को अनुकूल या प्रबल बनाने के लिए किस दिशा में दरवाजा, खिड़कियां आदि हों। किस ओर मकान का खुला हिस्सा होना चाहिए और किस दिशा से रोशनी आए, इस पर अगले लेख में प्रकाश डालूंगा। उसमें हर ग्रह की स्थिति और वस्तु व उपाय से संतुलन की भी जानकारी दूंगा। आशा करता हूं कि आपने वास्तु में कुंडली और ग्रहों का संतुलन को समझ लिया होगा।

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