आदतें बदलकर सुधारें ग्रह दशा, मिलेगा अच्छा फल

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वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव
वास्तु व कुंडली पर जानें बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव।

Improve your planets by changing your bad habits : आदतें बदलकर सुधारें ग्रह दशा। इससे आपको मिलेगा अच्छा फल। वास्तव में ग्रह दशा मनुष्यों के कर्मों का फल होता है। अच्छे और बुरे कर्मों के फल के रूप में वे लोगों की कुंडली में बैठे होते हैं। उन्हें सुधारने के लिए मंत्र जप, दान और रत्न धारण करना प्रचलित उपाय हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने व्यवहार को बदल कर भी ग्रहों को अनुकूल बना सकते हैं। यह एक तरह का कर्म ही है जो पिछले कर्मों के असर को कम करता है। जैसे किसी के मन को ठेस पहुंचाने के बाद उससे क्षमायाचना करने पर उसकी नाराजगी को कम किया जा सकता है। उसी तरह अपनी आदतें बदल कर और कुछ अच्छे कर्म करके हम अपने भाग्य में बदलाव ला सकते हैं। यह एक तरह की सहायक क्रिया है।

पितृ दोष और उसका निवारण

जन्म कुंडली में पितृ दोष अब आम हो गया है। इससे संबंधित व्यक्ति ही नहीं उसका परिवार भी प्रभावित होता है। इसका कारण है घर में बड़े-बुजुर्गों की उपेक्षा। मृत्यु के बाद भी अंतिम क्रिया में भाव से अधिक औपचारिकता पूरी करना। इसका असर न्यूटन के तीसरे नियम की तरह होता है। जो लोग बोते हैं, प्रकृति वही लौटाती है। इससे बचने का सबसे सशक्त तरीका है कि घर के बड़े-बूढ़ों को प्रेम और सम्मान देना। उनका आशीर्वाद पाना है। जो चले गए हैं, उन्हें भावपूर्ण तरीके से याद करना है। पुराने जमाने में लोग पक्षियों को भी दाना डालते थे। यहां तक कि कौवे को भी खिलाया जाता था। कौवे को खिलाने पर पितृ दोष से बचा जा सकता है या उनकी तीव्रता कम की जा सकती है। इस तरह आदतें बदलकर सुधारें ग्रह की स्थिति।

बृहस्पति और बुध को अनुकूल करने के लिए

घऱ के पूजा स्थान को साफ रखें। समय मिले तो धार्मिक स्थलों की सफाई और सेवा में योगदान दें। सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करें। क्रोध में बोलना और अपशब्द का प्रयोग कतई नहीं करें। स्वर नम्र और मधुर भाषा में बात करने से बृहस्पति और बुध अनुकूल होते हैं। साथ ही माता-पिता और गुरु का सम्मान करें। उनकी सेवा करें। उनका नित्य आशीर्वाद लें। गाय को हरा चारा खिलाते रहें। बाहर से खाली हाथ घर नहीं लौटें। बच्चों व बुजुर्गों के लिए कुछ न कुछ लेते आएं। इससे बुध और बृहस्पति अनुकूल होंगे। घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

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शनि और चंद्रमा के लिए

गरीब का मजाक उड़ाना धर्म ग्रंथ में भी पाप कहा गया है। उनकी मदद करने, उनसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करने से शनि अनुकूल होते हैं। घर में खाना खाने के बाद जूठे बर्तन तत्काल हटा दें। उन्हें धोकर रखना सबसे उत्तम है। अन्यथा कम से कम किसी एक स्थान पर एकत्र कर रख दें। जहां खाना खाया है, उसे यथाशीघ्र साफ कर लें। तेज आवाज में बोलने या चीखने-चिल्लाने से भी शनि खराब होते हैं। बिस्तर गंदा होना भी ठीक नहीं है। चादर और तकिया साफ व बिना सिलवटों के रखें। देर रात तक जागने की आदत अब आम है। ध्यान रहे कि इससे चंद्रमा प्रतिकूल होते हैं। मानसिक शांति नहीं रहती है। खर्च ज्यादा होता है। जल्दी सोने से इस दोष से बचा जा सकता है। स्नानागार को साफ रखें। कपड़ों को फैला न रखें। इससे चंद्रमा ठीक होते हैं। आदतें बदलकर सुधारें ग्रह दशा।

सूर्य, मंगल और अन्य ग्रहों को अनुकूल करने के लिए

प्रातः उठकर नित्य पौधों में पानी डालने का नियम बना लें। यह प्रकृति के लिए अच्छा संदेश है। इससे आपके सूर्य, बुध और शुक्र भी अनुकूल होते हैं। चंद्रमा भी मजबूत होते हैं। कुत्ते को पालना और खिलाना भी कई ग्रहों के दोष को दूर करता है। मान्यता है कि वह गृहस्वामी के संकट को अपने ऊपर ले लेता है। घर में किसी के भी आने पर उसे साफ पानी पिलाने से राहु ठीक होते हैं। गुड़ और पानी देने से सूर्य में भी फायदा होता है। रसोईघर को साफ रखने से प्रतिकूल मंगल भी अनुकूल होने लगते हैं। इसके विपरीत जिनका रसोई घर गंदा रहता है, वहां मंगल प्रतिकूल हो जाते हैं। पैर घसीटकर चलने को पहले से अशुभ माना जाता रहा है। यह राहु के खराब होने का संकेत है। इस आदत को सुधार कर राहु को अनुकूल किया जा सकता है।

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