It is necessary to know the law of lighting of Deepak : दीपक जलाने का विधान जानना भी आवश्यक। अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए भिन्न दीपक जलाने का विधान है। यह तो सभी जानते है कि दीपक जलाना पूजा-उपासना का महत्वपूर्ण अंग है। तभी पूजा-उपासना का पूरा फल मिलता है। अधिकतर लोग इसे जानते ही नहीं हैं। वे घी या तेल का दीपक जलाते हैं। जबकि दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों और उसमें क्या डालना चाहिए इसका शास्त्रों में स्पष्ट विधान है। सभी देवी-देवता के लिए एक ही तरीके से दीपक जलाना गलत है। ऐसे लोगों की जानकारी के लिए यह लेख हैं। जानें कि किस देवता के लिए कौन सा दीपक जलाना उचित है। यहां यह भी जानने लायक है कि इन दीपकों के साथ किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
भिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग दीपक
शुरुआत प्रथम पूज्य गणेश से। उनकी कृपा पाने के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाएं। दुर्गा, सरस्वती आदि देवियों की उपासना के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आठ तथा 12 मुखों वाले दीपक का प्रावधान है। उसमें पीली सरसों के तेल का उपयोग करें। भगवान विष्णु लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए। जब बात विष्णु के दशावतार की है तो दस मुखी दीपक जलाएं। माता लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए घी का सात मुखी दीपक जलाएं। भैरव की उपासना के लिए सरसों के तेल का चौमुखी दीपक उपयुक्त होता है। हनुमान के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करें। उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए। भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।
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ग्रहों के लिए अलग-अलग व्यवस्था
दीपक जलाने का विधान जानने के क्रम में जानें ग्रहों की पूजा के बारे में। इसमें भी अलग-अलग तरह के दीपक की व्यवस्था की गई है। भगवान भास्कर की पूजा के लिए घी का दीपक जलाएं। शनि के सरसों का तेल दान भी दिया जाता है। मंगल को अनुकूल बनाना हो तो चुकंदर को काटकर दीपक बनाएं। बृहस्पति को अनुकूल करने के लिए बत्ती को हल्दी में रंगकर चार मुंह वाला दीपक जलाएं। फिर उसमें शुद्ध घी डालकर बत्ती जलाएं। अतः उनके लिए इसी तेल का दीपक जलाना चाहिए। राहु और केतु ग्रह के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाएं। बुध के लिए गणेश की पूजा काफी प्रभावी होती है। अतः उसी अनुरूप दीपक जलाएं। शुक्र के लिए मां जगदंबा की पूजा प्रभावी है। उसी अनुरूप दीपक जलाना चाहिए।
मनोकामना के अनुसार भी तय होते हैं दीप
दीपक जलाने में मनोकामना की भी भूमिका होती है। आपकी मनोकामना क्या है, उस आधार पर भी दीपक निर्धारित करना चाहिए। आर्थिक लाभ व लक्ष्मी उपासना के लिए शुद्ध घी का सामान्य दीपक भी ठीक है। यदि अच्छी शिक्षा की उपासना कर रहे हों तो दो मुंह वाला दीपक जलाएं। शत्रुओं से पीड़ित हैं तो सरसों के तेल का दीपक भैरव के समक्ष जलाएं। शत्रु नाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए। मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाएं। इष्ट-सिद्धि व ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए। पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
जानें दीपक के कुछ प्रमुख प्रकार
उपासना या अनुष्ठान में भी दीपक जलाने का विधान निर्धारित है। इसमें भी कई प्रकार के दीपक प्रयोग में लाये जाते हैं। इनमें मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल, स्वर्ण आदि प्रमुख हैं। चुकंदर, मूंग, चावल, गेहूं, उड़द, ज्वार आटा आदि से बना दीपक भी खूब प्रयोग में आता है। किसी-किसी साधना में अखंड ज्योति जलाने का भी विधान होता है। उसमें गाय का शुद्ध घी या तिल के तेल का उपयोग होता है। कुछ तांत्रिक व शाबर साधना में दीपक के स्थान पर मोमबत्ती का प्रयोग किया जाता है।
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