जानें कि 2020 में कब मनाएँ जन्माष्टमी

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30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर
30 अगस्त 2021 को मनाएं जन्माष्टमी, दुख होंगे दूर।

जानें कि 2020 में कब मनाएँ जन्माष्टमी। विभिन्न पर्व-त्योहार की तरह इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विद्वानों में एकमत नहीं है। कुछ 11 अगस्त, कुछ 12 अगस्त तो कुछ 13 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने की सलाह दे रहे हैं। सबके अपने-अपने तर्क हैं। इससे लोग असमंजस में हैं कि किस तिथि को जन्माष्टमी मनाएं। इसी भ्रम को दूर करने के लिए मैं पाठकों के समक्ष सभी पक्ष के तर्कों को रख रहा हूं ताकि अपने विचार और श्रद्धा के अनुसार इस पर निर्णय ले सकें। देश के अधिकतर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी होने की बात लिखी गई है। इस लिहाज से बहुमत 11 या 12 अगस्त के साथ है। सिर्फ ऋषिकेश और कुछ सीमित इलाकों में 13 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने की बात लिखी है।

विवाद के कारण

इसमें किसी को संशय नहीं है कि जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस बार का संयोग ऐसा है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं आ रहा है। इसलिए कुछ विद्वान तिथि तो कुछ नक्षत्र के आधार पर अलग-अलग दिन को जन्माष्टमी बता रहे हैं। अष्टमी तिथि 11 अगस्त को पूरे दिन और रात रहेगी। इस कारण बड़े हिस्से में 11 अगस्त बड़ी संख्या में लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं। काशी, उज्जैन और जगन्नाथपुरी में भी इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। चूंकि अष्टमी 12 अगस्त को सुबह तक रहेगी। अर्थात अष्टमी का सूर्योदय 12 अगस्त को होगा और उसी दिन रोहिणी नक्षत्र भी है। इसी आधार में मथुरा और द्वारिका समेत कई जगह पर 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का फैसला किया गया है। वास्तव में दोनों दिन ही शुभ मुहुर्त रहेगा।


विशेष योग

जानें कि 2020 में इस बार जन्माष्टमी के दिन ग्रहों की स्थिति से वृद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही कृतिका नक्षत्र रहेगा। अतः इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा विशेष फल देने वाली होगी। एक और खास बात है कि चूंकि कोरोना के कारण शारीरिक दूरी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, इसलिए मंदिरों में कोई भव्य आयोजन नहीं होगा। श्रद्धालुओं के लिए बेहतर होगा कि घर में ही रहकर विशेष उपासन से श्रीकृष्ण को प्रसन्न कर अपनी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाएं या फल पाने के लिए विशेष आयोजन करें। पंडितों की राय में गृहस्थों को 11 और साधु-संतों को 12 अगस्त को भगवान का पूजन और जन्मोत्सव का आयोजन करना चहिए।

(अगले भाग में : श्रीकृष्ण उपासना की प्रभावी विधि)https://www.parivartankiawaj.com/use-these-methods-to-do-krishna-pooja/

अधिकांश मंदिरों के नहीं खुलेंगे कपाट

अधिकांश स्थानों पर मंदिर नहीं खुलेंगे। खबर है कि मथुर में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भव्य आयोजन नहीं हो पाएगा। मटकी फोड़ कार्यक्रमों की इजाजत भी नहीं मिलेगी। कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र का एक साथ नहीं मिल रहे। 11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

जानें कि 2020 में जन्माष्टमी का शुभ समय। पंडित राजेश उपाध्याय का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। इस बार 12 अगस्त को जशपुर में जन्माष्टमी मनाने का फैसला किया है। पहले पुरी और मथुरा की अलग अलग तिथियों को लेकर त्यौहार दो दिन मनाने की नौबत आती थी। जिसके बाद ट्रस्ट ने यह निर्णय किया कि साल भर के त्योहारों का कैलेंडर जारी करने की परंपरा कायम की। जिसका निर्णय सभी की उपस्थिति में तिथियों का विचार कर किया जाता है। मान्यता है कि पंडित राजेश उपाध्याय का कहना है कि गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व 11 अगस्त को रहेगा। वहीं, साधु और सन्यासियों के लिए 12 अगस्त को।

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