मंदिरों का शहर है दक्षिण की काशी कांचीपुरम

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मंदिरों का शहर है दक्षिण की काशी कांचीपुरम
मंदिरों का शहर है दक्षिण की काशी कांचीपुरम

Kanchipuram is the city of temples in the south : मंदिरों का शहर है दक्षिण की काशी कांचीपुरम। नाम सुनकर उनमें पहली नजर में कोई समानता नहीं लगती है। वहां जाते ही इसे अनुभव अवश्य कर सकते हैं। यदि आपने काशी को ठीक से देखा है तो कांचीपुरम शहर को पहली पहली नजर में ही देखकर कह उठेंगे कि यह तो दक्षिण की काशी है। वहां भी काशी जैसे ढेर सारे मंदिर हैं। उसे मंदिरों का शहर भी कह सकते हैं। एक से एक भव्य मंदिर। चेन्नई सेंट्रल से कांचीपुरम की दूरी 80 किलोमीटर है। यहां से ट्रेन या बस से जाया जा सकता है। पर सुगम तरीका लोकल ट्रेन है। सस्ती और आरामदेह। हम चेन्नई के तांब्रम इलाके में ठहरे थे। वहां से कांचीपुरम 67 किलोमीटर दूर है। तांब्रम रेलवे स्टेशन भी वैसे कांचीपुरम जिले में ही आता है। मानो आधा चेन्नई कांचीपुरम जिले में है।

चेन्नई से पैसेंजर ट्रेन का सफर सस्ता और आरामदेह

Kanchipuram is the city of temples in the south : मंदिरों का शहर है दक्षिण की काशी कांचीपुरम। नाम सुनकर उनमें पहली नजर में कोई समानता नहीं लगती है। वहां जाते ही इसे अनुभव अवश्य कर सकते हैं। यदि आपने काशी को ठीक से देखा है तो कांचीपुरम शहर को पहली पहली नजर में ही देखकर कह उठेंगे कि यह तो दक्षिण की काशी है। वहां भी काशी जैसे ढेर सारे मंदिर हैं। उसे मंदिरों का शहर भी कह सकते हैं। एक से एक भव्य मंदिर। चेन्नई सेंट्रल से कांचीपुरम की दूरी 80 किलोमीटर है। यहां से ट्रेन या बस से जाया जा सकता है। पर सुगम तरीका लोकल ट्रेन है। सस्ती और आरामदेह। हम चेन्नई के तांब्रम इलाके में ठहरे थे। वहां से कांचीपुरम 67 किलोमीटर दूर है। तांब्रम रेलवे स्टेशन भी वैसे कांचीपुरम जिले में ही आता है। मानो आधा चेन्नई कांचीपुरम जिले में है।

देश के पवित्र शहरों में है कांचीपुरम

कांचीपुरम मंदिरों का शहर है। यह देश के सात सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। हिंदुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल हजार मंदिरों के शहर के रूप में चर्चित है। आज भी यहां 126 शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। यह वेगवती नदी के तट पर बसा है। कांचीपुरम प्राचीनकाल में चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी। साड़ियों की बात करें तो कांचीपुरम रेशमी साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की साड़ियां कांजीवरम नाम से प्रसिद्ध हैं। हाथ से बुनी ये साड़ियां उच्च कोटि की गुणवत्ता वाली होती हैं। इसीलिए आमतौर पर तमिल संभ्रांत परिवार की महिलाओं की साड़ियों में यह अवश्य शामिल होती है। इसकी उत्तर भारत में भी खूब मांग है। हालांकि अधिक महंगी होने से आम लोगों में प्रचलन कम है। वहां हर इलाके में सिल्क फैक्ट्री का बोर्ड लगा होता है। खरीदने से पहले इसकी गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त अवश्य हो लें।

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