गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

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गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि।

Know the auspicious time and worship method of Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि। यह संकट दूर कर मनोवांछित फल पाने का अनुपम समय है। इस अवधि में गणेश पूजा का विशेष फल माना जाता है। पूजा दो तरह से हो सकती है। पहली एक दिन की और दूसरी दस दिन की। इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। अतः एक दिन करने वाले को इसी दिन उपासना करनी चाहिए। दस दिन की पूजा शुरू करने का सर्वोत्तम समय भी यही है। इसका समापन 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। उसी दिन गणपति को विदाई दी जाती है। लंबी उपासना एवं मंत्र सिद्धि के लिए 10 दिन की अवधि श्रेष्ठ होती है। मनोकामना पूर्ति के लिए अनुष्ठान के यह उपयुक्त समय है। सामान्य पूजन से भी रिद्धि-सिद्धि, सुख-संपत्ति और विघ्न रहित जीवन प्राप्त होता है।

ये है शुभ मुहूर्त, रखें इनका भी ध्यान

इस वर्ष (सन 2021) गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.17 से रात 10 बजे तक रहेगा। इस दौरान अभी भी पूजा या अनुष्ठान शुरू कर सकते हैं। पूजा जब भी करें, विशेष दिन होने के कारण हर व्यक्ति को इस दिन प्रातः यथाशीघ्र उठकर नित्य कर्म आदि से निवृत्त होकर स्नान कर लेना चाहिए। इस दिन पीला या लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। काले या नीले रंग का वस्त्र कतई नहीं पहनें। उचित होगा कि इस रंग से ही दूरी बनाकर रखें। इस दिन चंद्र दर्शन कतई नहीं करें। यदि भूल वश ऐसा हो जाए तो भूमि से एक पत्थर उठाकर बिना देखे पीछे की ओर फेंक दें। इसके साथ ही गणेश जी से क्षमायाचना करते हुए वक्र तुंडाय हुम मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। पूजा में गणेश जी को तुलसी पत्र चढ़ाना भी वर्जित है। इसका भी ध्यान रखें।

आज ही कर लें पूरी तैयारी

गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है। इसके लिए आज ही तैयारी कर लें। चाहे एक दिन की पूजा करें या अनुष्ठानपूर्वक दस दिन तक की पूजा करें, आपकी तैयारी एक दिन पूर्व ही पूरी हो जानी चाहिए। अन्यथा कमी रहने का खतरा रहता है। तैयारी में पूजन सामग्री, गणपति की मूर्ति (यदि दस दिन का कर रहे हों), स्थान, समय आदि को निर्धारित कर लें। यह भी ध्यान रहे कि यदि मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो घर में पहले से कोई प्रतिमा न हो। हर देवी देवता की पूजा में इसका ध्यान रखना चाहिए। पूजा स्थान पर उनका एक ही रूप हो। उन्हें प्रिय पूजन सामग्री में दूर्वा, बूंदी का लड्डू, मोदक, गन्ना आदि है। अनुष्ठान करने के लिए सबसे आवश्यक है मंत्र का चयन। आप जिस मनोकामना या सिद्धि के लिए अनुष्ठान कर रहे हैं, उसके लिए उपयुक्त मंत्र का चयन पहले कर लें।

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