Know the condition of the future in a dream, get such accomplishment : स्वप्न में भविष्य का हाल जानें। ऐसे पाएं सिद्धि। छोटी सिद्धियों में मैं इस बार स्वप्न में प्रश्नों के उत्तर जानने की विधि दे रहा हूं। इसका लाभ और प्रभाव पहले की सिद्धियों से कम है। साथ ही इसमें खतरा नगण्य है। कई साधक इस सिद्धि के माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान का हाल जानते और बताते हैं। इसमें कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जो स्वयंसिद्ध हैं। उनका एक ही दिन में प्रयोग करने की सलाह दी गई है। मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि बिना अपनी और मंत्र की शक्ति को जगाए प्रयोग करने से बचें। इसके कई मंत्र हैं। इनमें कुछ यक्षिणी, पिशाचिनी, अप्सरा आदि के भी हैं। उनमें से कुछ प्रमुख मंत्र और विधि को दे रहा हूं। इसमें समय अधिक लगेगा लेकिन सटीक व सुरक्षित है।
स्वप्न मातंगी का प्रयोग
मातंगी दश महाविद्या में एक हैं। स्वप्न में हाल बताने में इनका सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। विभिन्न ग्रंथों में मंत्र और प्रयोग विधि में भिन्नता है। मैं उनमें से एक मंत्र दे रहा हूं।
ऊं नमः स्वप्न मातंगिनि सत्यभाषिणि स्वप्नं दर्शय दर्शय स्वाहा।
विधि- मंत्र सिद्ध करने के लिए कम से कम 21 दिन तक नित्य आठ हजार जप करें। शुभ दिन और समय देखकर मंत्र जप सिद्धि का अनुष्ठान शुरू करें। इसमें एकांत आवश्यक है। वन, नदी तट, पर्वत शिखर आदि उचित स्थान है। चाहें तो घर के एकांत कमरे में भी इसे कर सकते हैं। पहले नित्य मां मातंगी की पूजा करें। फिर आठ हजार जप करें। इसके बाद जब प्रश्न करना हो, दिन में निर्जल व्रत कर रात में प्रश्न लिखकर सिरहाने में रख लें। फिर मंत्र का 108 बार जप कर सो जाएं। स्वप्न में शुभ-अशुभ फल व बातों की जानकारी मिल जाएगी।
कर्ण पिशाचिनी मंत्र
1-ऊं नमो भगवती कर्णपिशाचिनी देवी अग्रे छागेश्वरि सत्यवादिनी सत्यं दर्शय दर्शय शिव प्रसन्नमुद्रा व्यंतर्याकोपिनभर्त मम कर्णे कथय कथय हरये नमः।
विधि- स्वप्न में भविष्य का हाल जानने के लिए कर्ण पिशाचिनी की साधना अत्यंत प्रभावी है। 21 दिन के अनुष्ठान में नित्य रात्रि में धूप, दीप व नैवेद्य से सामान्य पूजा करें। फिर 11 माला मंत्र जप करें। इससे सिद्ध प्राप्त हो जाएगी। आपको स्वप्न में प्रश्नों के उत्तर मिलने लगेंगे। ध्यान रहे कि यह साधना पूजा स्थान से दूर एकांत कक्ष में करें। सिद्धि के बाद भी प्रतिदिन एक माला जप करते रहें। अन्यथा सिद्धि चली जाएगी।
2-ऊं कं ह्री प्राणकर्षणमालोकितेन विश्वरूपी पिशाची वद वद इं ह्रीं स्वाहा।
विधि- शुक्लपक्ष प्रतिपद से पूर्णिमा या कृष्णपक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक नित्य दस हजार जप करें। फिर इसी मंत्र से कर्ण पिशाचिनी का पिंडदान करने पर सिद्धि मिलती है। इससे भूत, भविष्य और वर्तमान का हाल पता चलता है।
त्रिदेव मंत्र प्रयोग
स्वप्न में भविष्य का हाल जानने के लिए त्रिदेव की उपासना भी कारगर है। इनमें से किसी भी मंत्र जप की संख्या कम से कम सवा लाख होनी चाहिए। उसके दशांश हवन और दशांश तर्पण आदि का विधान है। नीचे बारी-बारी से तीनों देवों के मंत्र दे रहा हूं।
विष्णु स्वप्न मंत्र
ऊं नमः सकललोकाय विष्णुवे प्रभविष्णवे।
विश्वाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपते नमः।।
ब्रह्मास्वप्न सिद्ध मंत्र
ऊं परब्रह्म स्वरूपं त्वमंतश्चरसि विश्वधृक्।
शुभाशुभगतिं देव स्वप्ने में विनिवेदय।।
शिव स्वप्न सिद्ध मंत्र
ऊं हिलि हिलि शूलपाणये स्वाहा। नमो जय त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने।
वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपतये नमः। स्वप्ने कथय में तथ्यं सर्वकार्येष्वशेषतः।
क्रियासिद्धिं विधास्यामि त्वत्प्रसादान्महेश्वरः।
सरस्वती स्वप्न फल मंत्र
विद्या की देवी सरस्वती भी स्वप्न में फल बताती हैं। साथ ही साधक विभिन्न विद्याओं में निपुण होता है। मां सरस्वती के विभिन्न रूपों के कुछ मंत्र नीचे दे रहा हूं। अनुष्ठानपूर्वक उनमें से किसी एक का सवा लाख जप करें। फिर दशांश हवन करें।
1-वागीश्वरी मंत्र
ऊं नमः पद्मासने शब्दरूपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।
2-अंतरिक्ष सरस्वती मंत्र
ऐं ह्रीं अंतरिक्ष सरस्वति स्वाहा।
3-नील सरस्वती मंत्र
ब्लूं वें वद वद त्रीं हुं फट्।
4-किणि सरस्वती मंत्र
ऐं हैं हीं किणि किणि विच्चे।
उपरोक्त सभी मंत्र अत्यंत फलदायी हैं। इनमें से किसी से भी स्वप्न में भविष्य का हाल जान सकते हैं।
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