नौ ग्रहों के प्रभाव और बीमारियों से संबंध जानें

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जानिए सनातन परंपराओं के वैज्ञानिक तर्क
जानिए सनातन परंपराओं के वैज्ञानिक तर्क।

Know the effects of planets and the relation with diseases : नौ ग्रहों के प्रभाव और बीमारियों से संबंध को जानें। मनुष्य ही नहीं पूरी पृथ्वी पर ग्रहों का सीधा प्रभाव पड़ता है। मनुष्य के व्यक्तित्व से लेकर उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं का भी सीधा संबंध ग्रहों से है। उनके बारे में जानने के लिए एक पुस्तक भी कम होगी। सामान्य पाठकों के लिए इस पर संक्षिप्त जानकारी दे रहा हूं। इसे जानकार आप खुद अपना और अपने परिवार का भला कर सकेंगे। इस पर लंबी श्रृंखला चलेगी। सप्ताह में एक लेख इसी विषय पर दूंगा। इस बार शुरुआत ग्रहों के सामान्य परिचय से। साथ ही उनके शरीर के अंगों व बीमारियों से संबंध को दे रहा हूं।

ऐसे समझें ग्रहों के प्रभाव और शक्ति को

हर ग्रह के अपने गुण हैं। उसका सीधा असर उसके व्यक्तित्व, स्वास्थ्य एवं गुण दोष पर पड़ता है। वैसे तो जन्मकुंडली में किसी ग्रह के स्थान और भाव को देखकर भी उसे जानना जा सकता है। हथेलियों में उसकी रेखा और पर्वत की स्थिति से भी उसे समझा जा सकता है। इस दोनों को नहीं जानते तो आप किसी व्यक्ति के गुण-दोष, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य आदि को देखकर भी ग्रहों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। तदनुसार उसे शांत, प्रसन्न या मजबूत करने के उपाय कर सकते हैं। नीचे नौ ग्रहों के प्रभाव पर बारे में बारी-बारी से जानकारी दूंगा। इस अंक में सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध की जानकारी दे रहा हूं। शुरुआत सूर्य से।

सबसे महत्वपूर्ण ग्रह सूर्य

सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं। वेद से लेकर विभिन्न ग्रंथों में इनकी महिमा का बखान किया गया है। ऊर्जा से भरपूर यह ग्रह सिंह राशि के स्वामी हैं। इनसे व्यक्ति के नेतृत्व क्षमता, इच्छा शक्ति, शुद्धता, तेज आदि गुणों का निर्धारण होता है। शरीर के अंगों की बात करें तो सूर्य आत्मा के साथ ही हड्डी, हृदय, दाईं आंख, पेट, पित्त, आमाशय और रीढ़ की हड्डी से जुड़े हैं। इनके कमजोर या प्रतिकूल होने पर नेत्र रोग, सिर दर्द, अपेंडिक्स, विषम ज्वर, खून के प्रवाह में बाधा, हड्डी संबंधित समस्याएं, हृदय रोग, पेट संबंधी रोग आदि होने का खतरा रहता है। सूर्य की उपासना एवं उनकी शांति से इसमें राहत मिलती है। सूर्य के लिए प्रमुख रत्न रूबी है। भगवान सूर्य को जल चढ़ाने, रविवार का व्रत रखने और उनके मंत्र या स्तोत्र भी काफी उपयोगी होता है। सूर्य अनुकूल हों तो व्यक्ति यशस्वी बनता है।

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मन और मूड से जुड़े हैं चंद्रमा

नौ ग्रहों के प्रभाव में अब चंद्रमा के बारे में जानें। ये मनुष्य के मन और मूड को नियंत्रित करते हैं। कर्क राशि के स्वामी हैं। चूंकि चंद्रमा का आकार रोज घटता-बढ़ता है। उसी अनुरूप लोगों का मन और मूड भी बदलता रहता है। यह मानसिक स्थिति के साथ ही स्त्री सौंदर्य, प्रजनन आदि को भी नियंत्रित करते है। शरीर के अंगों की बात करें तो दिमाग, बाईं आंख, गला से हृदय, खून, शरीर में तरल पदार्थ, हार्मोन, कफ और फेफड़ा पर असर डालते हैं। इस वजह से चंद्रमा नेत्र रोग, मानसिक रोग, अनिद्रा, रक्त विकार, सर्दी व उससे जुड़ी बीमारियां, जल जनित बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोग के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। ऐसी बीमारी होने पर उससे राहत के लिए चंद्रमा की शांति करनी चाहिए। इनका मुख्य रत्न मोती है। ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए उसे पहनना चाहिए। हालांकि योग्य पंडित की सलाह अवश्य लें।

मंगल हैं साहस और आक्रामकता के प्रतीक

मंगल ग्रह व्यक्ति के महत्वपूर्ण पहलू को तय करते हैं। वे साहस, पराक्रम, आत्मविश्वास और उग्रता को निर्धारित करते हैं। यदि अनुकूल हों तो व्यक्ति के जीवन में सब मंगल होता है। प्रतिकूल हों तो व्यक्ति हिंसक और क्रूर बन जाता है। ये मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं। मंगल शरीर के अंगों में रक्त, मज्जा, अस्थि और पेट से पीठ तक को नियंत्रित करते हैं। अतः रक्त संबंधी रोग, व्रण, चर्म रोग, जलना, कटना, कैंसर, पित्त, स्त्री रोग, संक्रमण, एवं मूत्र रोग के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनके लिए मूंगा प्रमुख रत्न है। मंगलवार का व्रत, मंगल का मंत्र जप, हनुमान जी की पूजा से ये अनुकूल होते हैं। नौ ग्रहों के प्रभाव में यह मंगल के बारे में जानकारी थी। अब बुध के बारे में जानें।

बुद्धि और निर्णय क्षमता तय करते हैं बुध

बुध ग्रह जातक के बुद्धि कौशल और निर्णय क्षमता को प्रभावित करते हैं। इनका संबंध विचार, व्यापार और धन से भी होता है। शरीर के अंगों में ये गले से कंधे तक, मुंह, वाणी, नाक, गला, फेफड़ा और त्वचा को प्रभावित करते हैं। इनके प्रतिकूल या कमजोर होने पर वाणी दोष, बुद्धि–विवेक का नाश, सांस की तकलीफ, छाती संबंधी बीमारी, त्वचा रोग होने का खतरा रहता है। वाणी अनियंत्रित होने लगती है। इससे अपने ही विरोध में खड़े हो जाते हैं। निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। कामकाज की स्थिति खराब होने लगती है। कई बार कर्ज भी हो जाता है। इससे बचने के लिए बुध के मंत्र जप करें। उनका मुख्य रत्न पन्ना है। गणेश की उपासना से फायदा मिलता है। मंदिर में गणेश जी को लड्डू का भोग लगाकर उसे बच्चों में बांट दें। बुध कन्या राशि के स्वामी हैं।

जारी (दूसरा भाग कल पढ़ें)

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