ग्रह शांति में महादेव की पूजा का महत्व जानें

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ग्रह शांति में महादेव की पूजा का महत्व जानें
ग्रह शांति में महादेव की पूजा का महत्व जानें।

Know the need and importance of worshiping of Mahadev :ग्रह शांति में महादेव की पूजा का महत्व जानें। त्रिदेवों के एक महादेव को औघड़दानी, भोलनाथ, शिव, महाकाल जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। ये प्रसन्न हों तो भक्तों को निहाल कर देते हैं। इनकी पूजा-उपासना अत्यंत फलदायी होती है। भक्तों की हर मनोकामना को पूरी कर देते हैं। प्रसन्न हों तो पात्र-अपात्र, देय-अदेय की चिंता किए बिना भक्तों को कुछ भी दे देते हैं। यह तो हुई पूजा-उपासना की सामान्य बात। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो भी ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रतिकूल ग्रहों के कारण विवाह में समस्या, रोजगार संकट, संतान सुख की कमी, गंभीर बीमारी, मृत्यु का खतरा आदि में भोलेनाथ की पूजा-उपासना अत्यंत कारगर है। विभिन्न ग्रहों और समस्याओं में इनकी पूजा-उपासना की विधि भी अलग-अलग है। उन पर बारी-बारी से प्रकाश डालूंगा। शुरूआत चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव से मुक्ति के उपाय के बारे में।

ग्रहों में चंद्रमा का विशिष्ट स्थान

नवग्रहों में चंद्रमा का विशिष्ट स्थान है। वह जल के कारक हैं। पृथ्वी पर जल तत्व ही सबसे अधिक है। मनुष्य के शरीर में तो 70 फीसद जल का ही हिस्सा है। चंद्रमा मनुष्य के मन के कारक हैं। दूसरे शब्दों में मन की स्थिति उनकी दशा पर निर्भर करती है। ऐसे में यदि चंद्रमा प्रतिकूल हों तो जातक बड़ी समस्या में फंस जाता है। ऐसे में बचाव के लिए उपाय ही एक मात्र रास्ता है। इसमें भी महादेव की उपासना काफी उपयोगी होती है। चंद्रमा और उसके दुष्प्रभाव को इनकी पूजा-उपासना से नियंत्रित किया जा सकता है। चंद्रमा की शांति में शिव उपासना को जानने के लिए दोनों के संबंधों को भी देखें। चंद्रमा शिव के मस्तक पर विराजमान हैं। दक्ष प्रजापति ने शाप दिया था तो शिव की उपासना से उन्होंने मुक्ति पाई थी। इसलिए चंद्रमा ग्रह शांति में महादेव की पूजा का और अधिक महत्व है।

इस तरह से समझें प्रतिकूल चंद्र को

इस तरह करें प्रतिकूल चंद्रमा को अनुकूल
इस तरह करें प्रतिकूल चंद्रमा को अनुकूल।

जातक पर चंद्रमा का कैसा प्रभाव है, जानने का सरल मार्ग जन्मकुंडली है। लेकिन कई लोगों के पास जन्मकुंडली नहीं होती है। जिनके पास होती भी है, उनमें सटीक होने की गारंटी नहीं रहती। मैंने कई बार देखा है कि जन्मकुंडली का फल जीवन में नहीं दिख रहा। सूक्ष्म गणना से स्पष्ट हुआ कि कुंडली दोषपूर्ण है। ऐसे में लक्षण के आधार पर गणना की जाती है। इनमें से कुछ भी मिले तो चंद्रमा प्रतिकूल समझें। जातक का मन बेचैन रहता है। एक जगह टिकना कठिन होता है। मासिक रोग, कल्पना की दुनिया में विचरना और मूड पल-पल बदलना भी आम समस्या है। अधिक प्रतिकूल हों तो डिप्रेशन, पालगपन, मिर्गी आदि हो सकते हैं। रात में नींद नहीं आती है। पूर्णिमा, अमावस्या और ग्रहण काल में समस्या बढ़ जाती है। मां के सुख में कमी, पानी और ऊंचाई से डर लगना और याददाश्त की कमजोरी भी इसके लक्षण हैं।

ये करें उपाय

प्रतिकूल चंद्रमा की सामान्य समस्या में शिव भक्ति से ही राहत मिल जाती है। सोमवार का व्रत और शिव मंदिर जाकर रुद्राभिषेक करने से काफी लाभ मिलता है। समस्या के दौरान महामृत्युंजय का जप भी अत्यंत कारगर है। लघु मृत्युंजय मंत्र से भी लाभ मिलता है। यह भी नहीं कर सकें तो ऊं नमः शिवाय का जप नित्य करें तो समस्याओं में कमी महसूस करने लगेंगे। जितना अधिक संभव हो रात में कम से कम पांच मिनट चंद्रमा की रोशनी में बिताएं। उस दौरान ऊं नमः शिवाय का जप करते रहें। इसका भी चमत्कारिक लाभ मिलता है। आशा करना हूं कि आपने ग्रह शांति में महादेव की पूजा की आवश्यकता व महत्व को जान लिया होगा। अन्य ग्रहों में शिव पूजा-उपासना पर फिर किसी अंक में जानकारी दूंगा।

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