ग्रहों से जानें बच्चों के लिए कौन विषय उपयुक्त

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ग्रहों से जानें बच्चों के लिए कौन विषय उपयुक्त
ग्रहों से जानें बच्चों के लिए कौन विषय उपयुक्त।

Know which subject is suitable for child from the planets :  ग्रहों से जानें बच्चों के लिए कौन विषय उपयुक्त है। यदि इस विधि का प्रयोग करेंगे तो आपके बच्चों की सफलता की संभावना काफी बढ़ जाएगी। इसका कारण यह है कि ग्रह मनुष्य के जीवन की तरह शिक्षा-दीक्षा को भी प्रभावित करते हैं। ग्रह दशा से तय होता कि किसकी रुचि किस विषय में होगी? कौन विषय उसके लिए जटिल होगा? इसे इस तरह भी देख सकते हैं कि कोई बच्चा गणित और विज्ञान में बहुत अच्छा करता है। कुछ को ये समझ में ही नहीं आते। कुछ कला के क्षेत्र में बहुत मजबूत होते हैं। कोई खेलकूद में नाम कमाता है। इस रहस्य को उनकी जन्मकुंडली को देखकर समझा जा सकता है। नीचे मैं इन्हीं रहस्यों को खोल रहा हूं। इसकी मदद से आप अपने बच्चों की रुचि और ताकत को समझ सकते हैं।

ग्रह दशा तय करते हैं विषयों के प्रति रुचि

ग्रहों की दशा तय करती है कि किसकी किस विषय में रुचि होगी। जाहिर है कि ग्रह की मनुष्य की कमजोरी को तय करते हैं। इसे जानने के बाद उपायों से मजबूत क्षेत्र को और मजबूत एवं कमजोर की ठीक किया जा सकता है। ध्यान रखें कि यह सहायक विधि है। सफलता के लिए बच्चों की मेहनत आवश्यक है। वैसे सामान्य रूप से देखें तो बुध संपूर्ण शिक्षा को मजबूत या कमजोर करता है। उसे प्रसन्न कर शिक्षा में बेहतर किया जा सकता है। सरस्वती, गणेश, नील सरस्वती (तारा) और सूर्य की उपासना से कमजोर बच्चे भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। नीचे विषय और ग्रहों के संबंध को स्पष्ट किया जा रहा है।

विज्ञान के लिए सूर्य व चंद्र का अनुकूल होना आवश्यक

ग्रहों से जानें बच्चों भविष्य में पढ़ें विज्ञान के बारे में। यदि आप अपने बच्चे को विज्ञान पढ़ाना चाहते हैं तो सुनिश्चित करें कि उसका सूर्य मजबूत हो। इसमें सफलता के लिए चंद्रमा भी अनुकूल होना चाहिए। हालांकि मुख्य भूमिका सूर्य की होती है। यदि ये ग्रह प्रतिकूल हैं तो बच्चा इस विषय में समस्याओं में उलझा रहेगा। बेहतर ग्रह दशा वाले विज्ञान के विद्यार्थी भी सूर्य को प्रतिदिन जल चढ़ाएं। रविवार का व्रत करना और मजबूती देगा। सोम सोमाय नमः के जप से चंद्रमा अनुकूल होते हैं। कंप्यूटर के क्षेत्र में सफलता के लिए राहु और केतु का समर्थन आवश्यक है। यदि दोनों ग्रह अनुकूल हैं तो बच्चे बेहतर प्रदर्शन करेंगे। वैसे भी इस विषय को पढ़ने वाले को राहु और केतु का जप करना चाहिए। इसमें उन्हें और मजबूती मिलेगी।

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बुध अनुकूल तो गणित व वाणिज्य में मिलेगी सफलता

गणित और वाणिज्य में सफलता के लिए बुध का अनुकूल होना आवश्यक है। गणित में बुध के साथ मंगल भी अच्छा होना चाहिए। बुध की भूमिका गणित में मजबूत बनाने की है। मंगल इस क्षेत्र में सफलता दिलाता है। अतः गणित में सफलता के लिए गणेश जी और हनुमान जी की उपासना कल्याणकारी होती है। विकल्प में बुध और मंगल को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्र का जप कर सकते हैं। वाणिज्य (कामर्स) में सफलता के लिए बुध ही पर्याप्त हैं। यदि वे अनुकूल हैं तो बच्चा उस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर सकता है। उचित होगा कि वाणिज्य पढ़ने वाले विद्यार्थी गणेश जी की पूजा अवश्य करें। बुधवार को उन्हें लड्डू का भोग भी लगाएं। बुध का मंत्र भी उपयोगी है।

कला के लिए शुक्र, अंग्रेजी के लिए शनि हो मजबूत

कला का सीधा संबंध शुक्र ग्रह से है। यदि शुक्र कमजोर हो तो बच्चे इसमें परेशान रहते हैं। भूगोल में जगह और इतिहास में घटनाओं के सन याद नहीं रहने का यह बड़ा कारण है। ऐसे बच्चे चित्र बनाने, गीत गाने, नृत्य करने आदि में भी कमजोर होते हैं। उन्हें इसमें मन ही नहीं लगता है। अतः कमजोर शुक्र वाले को इस क्षेत्र में नहीं आना चाहिए। यदि मजबीर में आ गए तो प्रतिदिन शिवलिंग को जल चढ़ाएं। रात में सोते समय गुनदुना दूध पीना भी लाभकारी होता है। अंग्रेजी में सफलता के लिए शनि का मजबूत होना आवश्यक है। सात ही उसे केतु का भी भरपूर समर्थन मिलना चाहिए। इसमें और अधिक सफलता के लिए शनिवार को पीपल को जल चढ़ाएं। साथ ही शनि के मंत्र का 108 बार जप करें। इस उपाय से कमजोर ग्रह रहने पर भी बच्चे का प्रदर्शन सुधर सकता है।

ग्रह शांति से प्रदर्शन में सुधार संभव

ग्रहों से जानें बच्चों के लिए कौन विषय उपयुक्त में आपने अनुकूल ग्रहों के असर को जाना। यहां यह भी जानना आवश्यक है कि यदि आपका बच्चा ग्रह के अनुकूल न होने पर भी कोई विषय पढ़ रहा है तो चिंता नहीं करें। उस ग्रह की शांति और अनुकूलता के लिए अनुष्ठान करें। बाद में खुद या बच्चे से उस ग्रह की नियमित पूजा कराएं। जप भी अत्यंत प्रभावशाली होता है। संबंधित रत्न धारण करना भी उपयुक्त होता है। ध्यान रहे कि इसमें पहले योग्य ज्योतिषी से जन्मकुंडली की जांच करा लें। बहुत थोड़े के अंतर से रत्न का प्रभाव अनुकूल के बदले प्रतिकूल हो जाता है।

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