मंत्रों के विज्ञान में जानें उसके प्रभाव, उपयोग और पात्रता

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कोरोना से निपटने में उपयोगी हैं ये मंत्र। ये रोग ही नहीं अपितु, तनाव, बेरोजगारी का सामना करने में भी उपयोगी है। इससे न सिर्फ हर तरह की राहत मिलेगी, बल्कि आप और मजबूत बनकर निखरेंगे।
कोरोना से निपटने में उपयोगी हैं ये मंत्र। ये रोग ही नहीं अपितु, तनाव, बेरोजगारी का सामना करने में भी उपयोगी है। इससे न सिर्फ हर तरह की राहत मिलेगी, बल्कि आप और मजबूत बनकर निखरेंगे।।

Learn the effects, use and eligibility of mantras : मंत्रों के विज्ञान में जानें उसके प्रभाव, उपयोग और पात्रता। पिछले लेख में स्पष्ट कर चुका हूं कि मंत्रों में अद्भुत शक्ति है। ये विज्ञान जैसे प्रभावी हैं। वास्तव में मंत्र अस्त्र-शस्त्र की तरह है। यदि चलाना न आए तो बेकार है। उसी तरह जहां सूई की जरूरत हो वहां तलवार से कैसे काम होगा। यही नियम मंत्रों पर भी लागू होता है। किसी भी मंत्र कोई काम नहीं हो सकता है। सभी कामों के लिए अलग-अलग मंत्र हैं। यही नियम पात्रता को लेकर भी है। ऋषि-मुनियों ने मंत्रों की रचना में सबका पूरा ध्यान रखा है। उन्होंने मंत्रों के विभिन्न मार्ग बनाए। वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र एवं शाबर मंत्र। इनके जप, प्रयोग विधि व पात्रता अलग-अलग है। लोग अपनी रुचि व क्षमता आदि के हिसाब से इनमें से किसी एक या अधिक का चयन करते हैं।

हर मंत्र का सभी नहीं कर सकते जप

मंत्रों को समझने के लिए एक उदाहरण लें। एक मत के अनुसार ऊं का उच्चारण महिलाओं को नहीं करना चाहिए। इसके बदले वे नमः का उच्चारण करें। क्योंकि ऊं में अधिक ऊर्जा व तीव्रता है। महिलाओं का शरीर एक साथ उतनी ऊर्जा को झेलने नहीं सकती। नमः सौम्य और तुलनात्मक रूप में थोड़ा धीमा है। दूरगामी रूप में दोनों समान कल्याणकारी हैं। महिलाएं इनका नियमित जप करें। उन्हें थोड़ी देर से सही पर वही लाभ होगा जो ऊं से होता है। ध्यान रहे कि मंत्रों के निरंतर जप से शरीर में जबरदस्त ऊर्जा आती है। इससे कई बार दैनिक दिनचर्या, मानसिक स्थिति और नींद पर भी असर पड़ता है। इसीलिए हर व्यक्ति को अपनी क्षमता और सुविधा के अनुसार ही मंत्रों का चयन व जप करना चाहिए। इसे व्यायाम से समझें। जैसे हर तरह का व्यायाम सभी नहीं कर सकते। मंत्रों के विज्ञान में भी ऐसे ही समझना चाहिए।

अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए जप

कोई मंत्र अधिक प्रभावशाली है। यह सोचकर ही उसका जप नहीं करें। जप की संख्या का निर्धारण विषय की जरूरत और करने वाले की क्षमता के आधार पर तय होता है। जैसे कोई बच्चा किसी भारी बंदूक को नहीं चला सकता है। ऐसी कोशिश में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता है। इसके विपरीत उसे नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। मंत्र का फायदा हर व्यक्ति व जरूरत के हिसाब से अलग-अलग होता है। महिला व पुरुषों के उदाहरण से आपने समझ लिया होगा। ऐसा ही अंतर व्यक्ति-व्यक्ति में होता है। किसी को कोई मंत्र ज्यादा और शीघ्र फल देता है। दूसरे को उतना फायदा नहीं मिलता है। अतः सामान्य मंत्रों को छोड़ दें तो योग्य पंडितों की सलाह से ही इसे शुरू करें। ध्यान रहे कि सामान्य पंडित भी इन रहस्यों से अपरिचित होते हैं। परिणामस्वरूप उनका अपना जीवन भी चुनौतीपूर्ण होता है।

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मंत्र जप में तरीके का ज्ञान जरूरी

मंत्रों के विज्ञान में जानें ऊं का उदाहरण। यह मंत्र आ ऊ म से बना है। इसका उच्चारण क्रमशः नाभि स्थान, हृदय और मस्तिष्क को झंकृत करता है। नाभि कमल पर ब्रह्मा का वास है। इससे जुड़े पेट से नव निर्माण से लेकर शरीर की जरूरतों पूर्ति (भोजन-पानी से) होती है। हृदय में विष्णु अर्थात पालनकर्ता रहते हैं। हृदय उसी अनुरूप शरीर के लिए शुद्ध रक्त एवं सांस की आपूर्ति करता है। मस्तिष्क को तीसरे नेत्र अर्थात संहारकर्ता का स्थान माना गया है। यह वासना का नाश कर व्यक्ति को उच्च पद की ओर ले जाने में सक्षम है। अतः ऊं को उच्चारण में तीनों अक्षर का सधा प्रयोग ही होना चाहिए। जप करते समय कई बार अंजान लोग म पर ज्यादा जोर देते हैं। इससे उन्हें तत्काल शरीर में ऊर्जा की अनुभूति होती है। लेकिन यह तरीका नुकसानदेह है।

खुद प्रयोग कर लें अनुभव

साधकों के पास अपार क्षमता होती है। वे देखकर समझ जाते हैं कि किसके लिए कौन सा मंत्र उचित है। हालांकि ऐसे लोग मिलने बेहद कठिन हैं। वे सामने आने से परहेज करते हैं। जो आसानी से मिलते, उनमें अधिकतर धंधेबाज हैं। ऐसे में मंत्रों के विज्ञान में खुद अपनी क्षमता, रुचि और उपयोगिता को। मैंने इसे कई लोगों पर किए अनुभव के आधार पर साझा कर रहा हूं। अलग-अलग मंत्रों का आप खुद कुछ-कुछ जप करें। उसके प्रभाव को महसूस करें। ध्यान दें कि किस मंत्र का जप आसानी से कर पाते हैं। किस मंत्र से आपको ज्यादा शांति मिलती है। कुछ लोग वैदिक मंत्रों के जप में सहज रहते हैं। उन्हें अच्छी तरह से कर पाते हैं। कुछ की तांत्रिक मंत्रों में जबर्दस्त पकड़ होती है। कुछ लोग शाबर मंत्रों का जप कर सहज क्षमता अर्जित कर लेते हैं।

शुद्धता का रखें ध्यान, हवन भी जरूरी

किसी भी मंत्र जप में उच्चारण की शुद्धता जरूरी है। इसे योग्य गुरु से लेना चाहिए। गुरु न मिलें तो प्रतिष्ठित प्रकाशनों की पुस्तक से ले सकते हैं। मंत्र को कम से कम दो पंडितों को दिखा और सुनाकर आश्वस्त हो लें। उसके बाद ही उसका जप करें। शुरू में संख्या का संकल्प न लें। कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर मंत्रों का प्रभाव महसूस करें। अच्छा न लगे तो उसे छोड़ दें। दूसरा मंत्र शुरू करें। मंत्र के विज्ञान में जानें अंतरात्मा की आवाज। अंदर से जो आवाज आए और महसूस हो वही मंत्र सबसे अच्छा होता है। एक बार मंत्र के प्रति आश्वस्त हो लें। प्रारंभ में छोटी संख्या का संकल्प लेकर जप करें। ध्यान रहे कि संकल्प वाले मंत्रों के साथ भले कम संख्या में हो, हवन अवश्य होना चाहिए। क्योंकि हवन के बिना जप अधूरा होता है।

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