ग्रहों की शांति से बदल सकता है जीवन

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ऐसे करें मंत्र साधना तो अवश्य मिलेगी सफलता
ऐसे करें मंत्र साधना तो अवश्य मिलेगी सफलता।
जानें सूर्य, बुध, बृहस्पति व शुक्र ग्रहों के प्रभाव व शांति के उपाय

Life can be changed by planetary peace : ग्रहों की शांति से बदल सकता है जीवन। ग्रहों का प्रभाव मानव ही नहीं पूरे विश्व पर पड़ता है। जन्मकुंडली में बैठे ग्रह मानव जीवन के दर्पण हैं। इनसे उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी मिलती है। दूसरे शब्दों में पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर कुंडली में ग्रहों की स्थिति निर्धारित होती है। मौजूदा कर्म से पिछले कर्मों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जैसे अपनी गलती के लिए क्षमायाचना, उसकी भरपाई की कोशिश कर्म के नकारात्मक भाव को कम करते हैं। यही नियम ग्रहों पर भी लागू होता है। शांति कर्म से ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।

ग्रहों का जीवन पर गहरा असर

ग्रहों की वास्तविक संख्या को लेकर विवाद है। ऋषि कुल के विद्वान नौ ग्रहों की अवधारणा के समर्थक हैं। वैज्ञानिकों ने दो नए ग्रहों की खोज का दावा किया है। साथ ही उन्होंने ज्योतिषशास्त्र में प्रचलित चंद्रमा को उपग्रह करार देकर ग्रहों की पंक्ति से बाहर कर दिया है। इस विवाद के बावजूद कोई संशय नहीं कि ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों- सूर्य, चंद्रमा, बुध, बृहस्पति, मंगल, शुक्र, शनि, राहू और केतु का मनुष्य पर गहरा असर पड़ता है। इससे उनके भूत, भविष्य और वर्तमान की की सटीक गणना संभव हो पाती है। यहां मैं इन्हीं नौ ग्रहों को आधार मानकर चर्चा करूंगा। दो अंक में खत्म होने वाले आलेख में ग्रहों के संक्षिप्त परिचय दूंगा। साथ-साथ कुंडली में खराब स्थान पर होने से उसके कुप्रभाव और बचाव के उपाय बताऊंगा। इस अंक में प्रस्तुत है सूर्य, बुध, बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की जानकारी।

सूर्य सबसे प्रभावशाली ग्रह

ग्रहों की शांति से बदल सकता है जीवन में शुरुआत सूर्य से। ऊर्जा के स्रोत के लिहाज से ये सबसे प्रभावशाली माने जाने हैं। उन्हें सिंह राशि का स्वामी माना जाता है। उनकी दृष्टि यदि किसी जातक पर वक्र हो तो उसे बुखार, कमजोरी, दिल का दौरा, चर्म रोग, आंख संबंधी बीमारी, मिरगी आदि का खतरा रहता है। उनकी कृपा पाने का सबसे आसान उपाय है रत्न धारण करना। जातक को रविवार को माणिक्य धारण करना चाहिए। एक विकल्प यह भी है कि बिल्व वृक्ष के जड़ के समीप शनिवार की शाम को गोबर से लीप कर वृक्ष से ग्रह शांति के लिए याचना करें। अगले दिन नहा-धोकर बिल्वपत्र तोड़ लें। उसे गंगा जल से धोकर साफ लाल कपड़े में बांधकर लाल धागे में बांह या गले में धारण करें।

रविवार का व्रत भी उपयोगी

सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए रविवार का व्रत भी उपयोगी होता है। इसके लिए रविवार को सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्य देव को ताम्र के बर्तन से जल अर्पित करें। सात में लाल पुष्प चढ़ाएं। उस दिन बिना नमक के सात्विक भोजन करें। मंत्र जप से भी सूर्य देव को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए दोनों तरह वैदिक व तांत्रिक मंत्र उपलब्ध हैं। वैदिक मंत्र का जप करना हो तो–‘पद्मासन: पद्मकर: पद्मगर्भ: समद्युति:। सप्ताश्व: सप्तरज्जुश्च द्विभुज: स्यात् सदा रवि:- का जप करें। तांत्रिक मंत्र जपने वाले को—ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:- का जप करना चाहिए। जपसंख्या- 28 हजार, दशांश (2800) तर्पण  तथा दशांश (280) मार्जन-हवन करना चाहिए।

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बृहस्पति अनुकूल हों तो बाकी की चिंता नहीं

देव गुरु बृहस्पति धनु व मीन राशि के स्वामी हैं। वे यदि केंद्र में पूरी ताकत के साथ अनुकूल होकर बैठे हों तो जातक को किसी भी ग्रह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि इनकी वक्र दृष्टि हो तो जातक के पेट में गैस रहना, बुखार, कान से मवाद गिरना, वायुयान दुर्घटना आदि का खतरा रहता है। ऐसा व्यक्ति मेहनत करके भी अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं कर पाता है। उसकी मेहनत का फल दूसरे उठा ले जाते हैं। यदि उन्हें प्रसन्न कर लिया जाए बहुत सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। जीवन सुखद और सरल लगने लगेगा। ग्रहों की शांति से बदल सकते हैं जीवन।

इस तरह करें बृहस्पति को प्रसन्न

इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जातक को बृहस्पतिवार को सोने में पुखराज डालकर अंगूठी धारण करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो उपरत्न के रूप में गिन्नी या पीतल में टोपाज की अंगूठी पहननी चाहिए। गुरुवार के दिन तांत्रिक मंत्र से अभिषिक्त कर दोपहर बाद धारण करें। विकल्प में केले की जड़ या कच्ची हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में पीले धागे से बांधकर गंगा जल में धोकर मंत्र से अभिषिक्त करें। पुरुष दाहिने तथा महिला बाएं बाजू में धारण कर सकता है। बृहस्पतिवार का उपवास रखकर उनकी कथा सुनने से भी फायदा होता है। व्रत के दौरान रात में भी सिर्फ पीले पदार्थ का भोजन करना चाहिए। उनका वैदिक मंत्र है–ऊं बृहस्पतेअति यदर्याअर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यदीदयच्छं वसऋतप्रजा तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्। तांत्रिक मंत्र है– ऊं ऐं क्लीं बृहस्पतये नम:। निर्धारित जप संख्या 76 हजार है। उसका दशांश 7600 तर्पण, दशांश 760 मार्जन-हवन करें।

शुक्र को शांत करने के उपाय

वृष और तुला राशि के स्वामी हैं शुक्र। उनकी वक्र दृष्टि से कोढ़, पित्त, कफ संबंधी रोग, वीर्य विकार, नेत्र पीड़ा, मूत्र पीड़ा, गुदा रोग, गर्भाशय की कमजोरी, पेट का दर्द अथवा अंडकोश में सूजन होने का खतरा रहता है। प्रसन्न होने से दांपत्य सुख, समृद्धि, धन आदि मिलता है। उनकी प्रसन्नता के लिए हीरा, जरकन या सफेद पुखराज की अंगूठी शुक्रवार को कनिष्ठा में धारण करें। मजीदी या अरंडी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर अभिषिक्त कर गले या बाजू में बांधना भी उपयोगी होता है। शुक्रवार का व्रत कल्याणकारी है। उनकी पूजा में सफेद फूल व सफेद प्रसाद का प्रयोग करें। उनका वैदिक मंत्र है– ऊं अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिवत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानर्ठ शुक्रमंधरस इंद्रस्येंद्रियमिदं पयोमृतं मधु। तांत्रिक मंत्र है- ऊं ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:। किसी का 16 हजार जप करें। इसका दशांश 1600 तर्पण व दशांश 160 मार्जन-हवन करना चाहिए।

बुध जल्दी नुकसान नहीं करते, ऐसे करें प्रसन्न

ग्रहों की शांति से बदलें जीवन में पढ़ें बुध के बारे में। ये जल्दी जातक का अहित नहीं करते। इनकी वक्र दृष्टि से दिमागी फितूर, नाक-कान की बीमारी, वात रोग, पित्त रोग, चर्मरोग, विष तथा गिरने आदि की आशंका रहती है। बुद्धि-विवेक इन्हीं की देन है। इनकी शांति के लिए पन्ना या विधारा को अंगूठी धारण करना चाहिए। यह संभव न हो तो हरा मरगज की जड़ को हरे कपड़े में हरे धागे से बांधकर बुधवार के दिन 10 बजे से पूर्व बांह पर बांधें। बुधवार का व्रत भी उपयोगी है। गाय को हरा चारा खिलाने से फायदा होता है। वैदिक मंत्र है––ऊं उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूत्रे स र्ठ सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्यत्तुरस्मिन। विश्वे देवा यजमानश्च सीदत। तांत्रिक मंत्र है— ऊं ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नम:। इनका 36 हजार जप करें। कुल जप संख्या का दशांश 3600 तर्पण तथा उसका दशांश 360 मार्जन-हवन करना चाहिए।

नोट- अगले भाग में पढ़ें शनि, मंगल, चंद्रमा, राहु और केतु के बारे में।

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