शिव की अनूठी मूर्ति देखिए एलीफेंटा में

849
शिव की अनूठी मूर्ति देखिए एलीफेंटा में
शिव की अनूठी मूर्ति देखिए एलीफेंटा में।

See the unique idol of Shiva in Elephanta : शिव की अनूठी मूर्ति देखिए एलीफेंटा में। स्कूल के समय से ही पाठ्य पुस्तकों में पढ़ा था कि एलफैंटा में शिव की अनूठी मूर्ति है। यह पढ़ कर तभी से मन में उसके प्रति अनोखा आकर्षण था। जब बड़ा हुआ और मौका मिला तो बचपन के इस शौक को पूरा करने के लिए मैंने वहां की यात्रा की। उसे देखकर मन में जैसी छवि थी, उससे भी कहीं बेहतर प्रतीत हुई। 

एलिफेंटा की गुफाओं को विश्व विरासत का दर्जा

मुंबई के गेटवे आफ इंडिया से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलीफेंटा की गुफाएं। ये दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। यहां की गुफाएं हिंदू और बौद्ध संस्कृति का अनूठा संगम हैं। अरब सागर के टापू पर स्थित एलिफेंटा में सात गुफाएं हैं। इनमे पांच हिंदू और दो बौद्ध धर्म व संस्कृति से संबंधित हैं। इमें कम से कम मुझे सबसे महत्वपूर्ण लगी शिव की त्रिमूर्ति। इस गुफा संकुल को यूनेस्‍को ने विश्‍व विरासत का दर्जा दिया है।

महेश मूर्ति गुफा सबसे महत्वपूर्ण

एलिफेंटा की गुफाएं सात गुफाओं में से सबसे महत्‍वपूर्ण मानी जाती है महेश मूर्ति गुफा। गुफा के मुख्‍य हिस्‍से में पोर्टिको है। इसके अलावा ये तीन ओर से खुले सिरे हैं। पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्‍थान है। इसे छह खंभों की कतार से सहारा दिया गया है। गुफा के बाहर द्वारपाल की विशाल मूर्तियां हैं। गुफा में शिव की अनूठी मूर्ति में शिल्‍पकला के कक्षों में अर्धनारीश्‍वर और कल्‍याण सुंदर शिव हैं। रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने की यहां शानदार प्रस्तुति हैं। अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की छवियां भी दिखाई गई हैं। 

यह भी पढ़ें- हर समस्या का है समाधान, हमसे करें संपर्क

पत्थर पर उकेरे हाथी के कारण पड़ा एलीफेंटा नाम

पुर्तगालियों द्वारा यहां पर बने पत्थर के हाथी के कारण इसका नाम एलीफेंटा पड़ा। यहां हिंदुओं के अनेक देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां हैं। ये सभी पहाड़ियों को काटकर बनाए गए हैं। यहां भगवान शंकर की नौ बड़ी मूर्तियां हैं। किंवदंतियों की मांने तो इसके निर्माण शुरू होने का समय महाभारत काल तक आंका गया है ।

अनूठे महादेव

एलीफेंटा में शिव की अनूठी मूर्ति के साथ ही उनकी कई मूर्तियां नृत्य मुद्रा में हैं। इस जगह का पुराना नाम घारापुरी था। यह कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। यह तीन शीर्ष वाले महेश यानी शिव की मूर्ति की भव्‍यता के लिए भी जाना जाता है। इसमें से प्रत्‍येक में महादेव का अलग-अलग रूप नजर आता है। भगवान शिव को समर्पित इस गुफानुमा मंदिर को राष्‍ट्रकूट राजाओं ने बनाया था। कालांतर में यह गुम सा हो गया था। आठवीं शताब्‍दी के आसपास इसे खोज कर निकाला गया।

इस तरह पहुंचें

मुंबई के गेटवे आफ इंडिया से एलीफैंटा के लिए स्टीमर सेवा चलती है। इसका जाने और आने का किराया 160 रुपये प्रति व्यक्ति (मेरी यात्रा के समय) था। स्टीमर एक घंटे का समय लगाती है। समुद्र का ये सफर रोमांचकारी होता है। स्टीमर पर बैठे धीरे-धीरे आप अरब सागर में मुंबई से दूर होते जाते हैं। दूर-दूर तक फैले जल में अद्भुत रोमांच का अनुभव होता है।

समुद्र में रोमांचकारी यात्रा

वापसी में जमीन को अपने से नजदीक आते देखना भी आनंददायक होता है। जब आप गेट वे आफ इंडिया की ओर आ रहे होते हैं। एलीफेंटा टापू पर पहुंचने के बाद समुद्र तट से गुफा तक जाने के लिए टॉय ट्रेन सेवा है। आप इसका आनंद ले सकते हैं। चाहें तो पैदल भी जा सकते हैं। लोगों, खासकर बच्चों के लिए टॉय ट्रेन की सवारी अलग मजा देने वाली होती है। वहां जाने की योजना बनाते समय ध्यान रखें कि हर सोमवार को गुफा बंद रहती है। मेरे लिए तो बचपन से सबसे बड़ा आकर्षण शिव की अनूठी मूर्ति ही थी। वहां पहुंचकर पता चला कि पूरी यात्रा ही यादगार बन गई।


यह भी पढ़ें : चित्रकूट की पावन भूमि की ओर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here