प्रेम है सफल जीवन का राज। इसके बारे में कई धर्मग्रंथों में लिखा है। महापुरुषों ने भी इस पर जोर दिया है। इससे संबंधित एक प्रेरक कथा पढ़ें। कथा तीन दिव्य पुरुषों की है। तीनों दिव्य पुरुषों ने धर्म-कर्म में हमेशा रत रहने वाले एक दंपति के घर का दरवाजा खटखटाया। गृहस्वामिनी ने दरवाजा खोला तो सामने संन्यासी के वेश में तीन दिव्य पुरुष दिखे। वह उन्हें जानती नहीं थी। गृहस्वामिनी ने उनसे आने का प्रयोजन पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें भूख लगी है और भोजन करना चाहते हैं।
दिव्य पुरुषों ने जताई सशर्त भोजन की इच्छा
गृहस्वामिनी ने कहा, कृपया भीतर आइये और भोजन करिए। दिव्य पुरुष बोले। हमारी समस्या है। हम आमतौर पर एक साथ किसी के घर में प्रवेश नहीं करते हैं। तुम सिर्फ एक का ही चयन कर सकती हो। आश्चर्यचकित महिला ने कारण पूछा। दिव्य पुरुषों में से एक ने कहा। मेरा नाम धन है। फिर दूसरे की ओर इशारा कर के कहा। इनका नाम सफलता है। तीसरे का नाम प्रेम हैं। अब तुम बताओ। तुम हममें से किसे घर में प्रवेश कराना चाहती हो। बाकी दोनों दूसरे घर की ओर प्रस्थान करेंगे। महिला उलझन में पड़ गई। वह तीनों से अंदर चलने की विनती करने लगी। पर उन्होंने एक साथ प्रवेश से इन्कार कर दिया। महिला सोच में पड़ गई। फिर उनसे घर के बाकी सदस्यों से राय-मशविरा करने की अनुमति मांगी। दिव्य पुरुषों ने इसकी अनुमति दे दी।
बुलाने पर परिवार में अलग-अलग राय
महिला अंदर गईं। घर में मौजूद पति व पुत्री को सारा वृत्तांत सुनाया। उसके पति व पुत्री सारी बात सुन बहुत प्रसन्न हुए। वे विचार करने लगे। पहले पति ने सुझाव रखा। हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा। पत्नी बोली। मुझे लगता है कि सफलता को आमंत्रित करना चाहिए। सफलता से धन भी आएगा। उनकी बेटी विद्वान थी। वह बोली। मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं। घर में प्रेम हो तो कम पैसे में भी हंसी-खुशी गुजारा हो जाता है। सिर्फ पैसे या सफलता से सुख व संतोष नहीं मिल सकता। दोनों उसकी बात से सहमत हुए। कहा- “तुम ठीक कहती हो। हमें प्रेम को ही बुलाना चाहिए।
जहां प्रेम, वहीं धन और सफलता
महिला घर के बाहर गई। उसने दिव्य पुरुषों से कहा। आप में से जिनका नाम प्रेम है वे घर में प्रवेश करें। कृपया भोजन गृहण करें। प्रेम घर के अंदर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो दिव्य पुरुष भी उनके पीछे चलने लगे। यह देख महिला आश्चर्य में पड़ गई। उसने उन दोनों से पूछा। मैंने तो सिर्फ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं? उनमें से एक ने जवाब दिया। यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ जाता है, धन व सफलता पीछे जाते हैं। क्योंकि प्रेम है सफल जीवन का राज।