Ujjain is the center of salvation and planetary peace : मोक्ष और ग्रह शांति का केंद्र है उज्जैन। इसे लोग महाकाल का मंदिर, मोक्षदायिणी शिप्रा और सिंहस्थ कुंभ के लिए ज्यादा जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत की बूंद यहां गिरी थी। इसी कारण यहां कुंभ का आयोजन किया जाता है। पवित्र मन और भक्तिभाव से इस शिप्रा में स्नान करने वालों के सारे पाप कट जाते हैं। मोक्ष का द्वार खुल जाता है। कम लोगों को मालूम है कि यह ग्रहशांति का भी बड़ा केंद्र है।
बड़ा गणेश
महाकाल मंदिर के पास ही बड़े गणेश की भव्य व विशाल प्रतिमा वाला मंदिर है। प्रतिमा के आकार के कारण ही इसे बड़े गणेश का मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान गणेश इस मंदिर में पूजा करने वालों की सारी चिंता हर लेते हैं। एक और खास बात यह है कि महिलाएं यहां गणेश जी को भाई के रूप में मानती हैं और उन्हें रक्षाबंधन के दिन राखी बांधती हैं।
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पवित्र बरगद
यहां के पवित्र सिद्धवट को अत्यंत प्राचीन और पवित्र माना गया है। इस समय दुनिया में सिर्फ चार प्राचीन और पवित्र वट हैं। इनमें प्रयागराज में अक्षयवट, मथुरा के पास वंशीवट, बोधगया में बौद्धवट और उज्जैन में सिद्धवट हैं। स्कंद पुराण के अनुसार माता पार्वती द्वारा लगाए गए सिद्धवट की शिव के रूप में पूजा की जाती है। इस जगह पर पिंडदान और तर्पण भी किया जाता है। जिसकी गया के बाद दूसरे प्रमुख स्थल के रूप में मान्यता है। इसीलिए इसे मोक्ष और ग्रह शांति का केंद्र कहा गया है।
ग्रहशांति का केंद्र है मंगल का जन्मस्थान
मंगल ग्रह के इस जन्म स्थान में उनका मंदिर है। इसकी विशेषता है कि जिनकी कुंडली में मंगल प्रतिकूल होते हैं, यहां मंगलनाथ की भगवान शिव के रूप में पूजन और उपासना से उनकी शांति होती है। मान्यता है कि यहां पूजन करने से शिव की कृपा मिलती है। जातक की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। यूं तो हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मंगलवार को भीड़ बहुत बढ़ जाती है। यहां रूद्राभिषेक और भात-पूजा का विशेष महत्व है। कालसर्प दोष व शनिग्रह की शांति की पूजा प्रभावी होती है। इसीलिए उज्जैन को मोक्ष और ग्रह शांति का केंद्र कहा जाता है।
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