Mahashivratri this time has brought a golden opportunity : सुनहरा अवसर लेकर आई है इस बार की महाशिवरात्रि। आध्यात्मिक चेतना जगाने के साथ ही मनोकामना पूर्ति का अवसर लेकर आई है। यह इस बार 11 मार्च को है। इस दिन व्रत करना और शिव से संबंधित अनुष्ठान करना अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह शिव और शक्ति के मिलन का दिन है। इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। इस बार की शिवरात्रि में ग्रहों का शानदार योग है। हरिद्वार में इसी दिन कुंभ का प्रथम शाही स्नान होगा। इसलिए इस बार की शिवरात्रि श्रद्धालुओं के लिए शानदार मौका लेकर आई है।
बेहद शुभ योग में इस बार महाशिवरात्रि
वर्ष 2021 में महाशिवरात्रि को बेहद खास योग बन रहा है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र में शिव योग रहेगा। साथ ही चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास है। इस दौरान विधि-विधान से व्रत और पूजा बहुत प्रभावी होंगे। जप-अनुष्ठान करके भी फायदा उठा सकते हैं। ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। शिवरात्रि और उसकी महिमा के बारे में पहले भी काफी लिखा जा चुका है। इस बार खास बातें दे रहा हूं। इससे श्रद्धालु इस पावन अवसर का लाभ उठा सकेंगे। सुनहरा अवसर लेकर आई है यह शिवरात्रि। अतः इसका अवश्य लाभ उठाएं।
शानदार योग में पाएं मनचाहा फल
वर्ष 2021 में महाशिवरात्रि को बेहद खास योग बन रहा है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र में शिव योग रहेगा। साथ ही चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास है। इस दौरान विधि-विधान से व्रत और पूजा बहुत प्रभावी होंगे। जप-अनुष्ठान करके भी फायदा उठा सकते हैं। ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। शिवरात्रि और उसकी महिमा के बारे में पहले भी काफी लिखा जा चुका है। इस बार खास बातें दे रहा हूं। इससे श्रद्धालु इस पावन अवसर का लाभ उठा सकेंगे। सुनहरा अवसर लेकर आई है यह शिवरात्रि। अतः इसका अवश्य लाभ उठाएं।
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जानें महाशिवरात्रि में व्रत और पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि को व्रत और पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। अंत में शिवलोक में स्थान मिलता है। महाशिवरात्रि का मतलब दिन और रात मिलाकर है। महाशिवरात्रि नाम पड़ने का कारण ही रात्रि पर जोर देना है। यह रात्रि सिद्धिदात्री मानी जाती है। 24 घंटे भूखे रहकर रात के चारों पहर में पूजा अर्चना अत्यंत कल्याणकारी होती है। हालांकि अधिकतर श्रद्धालु दिन भर व्रत (निराहार) करके श्रद्धापूर्वक बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं। क्योंकि सबके लिए 24 घंटे का निराहार व्रत संभव नहीं होता है। दिन भर के व्रत से भी फल मिलता है। भोलेनाथ भाव के भूखे हैं। चूकें नहीं सुनहरा अवसर लेकर आई है यह महाशिवरात्रि।
क्यों जरूरी है रात्रि जागरण और व्रत
भोलेनाथ संहारकर्ता हैं। वे तमोगुण के स्वामी भी हैं। चूंकि विनाश के बाद ही सृजन होता है, इसलिए उन्हें चेतना अत्यंत प्रिय है। इसीलिए उन्हें शिव कहा जाता है। अब चूंकि रात्रि के अंधकार में तमोगुण बढ़ता है। लोग निद्रा में जाकर चेतन जगत से कट से जाते हैं। ऐसे में व्रत करने और जागरण करने से तामसिक शक्तियों का नाश होता है। नई चेतना का संचार होता है। खाली पेट मनुष्य विषय-विकार से दूर होकर आध्यात्मिक जगत से जुड़ जाता है। बाबा की पूजा-अर्चना रात्रि में प्रदोष काल में ही की जाती है। संयमी और साधक 24 घंटे का व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हैं। वे अपनी मनोवृत्ति पर नियंत्रण रखकर अपनी आध्यात्मिक चेतना जगाते हैं। इस अवसर पर किए गए जप-अनुष्ठान से भी मनोवांछित फल मिलता है।
ऐसे करें भोलनाथ की पूजा
सामान्य भक्त सुबह स्नान के बाद शिव मंदिर में पहले भोले बाबा की पूजा कर जल चढ़ाते हैं। यदि गंगा जल मिले तो सर्वोत्तम होगा। फिर घर में ही पूजा-अर्चना, भजन, जप, अनुष्ठान आदि करना चाहिए। चाहें तो मंदिर में भी कर सकते हैं। इस दौरान शिव को गंगाजल, दूध, शहद और चीनी भी स्नान कराएं। इसके साथ ही बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है। घर में पूजा कर रहे हों तो पारद या स्फटिक के शिवलिंग की स्थापना करें। यदि उपलब्ध न हो तो मिट्टी का शिवलिंग भी बनाकर पूजा कर सकते हैं। बड़ी कामना वाले एवं साधकों को दिन में प्रदोष काल एवं रात्रि में आधी रात के बाद स्नान कर पूजन करना चाहिए। पूजा के बाद ऊं नमः शिवाय, महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय सहित किसी भी शिव मंत्र की न्यूनतम एक माला (108 बार) जप करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त विचार
इस बार 11 मार्च को दिन में 02.40 बजे चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। यह 12 मार्च को दिन में 03.03 बजे समाप्त होगी। इस तरह देखें तो चतुर्दशी का सूर्योदय 12 मार्च को ही हो रहा है। लेकिन महाशिवरात्रि में रात्रि का विचार किया जाता है। इसलिए शिवरात्रि 11 मार्च को है। खास बात यह भी है कि उस दिन की शुरुआत शिव योग से हो रही है। यह योग सुबह 09.40 बजे समाप्त हो जाएगा। इसके बाद सिद्ध योग शुरू हो जाएगा। यह समय जप, अनुष्ठान, ध्यान और साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जहां तक शिव की पूजा की बात है तो इसका संकल्प या गुरुमंत्र शिव योग में ले लेना चाहिए। अर्थात समय के हिसाब से इसमें अत्यंत शुभ है। इसी कारण कहा है कि सुनहरा अवसर लेकर आई महाशिवरात्रि।
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