Mystery of Somnath Temple : श्रीकृष्ण ने बनवाया था सोमनाथ में मंदिर। उन्होंने यहीं पर अपना देह त्याग किया था। सोमनाथ मंदिर के रहस्य पर कई तरह की बातें कही जाती हैं। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित इस मंदिर बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। उपलब्ध तथ्यों के आधार पर इसे वैदिक काल का माना जाता है। यह मंदिर हिंदुओं के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है। बार-बार टूटने और बनने के बाद भी यह आस्था का यह बड़ा केंद्र है। यहां आने वाले कई श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभूति हुई है।
मंदिर की स्थापना की कहानी
सोमदेव (चंद्रमा) ने दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों से विवाह किया था। वह अपनी पत्नियों में रोहिणी को सबसे ज्यादा प्यार करते थे। बाकी इससे उपेक्षित महसूस करती थीं। उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष प्रजापति से की। दक्ष सुनकर क्रोधित हुए और सोमदेव को शाप दिया। इसके अनुसार हर दिन उनका तेज घटता जाएगा। अंत में वे निस्तेज हो जाएंगे। परेशान सोमदेव ने शिव की तपस्या की। शिव ने उनको दर्शन दिया और समस्या से मुक्ति दिलाई। तब सोमदेव ने दर्शन देने वाले स्थल पर महादेव का सोने का मंदिर बनाया। उन्हीं के नाम पर इसका नाम सोमनाथ पड़ा। हालांकि द्वापर में श्रीकृष्ण ने बनवाया था सोमनाथ में मंदिर।
श्रीकृष्ण ने यहीं से परमधाम प्रस्थान किया
इस स्थान का एक और महत्व है। द्वापर युग के अंत में यादव वंश के योद्धाओं में भीषण युद्ध हुआ। इसमें बड़े बड़े विनाश के बाद श्रीकृष्ण इसी स्थान पर आ गए। यहीं शिकारी का तीर लगने के बाद उन्होंने देहत्याग किया। सोमनाथ मंदिर के पास उसी स्थान पर श्रीकृष्ण का मंदिर है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का बड़ा केंद्र है।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में पहला स्थान

सोमनाथ मंदिर के रहस्य में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है। यह पहला ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर को पहली बार महत्वपूर्ण बनाने में श्रीकृष्ण का भी योगदान है। यह घटना तब की है , जब वे द्वारिका में रहने के लिए आए। श्रीकृष्ण ने बनवाया था सोमनाथ में मंदिर। उन्होंने तब लकड़ी का मंदिर बनवाया था। कालांतर में भीमदेव ने पत्थरों का भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
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आक्रमणकारियों ने कई बार मंदिर को निशाना बनाया
यही मंदिर सबसे अधिक देशी-विदेशी आक्रमणकारियों का निशाना बना। मोहमूद गजनवी, अलाउद्दीन खिलजी समेत तमाम आक्रमणकारियों ने बार-बार मंदिर पर हमले किए। जबर्दस्त लूटपाट की और मंदिर के ढांचे को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने शिवलिंग तक को नहीं बख्शा। हिंदू राजाओं ने हर बार मंदिर को पुनः शान से स्थापित किया। द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रथम सोमनाथ में श्रीकृष्ण ने बनवाया था मंदिर। चूंकि यह केंद्र सीधे शिव और विष्णु से जुड़ा है। अतः यह हमेशा आस्था का बड़ा केंद्र बना रहा।
आधुनिक भव्य मंदिर 1995 में राष्ट्र को समर्पित
आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू कराया था। इस मंदिर के गर्भगृह में सोमनाथ लिंग स्थापित हैं। परिसर में ही पार्वती, गणेश जी और अघोर लिंग भी हैं। यहां चैत्र, भाद्र और कार्तिक में स्नान का बहुत महत्व है। यह स्नान हिरण, कपिला व सरस्वती के महासंगम में किया जाता है। सोमनाथ मंदिर के रहस्य में एक है- दक्षिण स्थित स्तंभ में तीर का निशान। यह इस बात का प्रतीक है कि मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच कोई आबादी नहीं है। वहां सिर्फ समुद्र है।
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