गृहस्वामी के ग्रह निर्धारित करते हैं मकान का स्वरूप

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वास्तु दोष
वास्तु दोष

जन्मकुंडली और वास्तु का संतुलन कर सुधारें स्थिति

Planets of Homeowner determine the nature of the House : गृहस्वामी के ग्रह निर्धारित करते हैं मकान का स्वरूप। जैसी ग्रहों की स्थिति होती है, मनुष्य की बुद्धि भी वैसी ही काम करती है। वह उसी अनुसार घर का निर्माण करवाता है। अर्थात यदि किसी का शुक्र प्रतिकूल है तो भवन निर्माण भी में शुक्र वाला हिस्सा खराब ही रहेगा। इसी तरह मजबूत सूर्य वाले जातक के घर की स्थिति भी सूर्य के अनुकूल होती है। इसी आधार पर योग्य वास्तुशास्त्री घर देखकर ही जातक की जन्मकुंडली का भी अंदाजा लगा लेते हैं। यही कारण है कि अधिकतर लोगों के वास्तु दोष को दूर करने के उपाय सफल नहीं हो पाते हैं। वे चाहे-अनचाहे रूप से ऐसे व्यक्ति को बुला लेते हैं, जो उसे समझ नहीं पाते हैं। परिणामस्वरूप समस्या यथावत बनी रहती है। इस लेख में मैं ग्रहों के आधार पर घर की स्थिति की जानकारी दूंगा।

सूर्य, चंद्रमा और बुध अनुकूल हो तो

जन्मकुंडली में सूर्य व चंद्रमा अनुकूल हो तो घर के मुख्य द्वार (मुख्य ) पूर्व और या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) की ओर होता है। धूप खुलकर आती है। वह मकान के मध्य भाग तक पहुंचती है। रसोईघर उससे सटा होता है। पानी का कनेक्शन या यंत्र मकान से निकलने के दौरान दायीं ओर होगा। जल का कोई स्रोत (टंकी, पंप हाउस आदि) 20 से 25 फिट दूर होगा। ऐसा होने पर उसमें रहने वाले स्वस्थ होंगे। धन की कमी नहीं होगी। यदि ऐसा नहीं है तो दोनों की तरह की समस्याएं होनी तय हैं। इसमें कुछ हो तो समस्या तो होगी लेकिन कम। बुध अच्छा हो तो घर के आसपास खुला भाग अधिक होगा। एकदम पास में पीपल, वट, एवं कैसे का पेड़ नहीं होगा। शहतूत समेत चौड़े पत्ते वाले पेड़ शुभ माने जाते हैं। ऐसा नहीं होने पर घर में रंगों व वस्तुओं का संतुलन बनाना पड़ता है।

मंगल और राहु खराब हो तो

गृहस्वामी के ग्रह निर्धारित करते हैं मकान का स्वरूप और उसमें रहने वालों का जीवन। उदाहरण के लिए जिस मकान के आसपास कब्रिस्तान होता है तो समझें कि मंगल खराब है। घर के पास होटल, हलवाई की दुकान, बेकरी की भट्टी आदि होना भी मंगल के प्रतिकूल होने का संकेत देता है। यदि उपाय नहीं किए जाएं तो घर में रहने वाले दुखी रहेंगे। उन्हें कभी चैन नहीं मिल सकेगा। यदि घर की छत में बार-बार समस्या आ रही है। उसमें तोड़फोड़ करनी पड़ रही है तो समझें कि राहु खराब है। ऐसे घर में प्रायः दाएं हाथ की ओर नाली या गड्ढे जैसी नीची जगह हो सकती है। आसपास धुआं निकलता रहता है। गंदा पानी भी आता रहता है। ऐसे घर में लोग अकसर बीमार रहते हैं।

बृहस्पति, मंगल और शुक्र से प्रभावित मकान

जातक की कुंडली में बृहस्पति मजबूत होने पर घर का दरवाजा उत्तर-दक्षिण दिशा में नहीं होता है। आंगन या घर का खुला भाग बीच में न होकर एक कोने में होता है। घर के पास मंदिर, वटवृक्ष या पीपल का पेड़ अवश्य होगा। पास का अर्थ घर से सटा होना नहीं है। बृहस्पति के उलट मंगल अच्छा होने पर दरवाजा उत्तर-दक्षिण होगा। उसमें हवा, पानी और रोशनी के साधन ठीक होंगे। ऐसा मकान तरक्की देता है। कारोबार अच्छा चलेगा। शुक्र अच्छा हो तो मकान का कुछ भाग कच्चा होता है। पास में फूल वाले पौधे होते हैं। घर में चूने का काम अधिक होगा। इन्हीं आधार पर घर के वास्तु का आकलन कर जन्मकुंडली से मिलान कर उपाय करना फलदायी होता है। अगले अंक में पढ़ें ग्रह और वास्तु को इस तरह घर में मामूली फेरबदल से सुधारें।

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