जन्म नक्षत्र के अनुसार पौधे लगाने से बदलेगा भाग्य

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जन्म नक्षत्र के अनुसार पौधे लगाने से बदलेगा भाग्य
जन्म नक्षत्र के अनुसार पौधे लगाने से बदलेगा भाग्य।

Plant saplings will change your luck : जन्म नक्षत्र के अनुसार पौधे लगाने व संरक्षण से बदलेगा भाग्य। नक्षत्रों के आधार पर पेड़ भी निर्धारित हैं। संबंधित नक्षत्रों में जन्मे लोग यदि उन पेड़ों को प्रतिदिन देख भी लें तो उनके जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी। भाग्य चमक उठेगा। यदि उन वृक्षों की पूजा भी कर ली जाए तो फिर सोने पर सुहागा होगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का प्रभाव मनुष्य के साथ जीव-जंतु और पेड़-पौधों तक पर पड़ता है। इसी तरह हर ग्रह का नक्षत्र और नक्षत्र का वृक्ष निर्धारित है। अतः नक्षत्रों और वृक्षों के माध्यम से ग्रहों को भी शांत किया जाता है। कई बार जन्म नक्षत्र गोचर के अनुसार कोई ग्रह-नक्षत्र प्रतिकूल होता है। ऐसे में नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा या पौधरोपण कर उसके कुप्रभाव को दूर या कम किया जा सकता है। इससे ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं।

जानें अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी व मृगशिरा के बारे में

ऋषियों ने प्रकृति और मनुष्य के अभिन्न संबंध को पहले ही समझ लिया था। उन्होंने उसी अनुसार जीव-जंतु, पेड़-पौधे, रंग, दिशा, मनुष्य आदि के बीच के संबंधों का स्पष्ट किया था। उनके इसी शोध का परिणाम है नक्षत्र के आधार पर उससे जुड़े पेड़ों-पौधों का निर्धारण। वेदों में भी मुख्य रूप से प्रकृति से प्रेमपूर्ण संबंधों पर बल दिया गया है। विदेशी आक्रमण और सभ्यता-संस्कृति मिटाने की कोशिश ने इस व्यवस्था को भारी क्षति पहुंचाई। उन्हें बचाने की कोशिश में रूढ़ीवादी परंपरा पनपी। विज्ञान आधारित सनातन धर्म में कर्मकांड हावी होने लगा। सच तो यह है कि प्रकृति के हर कार्य सार्थक और उसी से जुड़े होते हैं। नक्षत्रों को ही लें। अश्विनी नक्षत्र से संबंधित पेड़ केला, आक और धतूरा हैं। भरणी के पेड़ केला और आंवला हैं। गूलर कृतिका से जुड़ा पेड़ है। जामुन का संबंध रोहिणी और खैर का मृगशिरा से माना जाता है।

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आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा व हस्त से जुड़े पेड़

जन्म नक्षत्र के अनुसार पेड़ों को जानने के क्रम में जानें आर्द्रा नक्षत्र के बारे में। इस नक्षत्र से जुड़े पेड़ हैं आम और बेल। पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष बांस को माना जाता है। पुष्य नक्षत्र का पेड़ पीपल और मघा का बरगद है। नाग, केसर और चंदन अश्लेषा नक्षत्र से जुड़े पेड़ हैं। रीठा को हस्त नक्षत्र से जुड़ा पेड़ माना जाता है। जन्म नक्षत्र संबंधी पीड़ा हो तो मुक्ति इन पेड़ों की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ है। पूजा अर्थ मात्र कर्मकांड की नहीं है। अपितु उस पेड़ की सेवा, अर्थात उसका पौधरोपण करना और पेड़ों का संरक्षण भी होता है। नित्य इन पौधे या पेड़ों की देखभाल करने से चमत्कारिक लाभ का अनुभव करेंगे। यदि यह भी संभव न हो तो प्रतिदिन किसी भी समय इनका दर्शन करना भी लाभकारी होगा।

शेष सभी नक्षत्रों का पेड़ों से संबंध जानें

ढाक का संबंध पूर्व फाल्गुनी और बड़ व पाकड़ का उत्तर फाल्गुनी से है। चित्रा नक्षत्र का पेड़ बेल और स्वाति का अर्जुन का पेड़ माना जाता है। विशाखा के लिए नीम, अनुराधा के लिए मौलसिरी और ज्येष्ठा के लिए रीठा पेड़ हैं। मूल नक्षत्र का अनुकूल पेड़ राल है। पूर्वाषाढ़ा का वृक्ष मौलसिरी और जामुन को माना जाता है। उत्तराषाढ़ा का कटहल, श्रवण का आक, धनिष्ठा का शमी और सेमर तथा शतभिषा नक्षत्र का पेड़ कदंब है। पूर्वा भाद्रपद के लिए अनुकूल पेड़ आम और उत्तरा भाद्रपद के लिए पीपल और सोनपाठा है। रेवती नक्षत्र के लिए महुआ अनुकूल पेड़ है। आपने पढ़ लिया कि जन्म नक्षत्र के अनुसार कौन से पौधे लगाने और उनका संरक्षण करना चाहिए।

इसका भी रखें ध्यान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन पेड़ों की पूजा कल्याणकारी होती है। इससे संबंधित नक्षत्र के सारे दोष दूर हो जाते हैं। यहां तक कि इनका नित्य दर्शन भी लाभ देने वाला बताया गया है। इसे व्यापक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। मेरा अनुभव है कि पूजा का अर्थ इन्हें लगाने, देखरेख करना और संरक्षण करना है। इन पेड़ों के गुण पर ध्यान दें तो लगभग सभी मानव जाति के लिए लाभकारी हैं। पीपल, बरगद, नीम, आम, जामुन, बेल आदि की उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है। वास्तु के अनुसार भी देखें तो पीपल और नीम के पेड़ लगाने से मानसिक शांति मिलती है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है। हालांकि इन्हें घर से सटा कर कतई नहीं लगाना चाहिए। बेल का वृक्ष लगाने से लक्ष्मी की प्राप्ति कही जाती है। महादेव भी इससे प्रसन्न होते हैं। ध्यान रखें कि घर में कांटे वाले पेड़ किसी भी स्थिति में नहीं लगाएं।

संदर्भ- वेद, पुराण, भारतीय ज्योतिष और लोक मान्यता।

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