Sankashti-chaturthi : संकष्टी चतुर्थी आज, जानें इससे संबंधित जानकारी। शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और फल की जानकारी। इस दिन गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी होती है। विधि-विधान से करें तो मनोकामना पूर्ण होंगी। इस बार चतुर्थी सोमवार को है। अतः शिव पूजा के लिए भी अच्छा दिन है। चतुर्मास में शिवपूजन का अलग महत्व है। इसके पीछे पौराणिक कारण है।
शिव करते हैं चतुर्मास में विष्णु के भी कार्य
पौराणिक कथा के आधार पर ऐसी मान्यता है। उसके अनुसार चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। वे जगत के सभी कार्य शिव को सौंप जाते हैं। इसलिए भगवान शिव का प्रभाव और बढ़ा रहता है। वे माता पार्वती संग पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। शिव से भक्तों को खूब आशीर्वाद मिलता है। इसलिए उनकी उपासना ज्यादा उपयोगी है।
गणेश पूजा का दिन, दूर करते हैं संकट
तिथि के हिसाब से यह गणेश जी का दिन है। वे बुद्धि के दाता और संकटमोचक हैं। हर शुभकार्य से पहले उनकी पूजा का विधान है। इस दिन की पूजा से सारे मनोरथ पूरे होते हैं। कष्ट में फंसे लोगों के लिए पूजा अत्यंत उपयोगी है। क्योंकि संकष्टी का अर्थ ही संकट हरने से है। इसलिए इस अवसर को नहीं गंवाएं। संक्षिप्त ही सही उनकी पूजा अवश्य करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरण भी करें।
पूजन विधि
सुबह जल्दी स्नान करें। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर पूजा शुरू करें। पूजा में उनकी प्रिय चीजों को अर्पित करें। उसी का भोग लगाएं। इस दिन व्रत का विशेष महत्व है। व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चंद्रोदय तक रखें। पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। तभी पूरा लाभ और मिल सकेगा। संभव हो तो विघ्नहर्ता के मंत्रों की दस माला का जप करें। यह बहुत ही फायदा देने वाला है। आध्यात्मिक चेतना जगाने में कारगर है। साथ ही आपके आभामंडल को बढ़ाता है। संकष्टी चतुर्थी आज, जानें इसके शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
इस दिन चंद्रोदय का महत्व अधिक है। तिथि शुरू होने का सूर्योदय से संबंध नहीं होता है। हां, उस तिथि में सूर्योदय से व्रत जरूर शुरू करें। इस बार चतुर्थी का प्रारंभ पांच अक्टूबर को 10.2 बजे से है। चंद्रोदय का समय रात्रि 8.13 बजे है। चतुर्थी तिथि की समाप्ति छह अक्टूबर को दोपहर 12.31 बजे होगी।
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