वाल्मीकि रामायण के रहस्य

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वाल्मीकि रामायण के रहस्य।
वाल्मीकि रामायण के रहस्य।

Secrets of Vaalmiki Ramayan : वाल्मीकि रामायण के रहस्य। रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम सभी परिचित हैं। लेकिन इस महाकाव्य में कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे शायद हम अभी भी अपरिचित हैं। आइये जानते हैं उनमें से कुछ कथाओं के बारे में।

1. रामायण राम के जन्म से पहले लिखा हुआ महाकाव्य है। रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं।

2. वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र के कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे। लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है, इस घड़ी में जन्म लेने वाला बालक अद्भुत होता है।

3. वाल्मीकि रामायण के रहस्य। जिस समय भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास हुआ था उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे कैकयी को दिए वचन से बंधे हुए थे। जब श्रीराम को रोकने के लिए उन्हें कोई अन्य उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्रीराम से कहा कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ।

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4. रामायण के अनुसार जिस समुद्र पर लंका जाने के लिए पुल बनवाया था उसे बनाने में पांच दिन का समय लगा था। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। (एक योजन लगभग 13-16 किमी होता है)।

5. सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने सीता का हरण किया था। क्या आप जानते हैं स्वयं शूर्पणखा ने भी रावण के सर्वनाश का श्राप दिया था। रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध किया था। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।

6. कहते हैं जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी, और वे एक छोर से दूसरे छोर तक जा रहे थे, तो उनकी नजर शनी देव पर पड़ी। वे एक कोठरी में बंद थे। वाल्मीकि रामायण के रहस्य। हनुमान जी ने ही उन्हें बंधन मुक्त किया। मुक्त होने पर उन्होंने हनुमान जी के बल और बुद्धी की परीक्षा ली। जब उन्हें यकीन हो गया कि वह सचमुच में भगवान राम के दूत हनुमान हैं तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि “इस पृश्वी पर जो भी आपका भक्त होगा उसे मैं अपनी कुदृष्टि से दूर रखूंगा, उसे कभी किसी तरह का कष्ट नहीं होगा।” इसी वजह से शनिवार को मदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ होता है।

7. जब खर दूषण मारे गए, तो एक दिन भगवान राम ने सीता जी से कहा, “प्रिये अब मैं अपनी लीला शुरू करने जा रहा हूँ। खर दूषण मारे गए, शूर्पणखा जब यह समाचार लेकर लंका जाएंगी तो रावण को युद्ध करना पड़ेगा। अब इस धरती को दुष्टों से मुक्त करने की घड़ी आ गयी है। जब तक मैं इस धरती को राक्षसों से मुक्त नहीं कर देता तब तक तुम अग्नि की सुरक्षा में रहो।” भगवान राम ने अग्नि प्रज्वलित की और सीता जी उनकी आज्ञा लेकर अग्नि में प्रवेश कर गयी। ब्रह्मा जी ने उनके प्रतिबिम्ब को ही सीता बनाकर उनके स्थान पर बिठा दिया।

8. अग्नि परीक्षा का सच :- असल में रावण जिन सीता माता का हरण कर ले गया था वे उनका प्रतिबिम्ब थीं। श्री राम ने यह पुष्टि करने के लिए कि कहीं रावण द्वारा उस प्रतिबिम्ब को बदल तो नहीं दिया गया, सीतामाता से अग्नि में प्रवेश करने को कहा जो कि अग्नि के घेरे में पहले से सुरक्षित ध्यान मुद्रा में थीं,अपने प्रतिबिम्ब को पाकर वे ध्यान से बाहर आईं और राम से मिलीं।

9. आधुनिक काल वाले वानर नहीं थे हनुमान जी :- कहा जाता है कि कपि नामक एक वानर जाति थी। हनुमानजी उसी जाति के ब्राह्मण थे।शोधकर्ताओं के अनुसार भारतवर्ष में आज से 9 से 10 लाख वर्ष पूर्व बंदरों की एक ऐसी विलक्षण जाति थी, जो लगभग 15 हजार वर्ष पूर्व विलुप्त होने लगी थी। इस वानर जाति का नाम `कपि` था। मानवनुमा यह प्रजाति मुख और पूंछ से बंदर जैसी नजर आती थी। भारत से दुर्भाग्यवश कपि प्रजाति समाप्त हो गई है। कहा जाता है कि इंडोनेशिया देश के बाली नामक द्वीप में अब भी पुच्छधारी जंगली मनुष्यों का अस्तित्व विद्यमान है।

10. वाल्मीकि रामायण के रहस्य। विश्व में रामायण का वाचन करने वाले पहले वाचक स्वयं श्री राम के पुत्र लव और कुश थे। जिन्होंने रामकथा का वाचन स्वयं अपने पिता के आगे किया था। पहली रामकथा पूरी करने के बाद लव-कुश ने कहा भी था ‘हे पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कहि श्रीराम के आगे।”

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