पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर

204
पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर
पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर।

Shaktipeet Hinglaj temple is in Pakistan : पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर। 51 शक्तिपीठों में से यह एकमात्र मंदिर पाकिस्तान में है। यहां माता सती का सिर गिरा था। इस कारण इसे माता का दुनिया का पहला मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर छोटी सी प्राकृतिक गुफा में है। वहां मिट्टी की वेदी बनी हुई है। उसमें छोटे आकार की शिला की माता के रूप में पूजा की जाती है। उनकी कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। यहां हवन, पूजन, कन्या भोजन, माता के भजन और गरबा नृत्य की धूम रहती है। नवरात्र के दौरान भारतीय के मंदिरों की तरह यहां सब कुछ होता है। तब कई बार अंदाजा लगाना भी कठिन होता है कि मंदिर पाकिस्तान में है।

रेगिस्तान व मड ज्वालामुखी क्षेत्र में है मंदिर

बलुचिस्तान स्थित अरब सागर के तटीय क्षेत्र में स्थित है यह मंदिर। यहां 150 किमी तक फैला रेगिस्तान है। पास में ही हजार  फीट ऊँचे रेतीले पहाड़ों से गुजरती नदी बहती है। साथ ही विश्व का सबसे विशाल मड ज्वालामुखी है। उससे मिट्टी और कीचड़ उगलती है। चारों ओर सन्नाटा छाया रहता है। उस सन्नाटे को बीच-बीच में ‘जय माता दी’ की आवाज भंग करती है। दुर्गम स्थान में स्थित इस मंदिर की यात्रा अत्यंत कठिन है। इसके बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं। पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर। आसपास हिंदू बहुल क्षेत्र हैं। पिछले कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है। साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।

दर्शन मात्र से नष्ट होते हैं सारे पाप

मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां तक कि पिछले जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो यहां सालों भर श्रद्धालु आते रहते हैं। लेकिन नवरात्र की बात निराली होती है। उस दौरान प्रतिदिन औसतन 18 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। दुकानदारों को उन नौ दिनों में ही साल के बाकी दिनों के बराबर की कमाई हो जाती है। मंदिर के प्रमुख पुजारी महाराज गोपाल गिरी के अनुसार नवरात्र में हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं दिखता है। साल के दो नवरात्रों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। उस दौरान हिंदू-मुस्लिम में कोई फर्क नजर नहीं आता। माता के दर्शन के लिए तीन किलोमीटर तक की लाइन लगती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं में दूसरे देशों के लोग भी शामिल हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन और बांग्लादेश प्रमुख हैं।

मुसलमानों के लिए नानी बीबी की हज

इसे कई लोग हिंगुला मंदिर व नानी मंदिर भी कहते हैं। यह डोडिया राजपूत की कुल देवी हैं। दुनिया के पहले मंदिर के बारे में एक और मान्यता प्रचलित है। सभी शक्तियां सातों द्वीपों में रात में रास रचाती हैं और सुबह हिंगलाज के गिर में आती हैं। यह मंदिर कई मुस्लिमों की भी आस्था का बड़ा केंद्र है। वे दर्शन करते हैं और इसकी सुरक्षा भी करते हैं। हालांकि मुस्लिमों में मुख्य रूप से बलुचिस्तान व सिंध के होते हैं। शायद इसी कारण पुजारी और सेवक भी कई बार मुस्लिम टोपी पहने नजर आते हैं। पाकिस्तान में है शक्तिपीठ हिंगलाज मंदिर। इसके बारे में मुस्लिम जनजातियों में इनकी अलग मान्यता है। वे यहां की यात्रा को नानी बीबी की हज कहते हैं। इसे पीरगाह का दर्जा भी हासिल है। यहां अफगानिस्तान, मिस्र और ईरान जैसे देशों के लोग भी आते हैं।

यह भी पढ़ें- समस्याएं हैं तो समाधान भी है, हमसे करें संपर्क

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here