सभी तालों की एक कुंजी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

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सभी तालों की एक कुंजी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
सभी तालों की एक कुंजी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र।

Siddha Kunjika Stotra, a key to all locks : सभी तालों की एक कुंजी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। दुर्गा सप्तशती का यह स्तोत्र चमत्कारिक और तत्काल फल देने वाला है। यह जीवन में सफलता की कुंजी है। सबसे बड़ी बात, यह प्रयोग में अत्यंत सरल है। भगवान शंकर ने खुद कहा कि इसका पाठ करने के लिए कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास, अर्चन आदि की जरूरत नहीं है। केवल सिद्ध कुंजिका का पाठ करें और दुर्गा पाठ का फल प्राप्त करें। उन्होंने इसके फल की भी जानकारी दी है। कहा- इसके पाठ मात्र से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभन और उच्चाटन संभव है। बीज मंत्रों से युक्त यह स्तोत्र सभी भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति करा देता है। इसके बीज मंत्र उच्चारण में सरल हैं। इसलिए कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए भी पाठ करना संभव है। इसमें स्वर और व्यंजन की ध्वनि है।

शीघ्र फल देने वाला चमत्कारिक स्तोत्र

दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अत्यंत चमत्कारिक है। इसका तीव्र प्रभाव होता है। इसके पाठ मात्र से संपूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ का फल मिल जाता है। यह स्तोत्र किसी भी प्रकार के अभाव, रोग, कष्ट, दुख, दारिद्रय को दूर करने वाला है। इससे सिर्फ बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक शत्रुओं का नाश भी संभव है। इसलिए इससे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों लक्ष्यों की प्राप्ति होती है। इसका पाठ प्रतिदिन करना कल्याणकारी होता है। इसे नवरात्र में अवश्य करना चाहिए। लक्ष्य प्राप्ति के लिए इसका अनुष्ठान करना चाहिए। इससे कभी भी किसी भी मनोकामना की पूर्ति संभव है। मेरा अनुभव है कि मनोकामना की गंभीरता के आधार पर इसकी आवृत्ति और अवधि तय होती है। फिर भी सामान्य रूप से इसकी आवृत्ति व अवधि की जानकारी नीचे दे रहा हूं। इसके पाठ में कुछ सावधानियां भी हैं। उनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है। आखिरकार यह सभी तालों की एक कुंजी है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की पाठ विधि

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सामान्य मनोकामना के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र 108 पाठ से लेकर 1080 पाठ का विधान है। मनोकामना बड़ी है तो पाठों की संख्या बढ़ जाएगी। इसके लिए योग्य पंडित से सलाह लें। अनुष्ठान शुभ दिन व समय पर शुरू करें। साल के चारों नवरात्र इसके लिए स्वतः सिद्ध समय है। उस दौरान प्रथम दिन से नवमी तक इसका पाठ किया जाता है। इसके लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। फिर पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। घी के दीपक जलाएं। फल, मेवा, मिश्री आदि का भोग लगाकर माता का सामान्य पूजन करें। हाथ में जल और मुद्रा (पैसे) लेकर अनुष्ठान का स्थान, समय और पाठ संख्या का संकल्प लें। जल भूमि पर गिराएं। तब सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ शुरू करें।

आर्थिक समस्या, बेरोजगारी, रोग, शत्रु से भी निपटने में सक्षम

सभी तालों की एक कुंजी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। नाम से ही स्पष्ट है कि इसके पाठ मात्र से सभी समस्याओं और मनोकामना की पूर्ति संभव है। आर्थिक समस्या से मुक्ति में प्रभावशाली है। यदि शत्रु परेशान कर रहे हों तो इससे लाभ मिलता है। कानूनी विवाद में भी लाभकारी है। यदि रोग से परेशान हैं तो इसे करें। दांपत्य जीवन की समस्या भी इसके पाठ से दूर होती है। रोजगार की समस्या, ग्रह बाधा, शिक्षा में बाधा आदि में भी अत्यंत लाभदायक है। इससे मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभ और उच्चाटन करना संभव है। पाठ करने वाले का आभा मंडल बढ़ता है। यदि ऊपर बताई गई संख्या व समय से अनुष्ठान करें तो तत्काल सभी समस्या से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोकामना पूरी होती है।

इन बातों का रखें ध्यान

मां दुर्गा की पूजा-साधना करने के लिए तन, मन की पवित्रता आवश्यक है। उस दौरान इंद्रिय संयम रखें। हर तरह के बुरे कर्म से दूर रहें। वाणी में मधुरता और मन में जनकल्याण की भावना हो। अन्यथा सफलता कठिन होती है। मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभ और उच्चाटन के लिए यदि बुरी भावना से अनुष्ठान करने वाले को खुद नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार विपरीत प्रभाव पड़ जाता है। जन कल्याण से अनुष्ठान करने वाले का भगवती स्वयं कल्याण करती हैं। मैंने ऊपर ही बताया है कि इस स्तोत्र का पाठ कभी भी किया जा सकता है। हर तरह से कल्याणकारी है। लेकिन बीज मंत्र होने के कारण यदि रात्रि में पाठ किया जाए तो शीघ्रता और प्रभावकारी फल मिलता है। अंततः सभी तालों की एक कुंजी है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र।

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