दुर्गा सप्तशती में है हर समस्या का हल

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अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती
अत्यंत कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती।

Solution to every problem is in durga saptashati: दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है उसका जीवन धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है और इनको देवी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।

दुर्गा सप्तशती के पाठों का महत्व

1.मार्कण्डेय पुराण में वर्णित चमत्कारिक देवी महात्म्य में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन।

2. इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की रक्षा के लिए बेहद गुप्त और परम उपयोगी व कल्याणकारी कवच बताया है। स्वयं ब्रह्मदेव ने कहा है कि जो भी मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा वह परम सुख भोगेगा।

3. दुर्गा सप्तशती को शत चंडी, नवचंडी अथवा चंडीपाठ भी कहा गया है।

4. ये एक जागृत तंत्र विज्ञान है। इसमें ब्रह्माण्ड की तीव्र शक्तियों का ज्ञान छुपा है।

5.यदि मनुष्य सही तरीके से और सही विधि से पढ़ लेता है तो मनुष्य के जीवन की समस्त परेशानियों का अंत सुनिश्चित है।

दुर्गा सप्तशती पाठ का फल

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 1

प्रथम अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता, मानसिक कष्ट से निजात मिलता है ।
मनुष्य की चेतना जागृत होती है साथ ही जीवन में भी सही दिशा की राह दिखती है। पहले अध्याय का पाठ करने से मानसिक शांति व सुख की अनुभूति होती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 2

दूसरे अध्याय के पाठ से किसी भी तरह के विवाद में सफलता प्राप्त होती है हालांकि इसके लिए जरुरी है की आपके विचार व उद्देश्य एकदम सही हो अन्यथा इससे नुकसान भी हो सकता है। मन साफ़ होने पर माता की कृपा होती है व जीवन में शांति का वास होता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 3

यदि जीवन में शत्रु या किसी भी प्रकार का भय हावी होती हुआ प्रतीत हो तो ऐसे में दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करना सर्वोत्तम होता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 4

अंदर की शक्ति को और मज़बूत करने के लिए, माँ की कृपा-दृष्टि प्राप्त करने के और उनके दर्शनों के लिए चौथा अध्याय सर्वोत्तम है। वैसे तो इस ग्रंथ के हर शब्द में माँ की ऊर्जा निहित है। फिर भी माँ की निष्काम भक्ति महसूस करने साथ ही दर्शनों के लिए यह अध्याय सर्वश्रेष्ठ है।

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दुर्गा सप्तशती अध्याय – 5

पांचवे अध्याय के प्रभाव से हर प्रकार के भय का नाश होता है। भूत-प्रेत, बुरे स्वप्न से परेशान हों या जीवन में हर दिशा से निराशा हाथ लग रही हो तो ऐसे में पांचवे अध्याय का पाठ करने से इस तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है ।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 6

इस अध्याय का पाठ किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, वशीकरण को निष्फल करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अगर आपको महसूस हो की आपको या आपके परिवार को किसी ने बाँध दिया हो, राहु-केतु से अगर आप पीड़ित हो तो छठें अध्याय का पाठ इन सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 7

किसी भी विशेष तरह की कामना की पूर्ति के लिए सातवाँ अध्याय सर्वोत्तम है। अगर सच्चे और निर्मल दिल से माँ की पूजा की जाती है और सातवें अध्याय का पाठ किया जाता है तो व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 8

अगर आपका कोई करीबी आपसे बिछड़ गया हैं और उसे ढूँढकर हर जगह से परेशान हो चुके हैं तो आठवें अध्याय का पाठ चमत्कारिक फल प्रदान करता है। इस अध्याय का पाठ वशीकरण के लिए भी इस अध्याय का पाठ किया जाता है हालांकि इसका नियम भी यही है की इसका प्रयोग सही व्यक्ति या सही उद्देश्य के लिए किया जा रहा है,अन्यथा फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 9

संतान प्राप्ति या संतान से संबंधित किसी भी परेशानी के निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का पाठ सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा संतान की प्रगति तथा किसी भी प्रकार की खोई हुई अमूल्य वस्तु की प्राप्ति के लिए भी यह अध्याय का पाठ करना उत्तम होता है। यह आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने में सहायक है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 10

अगर संतान गलत रास्ते पर है या जीवन में भटकाव आ गया है तो ऐसे में उसे सही रास्ते पर लाने के लिए दसवां अध्याय सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे और योग्य पुत्र की कामना के साथ अगर दसवें अध्याय का पाठ किया जाए तो योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं और प्राप्त संतान सही रास्ते पर चलती है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 11

अगर आपके व्यापार में हानि हो रही है, आर्थिक नुकसान हो रहा है, धन आने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा तो ऐसे में ग्याहरवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। इसका पाठ स्थिरता लेकर आता है तथा इसके प्रभाव से आपके अनावश्यक खर्चे बंद हो जाते है और घर में सुख-शांति का वास रहता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 12

इस अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति को मान-सम्मान प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिस व्यक्ति पर किसी तरह का गलत दोषारोपण कर दिया जाता है ऐसी स्थिती में दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ शीघ्र फल देता है । रोगों से मुक्ति के लिए भी यह अत्यंत फलकारी है। कोई भी ऐसा रोग जिससे लम्बे समय से पीड़ित हों दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है तो इस अध्याय का पाठ निश्चित फल देता है।

दुर्गा सप्तशती अध्याय – 13

किसी भी साधना के बाद माँ की पूर्ण भक्ति के लिए इस अध्याय का पाठ अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। किसी विशेष मनोकामना की पूर्ती के लिए, इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए, इस अध्याय का पाठ अत्यंत प्रभावी माना गया है।

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