शाबर मंत्र के कुछ उपयोगी प्रयोग, समस्या होगी दूर

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शाबर मंत्र के कुछ और उपयोगी मंत्र एवं प्रयोग विधि
शाबर मंत्र के कुछ और उपयोगी मंत्र एवं प्रयोग विधि।

Some useful mantras and uses of Shabar mantra : शाबर मंत्र के कुछ और उपयोगी मंत्र एवं प्रयोग विधि। इसे पहले दे चुका हूं लेकिन तकनीकी समस्या से यह अधिकतर पाठकों दिख नहीं पा रहा था। इसमें मैं हैं व्यापार में समस्याओं को दूर करने और उसे बढ़ाने के उपाय। साथ ही भूत-प्रेत और आभिचारिक बाधा दूर करने के उपाय भी हैं। मैंने पहले बताया था कि शाबर मंत्रों की शक्ति गुरु और मंत्र में अटूट विश्वास में निहित है। कई बार ये काम नहीं करते क्योंकि प्रयोगकर्ता इसे सीधे लेता है। पहले गुरु देते थे। तब उनकी शक्ति से तत्काल काम करने लगता था। अब चूंकि मंत्र स्वयं लेकर प्रयोग करते हैं तो कई बार समस्या आती है। अतः इसे उपयोग करने से पहले कुछ उपाय कर लें तो कोई परेशानी नहीं होगी। मंत्र जागृति के उपाय नीचे दे रहा हूं। इसे करते रहें तो समस्या नहीं आएगी।

मंत्र जाग्रत करने के उपाय

सबसे पहले स्थान देवता की पूजा करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। मंत्र लिखने का सबसे उपयुक्त कामपीठ, ज्वालामुखी या हिंगलाज देवी का स्थान माना जाता है। यह संभव न हो तो स्त्री की उपस्थिति को भी कामपीठ दर्जा हासिल है। ध्यान करें कि दक्षिण दिशा में स्थित योगिनी पर्वत पर योगंबा माता विराजमान हैं। उन्हें साक्षी मानकर स्त्री की उपस्थिति में कांसे के पात्र में कुमकुम या भस्म बिखेरें। फिर अनार की कलम से उसमें जिस मंत्र का प्रयोग करना है, उसे लिखें। रात्रि में 108 बार मंत्र का जप कर लें। आठ बार खैर की लकड़ी को बजाएं। यदि कोई उग्र मंत्र का प्रयोग करना हो तो मुर्गे या नारियल की बलि दें। इसमें गुरु का सर्वाधिक महत्व है। अतः मंत्र के नियमित जप से पूर्व गोरखनाथ जी को गुरु के रूप में ध्यान कर 11 बार गोरख गायत्री का जप करें।

गोरख गायत्री

ऊं गुरुजी सतनाम आदेश। गुरुजी को आदेश। ओंकार शिवरूपी मध्याह्ने हंसरूपी संध्यायां साधुरूपी हंस परमहंस दो गुरु अक्षर गुरु तो गोरख काया तो गायत्री। ऊं ब्रह्म, सोहं शक्ति, शून्य माता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पंथ, सूक्ष्म वेद। असंख्या शाखा अनंत प्रवर, निरंजन गौत्र, त्रिकुटी क्षेत्र। जुगति जोग जल स्वरूप, रूद्र वर्ण सर्व देवः ध्यायते। आये श्री शंभुजाति गुरु गोरखनाथ। ऊं सोहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात्। ऊं इतना गोरख गायत्री संपूर्ण भया। गंगा गोदावरी त्रयंबक क्षेत्र कोलांचल अनुपान शिला पर सिद्धासन बैठ। नवनाथ चौरासी सिद्ध अनंत कोटि सिद्ध मध्ये श्री शंभुजाति गुरु गोरखनाथजी कथ, पढ, जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवर आदेश आदेश।

चाहें तो निम्न मंत्र का जप भी कर सकते हैं।

गुरु सठ गुरु सठ गुरु है वीर। गुरु साहब सुमिरेरौं बड़ी भांत, सिंगी टोरों बन कहां, मन नाऊं करतार। सकल गुरु की हर भजे घट्टा पाकर उठ जाग। चेत सम्हार श्री परमहंस।

प्रयोग विधि

किसी भी शाबर मंत्र के कुछ उपयोगी मंत्र और प्रयोग विधि को जानने से पहले उक्त मंत्र और विधि का पालन करना उपयोगी रहता है। इससे सफलता की संभावना अधिक रहती है। अन्यथा गुरु के न रहने पर मंत्र से उचित फल नहीं मिल पाता है। अतः गुरु के न रहने पर गोरखनाथ जी को ही देवतुल्य गुरु मानकर विश्वासपूर्वक उनकी गायत्री का 11 बार जप कर लें। नीचे वाले मंत्र का भी 11 बार जप करें तो सोने में सुहागा होगा। वैसे उसका स्वतंत्र रूप से भी जप करना फलदायी होता है। इन दोनों मंत्रों के जप से सभी विघ्न दूर होते हैं। इच्छित मंत्र जाग्रत होता है। इसमें शब्दों की शुद्धता और अर्थ के चक्कर में नहीं पड़े। गुरु और मंत्र पर विश्वास बनाए रखना आवश्यक है। तभी उसका फल मिल सकेगा।

व्यापार वृद्धि मंत्र

व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता, खींचतान या दुश्मनी के कारण कई बार कोई आभिचारिक प्रयोग कर देता है। इससे धंधे का बंधन हो जाता है और काम-धंधा मंदा हो जाता है। कई बार किसी अज्ञात कारण से भी कमाई कम हो जाती है। उसमें निम्न मंत्र अत्यंत प्रभावी होते हैं। कामकाज पुनः सुचारु हो जाता है। व्यापार पहले भी अधिक बढ़ जाता है। यह प्रयोग होली या दीपावली में अधिक प्रभावी होते हैं। मंत्र और उसकी प्रयोग विधि नीचे है।

ऊं हनुमंत वीर, रखो हद थीर। करो यह काम, वैपार बढ़े, तंतर दूर हो, टूना टूटे।

ग्राहक बढ़े, कारज सिद्ध होय। न होय तो अंजनी की दुहाई।

जानें प्रयोग विधि

हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष एक मीटर नया लाल सूती वस्त्र लेकर बैठें। कपड़े में एक मुट्ठी काला तिल रखें। तिल पर घी या सरसों के तेल का दीपक रखें। दीपक में सियारसिंगी को इस तरह रखें कि वह घी या तेल में डूब जाए। फिर हनुमान जी की विधिवत पूजा कर समस्या दूर करने की प्रार्थना करें। उसके बाद उक्त मंत्र का 1008 बार जप करें। जप के पश्चात दीपक को बिना फूंक मारे बुझा दें। तत्पश्चात उसी लाल कपड़े में दीपक, सियारसिंगी, फूल, अक्षत आदि वस्तुओं को पोटली बनाकर बांध लें। फिर उन्हें जहां दो रास्ते मिलते हैं, वहां चुपके से रखकर घर आ जाएं। पुनः स्नान कर लें। इस एक दिन के प्रयोग से भी लाभ मिल जाता है।

व्यापार बाधा दूर कर प्रतिद्वंद्वी पर हावी होने का मंत्र

शाबर मंत्र के कुछ उपयोगी मंत्रों में यह शानदार है। इसकी प्रयोग विधि थोड़ी लंबी है लेकिन सफलता अधिक मिलती है। इसमें व्यापार में बाधा दूर कर उन्नति के साथ ही प्रतिद्वंद्वियों का दमन भी होता है। आपका मार्ग भविष्य में भी काफी हद तक निष्कंटक हो जाता है। मंत्र और प्रयोग विधि दोनों सरल हैं। मंत्र नीचे दे रहा हूं।

ऊं दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध, तंत्र बंध, निग्रहनी

सर्व शत्रुसंहारिणी कार्य सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा।

मंत्र सिद्धि और प्रयोग विधि

मंत्र सिद्धि का यह अनुष्ठान 21 दिन चलना है। अतः समय और स्थान पहले निर्धारित कर लें। फिर संकल्प लेकर भैरव की पूजा करें। फिर 1008 बार मंत्र का जप करें। लगातार 21 दिन तक ऐसा करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। 22वें दिन गुलाल, छरीला, गोरोचन एवं कपूरकचरी को समान भाग में लेकर उसका चूर्ण बना लें। फिर भैरव की पूजा कर चूर्ण को 108 बार मंत्र जप से अभिमंत्रित करें। इसके बाद उसे अपनी दुकान के सामने बिखेर दें। ऐसा लगातार पांच दिन करना है। व्यापार से संबंधित सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। उसमें शानदार प्रगति होने लगेगी।

तकनीकी समस्या के कारण इसे अपडेट कर पुनः प्रकाशित कर रहा हूं। इसका अगला भाग अगले सप्ताह पढ़ें।

संदर्भ ग्रंथ- तंत्र सिद्धि रहस्य और शाबर मंत्र संग्रह।

यह भी पढ़ें- छोटी सिद्धियों में शाबर मंत्र लाजवाब

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