अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग का अभ्यास : दूसरा भाग

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अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग का अभ्यास : दूसरा भाग
अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग का अभ्यास : दूसरा भाग

The practice of subtle yoga is very beneficial : अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग का अभ्यास। स्वस्थ रहने में इससे बेहतर और कोई नहीं है। पिछले अंक में आपने इसकी संक्षिप्त जानकारी ली। अब विवरण पढ़ें। शुरुआत शरीर के जोड़ों (संधियों) के बारे में। इसे स्वस्थ रखने, स्नायुमंडल को शक्ति व स्फूर्ति प्रदान करने इसकी अहम भूमिका है। आवश्यकता है पूर्ण मनोयोग से नियमित अभ्यास की। पहले योग का स्थान तय कर लीजिए। यह कोई ऐसा कमरा या बरामदा भी हो सकता है। वहां प्राकृतिक हवा आती-जाती हो और रोशनी भी हो। वह स्थान आसन साफ-सुथरा होना चाहिए।

बैठने की स्थिति

योग से पहले बैठने के आसन (तरीका) का चयन करें। शुरू में आरामदेह मुद्रा में बैठ जाएं। मन को तनाव मुक्त और प्रसन्नचित्त करें। इसके लिए कम से कम पांच बार गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। इसके बाद शांत होकर बैठ जाएं। फिर अपना ध्यान सांस पर केंद्रीत करें। द्रष्टा की तरह महसूस करें कि नाक के से आने वाली हवा कैसे हृदय व शरीर के अंगों में जा रही है। उसे ऊर्जावान कर कैसे गंदगी समेट कर निकल रही है। फिर संपूर्ण ब्रह्मांड सहित आत्म तत्व को मन ही मन प्रणाम करें। फिर दोनों पैरों को मिलाकर सीधे सामने की ओर फैला लें। इस दौरान कमर और हाथ सीधे रहने चाहिए। कमर के दोनों ओर हाथों की हथेलियां भूमि पर टिकी हुई हों। उंगलियां पीछे की ओर हों। इस स्थिति को दंडासन कहते हैं। विश्वास रखें कि अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग।

पैरों के लिए अभ्यास

दंडासन में बैठने के बाद सामने फैले दोनों पैरों की उंगलियों को आगे की ओर बलपूर्वक दबाएं। फिर उसे पीछे की ओर करें। इस दौरान एड़ी और आपका आसन स्थिर रहे। पांच-पांच बार पैर को आगे-पीछे करें। पुनः दोनों पैरों को मिलाते हुए पंजे को एड़ी सहित आगे और पीछे दबाएं। ऐसा करते समय एड़ी जमीन पर घिसना चाहिए। इसे भी पांच बार दोहराएं। इससे साईटिका तथा घुटनों के दर्द से आराम मिलता है। इसके बाद दोनों पैरों को थोड़ी दूरी पर रखें। पहले दाएं पैर के पंजे को वृत्ताकार घुमाते हुए शून्य जैसी आकृति बनाएं। फिर उसे विपरीत दिशा में घुमाएं। पांच बार ऐसा करें। यही क्रिया दूसरे पैर के पंजे के साथ करें। अंत में दोनों पैरों को मिलाकर उनके पंजों को पहले दाएं तो फिर बाएं से पांच-पांच बार गोल-गोल घुमाएं।

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घुटनों और नितंबों के लिए

दाएं पैर को मोड़कर बायीं जांघ पर रखें। बाएं हाथ से दाएं पंजे को पकड़ें। दाएं हाथ को दाएं घुटने पर रखें। अब दाएं हाथ को बाएं घुटने के नीचे लगाते हुए उसे ऊपर उठाकर सीने से लगाएं। फिर दबाते हुए जमीन से टिका दें। ऐसा दूसरे पैर के साथ भी करें। शुरू में पांच बार ऐसा करें। बाद में आवृत्ति बढ़ाएं। इससे नितंब व उसका जोड़ मजबूत होता है। वहां जमी चर्बी घटाती है। घुटना स्वस्थ होता है। उसके दर्द से आराम मिलता है। हालांकि घुटने के लिए अलग से भी क्रियाएं हैं। दंडासन में पैरों को सीधा रखें। फिर उसे ताने व ढीला छोड़ें। तब दाएं पैर को मोड़ें। दोनों हाथों को घुटने के नीचे जंघा के पास लाएं। पैर को मोड़ते हुए नितंब के पास लाएं। कम से कम पांच बार साइकलिंग जैसी करते हुए पैर से शून्य बनाएं। ऐसा दूसरे पैर के साथ भी दोहराएं।

घुटनों की मजबूती का एक और तरीका

अत्यंत लाभकारी है सूक्ष्म योग। इसमें अपार संभावना है। इसी के तहत घुटने को मजबूत करने की एक और क्रिया है। इसमें सीधे खड़े होकर दोनों एड़ियों और घुटनों को एक साथ सटाएं। इसके बाद थोड़ा झुकते हुए दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखें। फिर हाथ के दबाव व घुटनों की स्वतः गति से उसे पहले बायीं ओर फिर दायीं ओर वृत्ताकार घुमाएं। इस क्रिया को पांच-पांच बार दोहराएं। ध्यान रहे कि घुटनों को मजबूत करने की सारी क्रियाएं एक साथ करना उचित नहीं होगा। इससे घुटनों पर अनावश्यक दबाव बढ़ेगा। आप अपनी इच्छा व सुविधानुसार इनमें से किसी एक का चयन कर सकते हैं।

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