There are rules for sleeping too, do not ignore : शयन के भी हैं नियम, नहीं करें अनदेखी। वास्तव में सनातन धर्म-संस्कृति मानव विज्ञान भी है। इसमें मनुष्य के कर्तव्य, मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य और कल्याण के मार्ग बताए गए हैं। शास्त्रों में इसकी जानकारी भरी पड़ी है। उन्हीं में से एक विषय लेकर आ रहा हूं। यह विषय है शयन के नियम के बारे में। इसमें बताया जाएगा कि कैसे और कहां सोएं। कहां सोना उपयुक्त नहीं होता है। सोते समय की स्थिति, शरीर की दिशा, समय, स्थान आदि के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। इन्हीं में एक अहम विषय है तिलक। शास्त्रों के अनुसार ललाट पर तिलक लगाना शुभ है लेकिन उसे लगाकर सोना अशुभ। सोते समय उसे हटा देना चाहिए। प्रस्तुत लेख में ऐसी ही कई जानकारी विभिन्न ग्रंथों के हवाले से दी जा रही है। इससे सुधि पाठक अपनी समृद्ध व महान परंपरा को समझ सकेंगे।
सूने घर में अकेला नहीं सोएं
मनु स्मृति में बताया गया है कि सूने घर में कभी भी अकेला नहीं सोएं। इसी तरह से बिल्कुल अंधेरे कमरे में भी नहीं सोना चाहिए। इसके बारे में पद्म पुराण में स्पष्ट निर्देश दिया गया है। गौतम धर्म सूत्र में लिखा है कि सोते समय निर्वस्त्र नहीं रहें। जाहिर है कि इसका संबंध निश्चय ही मनुष्य की सुरक्षा से है। सूने घर और एकदम अंधेरे कमरे में सोने पर यदि कोई आकस्मिक समस्या हो जाए तो मदद मिलना कठिन होगा। मनु स्मृति में लिखा है कि मंदिर और श्मशान में सोना उचित नहीं है। महाभारत के अनुसार टूटी खाट पर तथा जूठे मुंह सोना वर्जित है। अत्रि स्मृति के अनुसार भीगे पैर कभी भी नहीं सोना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्राप्ति में बाधा आती है। पैर धोने के बाद उसे सुखाकर सोना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
शयन का समय
शास्त्रों में शयन के भी हैं नियम। इसमें जगने के बारे में भी निर्देश है। देवी भागवत के अनुसार स्वस्थ मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। इससे आयु रक्षा होती है। आचार मयूख के अनुसार पूर्व और दक्षिण दिशा में सिर करके सोना श्रेष्ठ होता है। इसके तहत पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या की प्राप्ति होती है। पश्चिम दिशा में सिर करके सोने से चिंता बढ़ती है। उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु का भय रहता है। दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। उस दिशा में पैर रखने से कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम हो जाता है। कई बीमारियों के साथ स्मृति भ्रंश और मौत तक का खतरा रहता है। शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ होता है। सोने के लिए लेटे हुए पढ़ना ठीक नहीं है।
किसे जगा देना चाहिए
विष्णु स्मृति कहती है कि किसी भी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। हालांकि चाणक्य नीति में आगे की भी बात है। इसके अनुसार यदि विद्यार्थी, नौकर और द्वारपाल या रक्षक ज्यादा देर तक सोए हुए हों तो, उन्हें जगा देना उचित है। दिन में सोने वर्जित कहा गया है। मान्यता है कि दिन में सोने वाले का भाग्य खराब होता है। हालांकि गर्मी में ज्येष्ठ मास को दोपहर के समय एक मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोने की छूट दी गई है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार हर मौसम में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है। सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना चाहिए। बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए हितकर है। हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचे और पांव पर पांव चढ़ाकर निद्रा लेना भी अनुचित है।
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