त्रिपुरा में है मां त्रिपुर सुंदर का भव्य मंदिर

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त्रिपुरा में है मां त्रिपुर सुंदर का भव्य मंदिर
त्रिपुरा में है मां त्रिपुर सुंदर का भव्य मंदिर।

There is a grand temple of Tripura Sundri in Tripura : त्रिपुरा में है मां त्रिपुर सुंदर का भव्य मंदिर। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। हालांकि बिहार के बक्सर, पंजाब के जालंधर और राजस्थान के बांसवाड़ा के पास भी त्रिपुर सुंदरी मंदिर हैं। उन्हें भी 51 शक्तिपीठों में मान्यता मिली हुई है। बक्सर के शक्तिपीठ के बार में इस वेबसाइट में पहले भी दे चुका हूं। पंजाब और राजस्थान के बारे में फिर कभी। आज बात करता हूं त्रिपुरा के शक्तिपीठ की। मान्यता है कि दस महाविद्या में तीसरी त्रिपुर सुंदरी के नाम पर ही त्रिपुरा का नाम पड़ा। यह मंदिर त्रिपुरा की पुरानी राजधानी उदयपुर से तीन किलोमीटर स्थित है। इसके साथ एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है। यहां एक साथ विश्व भर में स्थित 51 शक्तिपीठों की प्रतिकृति बनाई जाएगी। त्रिपुरा सरकार ने इसके लिए बजट भी दे दिया है।

माता सती का दायां पैर व वस्त्राभूषण गिरे थे

उदयपुर के पास जहां शक्तिपीठ है, वहां सती का दायां पैर गिरा था। यहां लाल-काली कास्टिक पत्थर की माता की भव्य प्रतिमा है। मंदिर का प्रांगण कूर्म की तरह है। इसलिए इसे कूर्भ स्थल भी कहते हैं। यहां त्रिपुर सुंदरी के शिव त्रिपुरेंश हैं। यह स्थान अत्यंत जाग्रत पीठ है। यहां आने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। यह स्थान पूर्वोत्तर के राज्य ही नहीं समस्त हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा केंद्र है। तंत्र के साथ ही सात्विक पूजा करने वाले भी माता की उपासना कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। दुर्भाग्य से इस शक्तिपीठ के बारे में अधिक प्रचार नहीं हुआ है। इसलिए अन्य शक्तिपीठों की तुलना में यहां अभी भीड़ कम रहती है। इसलिए श्रद्धालुओं को दर्शन, पूजा, पाठ, जप और ध्यान में आसानी होती है। प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर इस क्षेत्र में पहुंचते ही अद्भुत आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।

त्रिपुर सुंदरी हैं जगत जननी

त्रिपुरा में है मां त्रिपुर सुंदर मंदिर। ये माता जगत जननी हैं। तंत्र ग्रंथ त्रिपुरार्णव के अनुसार तो त्रिदेव की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। जन्म, पालन और संहार तीनों को ये देवी हैं। विष्णु ने उनकी उपासना कर शक्ति अर्जित की। एक अन्य ग्रंथ में इन्हें विष्णु की शक्ति कहा गया है। इन्हें श्रीविद्या और षोडषी भी कहा जाता है। शिवपुराण में इनको शिव की शक्ति के रूप में दर्शाया गया है। अन्य देवी-देवताओं में कोई भोग तो कोई मोक्ष देते हैं। त्रिपुर सुंदर की उपासना करने वाले को दोनों की प्राप्ति होती है। वृहन्नील तंत्र के अनुसार काली के दो भेद हैं। पहला कृष्णवर्णा दक्षिण काली और दूसरा रक्तवर्णा त्रिपुर सुंदरी। उसके अनुसार भी यह देवी भोग और मोक्ष प्रदान करती हैं। मान्यता है कि पिछले जन्म के संस्कार मजबूत होने पर ही इनकी दीक्षा एवं उपासना का सुयोग मिलता है।

बड़े भाग्य से मिलता है दर्शन का अवसर

मां त्रिपुर सुंदर का दर्शन बड़े भाग्य से होता है। यह कई समस्याओं को दूर करने में सक्षम है। ऐसे भक्तों के भोग और मोक्ष का पथ भी प्रशस्त होता है। त्रिपुरा में है मां त्रिपुर का यह मंदिर हमेशा से आस्था का बड़ा केंद्र रहा है। माता का स्थान प्राचीनकाल से है। मंदिर के मौजूदा ढांचे का निर्माण महाराज धन्य माणिक्य ने 1501 में करवाया था। अब त्रिपुरा सरकार ने भी इसे और पहचान दिलाने के लिए अनूठी योजना बनाई है। उसने विश्व भर में स्थित सभी 51 शक्तिपीठों की प्रतिकृति बनाने का फैसला किया है। प्रारंभिक रूप से 44 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए गए हैं। इससे भक्तों को एक ही स्थान पर सभी शक्तिपीठों के दर्शन की अनुभूति होगी। इसके लिए विशेषज्ञ अन्य शक्तिपीठों की आकृति पर रिसर्च कर रहे हैं। ताकि यहां प्रतिकृति बनाने में कोई चूक नहीं हो।

ऐसे पहुंचें

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला देश के कई शहरों से ट्रेन और हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है। गुवाहाटी और सिलीगुड़ी से बस से भी अगरतला पहुंचा जा सकता है। अगरतला से उदयपुर के पास स्थिति त्रिपुर सुंदरी मंदिर की दूरी लगभग 54 किलोमीटर है। वहां तक बस और टैक्सी सहज उपलब्ध है।

यह भी पढ़ें- षोडषी भोग और मोक्ष देती हैं, नित्य करें पूजन

2 COMMENTS

  1. आपके द्वारा दी गई जानकारी वास्तव में काफ़ी ज्ञानवर्धक एवं लाभकारी है

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